×

लॉकडाउन: मंडी नहीं पहुंचे आड़ू, किसानों को बर्बाद होने का डर

भारतीय किसान यूनियन के क्षेत्रीय सचिव चौधरी जगदेव सिंह कहते हैं, मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने सब्जियों, आम और गन्ने के साथ आड़ू की बड़े पैमाने पर खेती की है। जगदेव सिंह के अनुसार इनमें दो हजार से अधिक किसान हर साल आड़ू की फसल उगाते हैं।

SK Gautam
Published on: 26 April 2020 1:50 PM GMT
लॉकडाउन: मंडी नहीं पहुंचे आड़ू, किसानों को बर्बाद होने का डर
X

मेरठ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांव गन्ने की खेती के लिए ही नही सब्जियों, आम और आड़ू की खेती के लिए भी जाने जाते हैं। लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनके इनकी खेती करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि फसल को मंडी तक कैसे पहुंचाएं। ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों को फसल के बर्बाद होने का डर सता रहा है।

यहां किसान बर्बाद होने के कगार पर

प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री मंत्री एवं मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. मैराजुददीन का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह तत्काल आड़ू को मंडी तक बेरोकटोक पहुंचाने में मदद करे, नहीं तो उत्पादक किसान बर्बाद हो जाएगा। डॉ. मैराजुददीन जोकि राष्ट्रीय लोकदल के महा सचिव भी हैं ने इस संबंध में प्रधानमंत्री के साथ ही प्रदेश के मुख्य मंत्री को पत्र लिख कर किसानों को इस समस्या से राहत दिलाने की मांग की है।

भारतीय किसान यूनियन के क्षेत्रीय सचिव चौधरी जगदेव सिंह कहते हैं, मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने सब्जियों, आम और गन्ने के साथ आड़ू की बड़े पैमाने पर खेती की है। जगदेव सिंह के अनुसार इनमें दो हजार से अधिक किसान हर साल आड़ू की फसल उगाते हैं। इनके उत्पादन का बड़ा हिस्सा दिल्ली की आजादपुर सहित दूसरी मंडियों में जाता है। जगदेव सिंह के अनुसार लॉकडाउन की वजह से आवाजाही बंद है।

ये भी देखें: किसी को नहीं मिल सका शगुन का सोना, पहली बार अक्षय तृतीया खाली

फसल तैयार होने के मंडी तक नहीं पहुंचा

इस कारण फसल पेड़ों पर ही सड़ने लगा है। आड़ू जल्द खराब होने वाली फसल है। यदि फसल तैयार होने के 15 दिन के अंदर इसे मंडी तक नहीं पहुंचाया तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी। फल पककर पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनके सामने सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि फसल को मंडी तक कैसे पहुंचाएं।

जैम, जूस, जैली, केक और अन्य कई पेय पदार्थों में आड़ू का प्रयोग होता है

पूर्व सिंचाई मंत्री मंत्री एवं मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. मैराजुददीन कहते हैं, खाने के साथ आड़ू का प्रसंस्करण करके इससे कई तरह के खाद्य पदार्थ भी बनाए जाते हैं। जैम, जूस, जैली, केक और अन्य कई पेय पदार्थों में इस फल का उपयोग किया जाता है, इसलिए इसकी काफी मांग रहती है लेकिन दिक्कत यही है कि लॉकडाउन के कारण इसको प्रसंस्करण करने वाली इंडस्ट्री बंद है। पूर्व मंत्री एवं मैंगो ग्रोवर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. मैराजुददीन का कहना है कि सरकार को चाहिए कि वह तत्काल आड़ू को मंडी तक बेरोकटोक पहुंचाने में मदद करे, नहीं तो उत्पादक किसान बर्बाद हो जाएगा।

ये भी देखें: लॉकडाउन में सख्ती के लिए पुलिस ने किया मार्च तो मच गई भगदड़

आड़ू के फल आम से पहले ही बाजार में आ जाते हैं

डॉ. मैराजुददीन के अनुसार आड़ू के फल आम से पहले ही बाजारों में आना शुरू हो जाते हैं। इसी वजह से इस फल को बेहतर कीमत मिलती है, जिससे किसानों को भी फायदा होता है। दरअसल, 70 के दशक में सहारनपुर, रटौल और शाहजहांपुर को मैंगो बेल्ट घोषित किया गया था। तभी से यहां आम के साथ आड़ू की फसल भी की जाती है। अगर किसी भी कारण से आम की फसल खराब हो भी जाए तो यहां के किसानों को आड़ू की फसल से राहत मिल जाती है।

रिपोर्ट- सुशील कुमार,मेरठ

SK Gautam

SK Gautam

Next Story