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लॉकडाउन: दशकों बाद देखने को मिली इतनी बड़ी बंदी

ग्राम असेवा के कुछ ग्रामीणों से जब बात की गई तो उन्होंने इस लॉक डाउन के चलते अपना दर्द बयां किया और कहा कि सरकार द्वारा यदि उन्हें कुछ समय दिया जाता, जिससे कि वह अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ कर लेते। तब यह बंदी की जाती तो ज्यादा उचित होता ।

SK Gautam
Published on: 5 April 2020 12:33 PM GMT
लॉकडाउन: दशकों बाद देखने को मिली इतनी बड़ी बंदी
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औरैया: कोरोना वायरस को लेकर इस समय ग्रामीण क्षेत्रों का माहौल बहुत ही खराब है। लोगों का कहना है कि इससे पूर्व उन्होंने ऐसी त्रासदी कभी नहीं देखी। बताया कि उनकी जो रोजमर्रा की जिंदगी थी वह पूरी तरह से प्रभावित हो गई है। ग्राम असेवा के कुछ ग्रामीणों से जब बात की गई तो उन्होंने इस लॉक डाउन के चलते अपना दर्द बयां किया और कहा कि सरकार द्वारा यदि उन्हें कुछ समय दिया जाता, जिससे कि वह अपनी रोजी-रोटी का जुगाड़ कर लेते। तब यह बंदी की जाती तो ज्यादा उचित होता । इस बारे में गांव के 3 लोगों से बातचीत की गई।

नहीं देखा कभी ऐसा माहौल : परमलाल

ग्रामीण परमलाल बताते हैं कि उन्होंने इस प्रकार की बंदी कभी नहीं देखी। बताया कि उनकी उम्र करें 75 वर्ष से ऊपर हो चुकी है उन्होंने अब तक के जीवन काल में ऐसी बंदी को नहीं देखा। लॉक डाउन से उनका जीवन पूरी तरह से बेहाल हो चुका है। बुढ़ापे में वह दवाओं के सहारे चल रहे हैं। जब घर का कोई व्यक्ति दवा लेने के लिए जाता है तो पुलिस उसे अनावश्यक सवाल पूछ कर उसे वापस लौटा देती है। इससे उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

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दूध का व्यापार हुआ चौपट : राजेश

ग्रामीण राजेश ने बताया कि ग्राम असेवा में मुख्य व्यापार लोगों का दूध बेचकर अपना भरण-पोषण करना है। अब इतनी दूर बीहड़ी क्षेत्र में दूधिया भी दूध लेने के लिए नहीं आ रहे हैं। जिससे उनके सामने पैसे की समस्या खड़ी हो गई है। बताया कि वह जब बैंक से पैसे निकालने के लिए जाते हैं तो पुलिस उन्हें रोककर वापस लौटा देती है। इस स्थिति में उनके सामने आटा, तेल व अन्य चीजों की समस्या उत्पन्न हो गई है।

आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं ग्रामीण : निरंजन

ग्रामीण निरंजन ने बताया कि वर्तमान स्थिति में सभी लोग क्षेत्र के आर्थिक मंदी से गुजर रहे हैं। क्योंकि उनके खाने कमाने का जरिया अब पूरी तरह से बंद हो चुका है। वह कहीं बाहर जाकर भी 2 जून की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में उनके सामने आर्थिक रूप से संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने बताया कि पहले वह मेहनत मजदूरी करके अपने घर का खर्च चला लेते थे मगर सारे कार्य बंद हो जाने से अब वह कोई काम भी नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

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रिपोर्ट -प्रवेश चतुर्वेदी

SK Gautam

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