भाजपा में ये बनने जा रहे हैं विधानपरिषद सदस्य, 7 प्रत्याशियों की पहली बार एंट्री

डिप्टी सीएम केशव  प्रसाद मौर्य के खासमखास सुरेन्द्र चैधरी ने उनके कहने पर ही अपनी दावेदारी वापस ली थी। हालांकि इसके बाद अपना दल और भाजपा कार्यकर्ताओं में जमकर मारपीट भी हुई थी। जिसमें सुरेन्द चैधरी  को भी चोट आई थी। 

suman
Published on: 16 Jan 2021 3:46 PM GMT
भाजपा में ये बनने जा रहे हैं विधानपरिषद सदस्य, 7 प्रत्याशियों की पहली बार एंट्री
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यूपी में उच्च सदन में अपनी ताकत बढाने में प्रयासरत भाजपा ने अपने दस प्रत्याषियों की घोषणा कर दी है। इनमें से तीन को छोड़कर सात प्रत्याशियों को पहली बार वि

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ यूपी में उच्च सदन में अपनी ताकत बढाने में प्रयासरत भाजपा ने अपने दस प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इनमें से तीन को छोड़कर सात प्रत्याशियों को पहली बार विधानपरिषद में भेजने का फैसला भाजपा हाईकमान की तरफ से किया गया है। डा दिनेश शर्मा स्वतंत्र देव और आचार्य लक्ष्मण पहले भी विधानपरिषद के सदस्य रह चुके वहीं अन्य सभी प्रत्याशी भाजपा संगठन में में काफी अरसे काम कर रहे हैं।

आईए हम आपको बताते हैं इन प्रत्याशियों के बारे में

डा दिनेश शर्मा

छात्रजीवन में एबीबीपी से जुडे रहे और लखनऊ विश्विद्यालय में कामर्स के प्रोफेसर रहे डा दिनेश शर्मा भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं। वह इसके पूर्व युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2014 के पहले भाजपा की सदस्यता अभियान का विश्व रिकार्ड बनवाने में डा दिनेश शर्मा की भूमिका रही। लखनऊ के दो बार मेयर रह चुके डा दिनेश शर्मा पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी के बेहद खास रहे हैं।

स्वतंत्रदेव सिंह

स्वतंत्र देव सिंह लंबे वक्त तक विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता रहे हैं। 90 के दशक में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बनाए गए थे। इसके बाद वह 1996 में युवा मोर्चा के महामंत्री और फिर 2001 में युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। इसके बाद स्वतंत्र देव सिंह को एमएलसी बनाया गया और फिर संगठन के अलग-अलग पदों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। इस बार उनको दोबारा एमएलसी का टिकट दिया गया है।

लक्ष्मण आचाार्य

लम्बे समय से संगठन के कार्यो में आगे रहे लक्ष्मण आचार्य को एक बार फिर विधानपरिषद का प्रत्याशी बनाया गया है। वह काशी प्रांत के क्षेत्रीय अध्यक्ष रहे हैं और उन्होंने 2014 के चुनाव मंे वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के लिए दिन रात एक कर दिया था जिसके बाद उन्हे एमएलसी बनाया गया। इस बार उनका जब कार्यकाल पूरा हो तो एक बार फिर उन्हे विधानपरिषद के लिए प्रत्याशी बनाया जा गया है।

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अरविन्द शर्मा

गुजरात काडर के आईएएस अधिकारी वीआरएस लेकर राजनीतिमेें आए हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्ताक किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पीएचडी अरविन्द शर्मा तीसरे प्रयास में वर्ष 1988 में गुजरात कॉडर के आईएएस बने और 2001 में नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद से लगातार उनके साथ हैं।

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कुंवर मानवेन्द्र सिंह

भाजपा संगठन में कई वर्षो से सक्रिय कुंवर मानवेन्द्र सिंह कानपुर बुंदेलखण्ड क्षेत्र के अध्यक्ष हैं। उन्हे प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह का काफी करीबी माना जाता है। उनके राजनीतिक रणकौशल के चलते भाजपा ने आसपास के क्षेत्र में कई बार सफलता मिली। संगठन के कार्यो में उनकी गहरी दिलचस्पी रही है। कानपुर और आसपास के क्षेत्रों में काम करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को नाम से जानते हैं।

गोबिन्द नारायण शुक्ल

प्रदेष भाजपा के महामंत्री गोबिन्द नारायण शुक्ला संगठन महामंत्री सुनील बंसल के काफी नजदीकी है। 2014 के लोकसभा चुनाव 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बंसल की काफी मदद की जिसके चलते वह उनके खास हो गए।

अश्वनी त्यागी

अश्वनी त्यागी के नाम घोषित होने के बाद से पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीतिक राजधानी मेरठ में एमएलसी को लेकर अटकलों का दौर खत्म हो गया। भाजपा कार्यकर्ता अश्वनी त्यागी पिछले 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद एक मजबूत चेहरे के रूप में उभरे हैं। इसलिए ही पार्टी ने उनके ऊपर भरोसा कर उन पर दांव लगाया है।

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सलिल विश्नोई

तीन बार भाजपा के विधायक रहे सलिल विश्नोई पिछला विधानसभा चुनाव कानपुर में हार गए थें। वह पूर्व मंत्री बाबूराम एमकाम के जरिए राजनीति में आए और विद्यार्थी परिषद में काम किया। विधानसभा चुनाव हारने के बाद उन्हेे संगठन की जिम्मेदारी दी गयी। पहले उन्हे महामंत्री बनाया गया और इसके बाद प्रदेश उपाध्यक्ष बने। वह मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में में भी काम करते रहे हैं।

धर्मवीर प्रजापति

हाथरस के रहने वाले धर्मवीर प्रजापति बेहद साधारण परिवार से आते हैं। आरएसएस के स्वयंसेवक रहे धर्मवीर ने भाजपा से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। इसके बाद वर्ष 2002 मे पहली बार उन्हें प्रदेश का दायित्व मिला। वह पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ में वे प्रदेश के महामंत्री बने। इसके बाद दो बार प्रदेश संगठन में मंत्री का दायित्व संभाला। जनवरी 2019 में उन्हें माटी कला बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। अयोध्या में श्रीराम के दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए उन्होंने आगरा, एटा, कन्नौज सहित दूसरे जिलों से डिजाइनर दिए की व्यवस्था कराई थी।

सुरेन्द्र चौधरी

2017 के विधानसभा चुनाव में इलाहाबाद जिले की सोरांव विधानसभा में पिछली बार अपना दल से गठबन्धन होने के कारण भाजपा ने यह सीट छोड दी थी। इस सीट पर सुरेन्द्र चैधरी की सषक्त दावेदारी थी। इस सीट को लेकर काफी विवाद हुआ था। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के खासमखास सुरेन्द्र चैधरी ने उनके कहने पर ही अपनी दावेदारी वापस ली थी। हालांकि इसके बाद अपना दल और भाजपा कार्यकर्ताओं में जमकर मारपीट भी हुई थी। जिसमें सुरेन्द चैधरी को भी चोट आई थी।

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