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कोरोना वारियर्स की आपबीती: 'समय पर चाय मिलती न भोजन, सुरक्षा के नाम पर पीपीई तक नहीं'
कोरोना वारियर्स लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जिंदगी दांव पर लगा रात दिन काम कर रहे हैं। अव्यवस्थाओं का आलम ये है कि उन्हें जो मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही हैं।
रायबरेली: कोरोना वारियर्स लोगों की जान बचाने के लिए खुद की जिंदगी दांव पर लगा रात दिन काम कर रहे हैं। अव्यवस्थाओं का आलम ये है कि उन्हें जो मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही हैं। न तो खाने के लिए पौष्टिक भोजन मिल पा रहा है और न ही रहने और नहाने के लिए कोई उचित इंतजाम ही किया गया है।
सबसे हैरान कर देने बात ये है कि पानी भी नाप तौलकर दिया जा रहा है। सुरक्षा के नाम पर पीपीई किट तक नहीं दिया गया है। ऐसे हालात में काम करना मुश्किल हो गया है। ऐसा हम नहीं बल्कि ये बात रायबरेली के एक आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर्स कह रहे हैं।
यहीं के एक डाक्टर ने अपनी आपबीती का वीडियो जारी किया है। जिसमें उसने बताया कि सोने के लिए एक स्कूल के अंदर व्यवस्था की गई है। जिसमें बड़े-बड़े क्लास रूम हैं और उसमें चार बेड लगाकर दे दिए गए हैं।
इसके अलावा यहां तीन जेण्ट्स वाशरूम हैं और तीनों ही चोक हैं। जब इस बात की शिकायत जिम्मेदार अधिकारियों से की गई तो मौके पर एक सचल शौचालयस्कूल के बाहर लाकर खड़ा कर दिया गया।
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न लाइट है और न पीने के लिए साफ़ पानी
यहां पर नहाने के लिए बाथरूम तक नहीं है। रात भर लाइट भी नहीं रहती है। सुबह में नाश्ता पानी कुछ भी समय पर नहीं आता है। आज 20 लीटर का पानी का एक जार आया। बोला गया कि ये 25 लोगों के लिए है। आगे से रोज इतना ही पानी दिया जाएगा।
हम जानना चाहते हैं के हम लोग अगर मरीज को देख रहे हैं तो क्या एक्टिव क्वारनटाइन के लिए यही मानक हैं? प्रशासन क्या हम लोगों के जीवन से खिलवाड़ करना चाहता है, या वो चाहता है कि डाक्टर जाए ड्यूटी करें, पाजिटिव होंगे तो हम बाद में इलाज कर लेंगे।
डाक्टर ने कहा के जब हम लोगों ने प्रशासन से ये बात रखी तो प्रशासन ने कहा के हम इससे ज्यादा कुछ भी नहीं कर सकते। यहां फर्श पर बड़े-बड़े सुराख हैं उसको छिपाने के लिए दरिया बिछा दी गई हैं।
इस पर सेनेटाइजेशन हो ही नहीं सकता। सेनेटाइजेशन के मानक हैं, हर तीन घंटे में सेनेटाइज किया जाए। आज कुछ लोग बाहर और कुछ लोग मोबाइल टायलेट में शौच करने के लिए गए हैं।
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पन्नी में बांधकर दिया जाता है भोजन
प्रिंसिपल का ऑफिस है, वहां एक बाथरूम है, जिसमें 25 लोग नहाते हैं। पीपीई किट पर्याप्त नहीं है। चश्मे भी जो मिले हैं, वो छोटे साइज के हैं। पैर पर शू कवर दिया गया वो भी छोटा।
उन्होंने बताया कि कल रात में एक रेड कलर की झिल्ली में पूड़ी डालकर उसे बांध कर खाने को दिया गया था। उसी तरह रेड झिल्ली में पेपर में सब्जी बांध दी गई थी। सुबह से 11 बजे तक चाय नहीं मिली।
किंग जार्ज से जारी डाक्टरों के चार्ट का वन पर्सेंट भी फालो नहीं हो रहा। हमें फाइव स्टार व्यवस्था नहीं चाहिए, हम अपनी सुरक्षा मांग रहे हैं, हम यहां पिकनिक मनाने नहीं आए हैं। डाक्टर ने कहा कि जब हम लोगों ने सीडीओ अभिषेक गोयल से मांग की तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। हालांकि इस मामले पर कोई अधिकारी अब कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।