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44 दिनों से UP में फंसे दिल्ली के छात्र: गेंहू काटकर कर रहे गुजारा, PM से मांगी मदद

दिल्ली से ये स्टूडेंट्स 21 मार्च को जिले में स्थित गढ़मुक्तेश्वर गंगा नहाने आए थे। उसके बाद जनता कर्फ्यू लग गया और फिर लॉकडाउन। ऐसे में सीमाएं सील हो गयी, ट्रेन बस का आवागन ठप्प हो गया।

Shivani Awasthi
Published on: 3 May 2020 4:07 PM GMT
44 दिनों से UP में फंसे दिल्ली के छात्र: गेंहू काटकर कर रहे गुजारा, PM से मांगी मदद
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संभल: लॉकडाउन के कारण कई छात्र अपने घरों से दूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं, भले ही सरकार कई क्षेत्रों से उन्हें लाने ले जाने का प्रयास कर रही है लेकिन उत्तर प्रदेश से एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां लगभग 44 दिनों से दिल्ली के दस छात्र छात्राएं फंसे हुए हैं। उनके पास गुजर बसर के पैसे तक नहीं है। ऐसे में स्टूडेंट्स खेतों में काम कर के पैसे कमा रहे हैं।

लॉकडाउन के बाद से संभल के एक गांव में फंसे दिल्ली के 10 छात्र

मामला उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित असालतपुर जारई गांव का है। यहां लॉक डाउन के बाद से दिल्ली के दस स्टूडेंट्स फंसे हुए हैं। गाँव में रहने की जगह तो मिल गयी लेकिन पैसे न होने के कारण इन्हे मजदूरी करने की नौबत आ गयी है। इन्होने वापसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है।

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21 मार्च को गढ़मुक्तेश्वर गंगा नहाने आए स्टूडेंट्स:

बताया जा रहा है कि दिल्ली से ये स्टूडेंट्स 21 मार्च को जिले में स्थित गढ़मुक्तेश्वर गंगा नहाने आए थे। उसके बाद जनता कर्फ्यू लग गया और फिर लॉकडाउन। ऐसे में सीमाएं सील हो गयी, ट्रेन बस का आवागन ठप्प हो गया।

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जिस परिवार ने दिया आसरा, उनकी माली हालत ठीक नहीं

बच्चों के पास रहने का आसरा भी न होता, अगर इनमे से एक के रिश्तेदार स्टूडेंट्स की मदद न करते। छात्र पंजाबी बाग़ में रहने वाले एक रिश्तेदार के घर पर 44 दिन से रह रहे हैं। भगवान कुमार नाम के जिस रिस्तेदार के घर में इन्हे ठिकाना मिला, वह खुद लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हो गए हैं। परिवार में पत्नी समेत तीन बच्चे हैं। ऐसे में उनके परिवार और छात्रों सबकों संभालना मुश्किल हो गया।

मददगार पर न पड़े बोझ, इसलिए छात्र गेंहू काट कर कमा रहे पैसे

हालंकि छात्रों ने इस परेशानी में खेतों में गेंहू काटकर पैसे जुटाने काम शुरू किया। बच्चों ने बताया कि उन्हें गेंहू काटना नहीं आता था लेकिन सब के पैसे खत्म हो गए, ऐसे में रिश्तेदार के ऊपर बोझ न पड़े और जेब खर्च के लिए गेहूं कटाई का काम सीखा। गाँव वाले इस काम के लिए बच्चों को से 100-200 रुपये देते हैं।

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पीएम मोदी से मांगी मदद, एसडीएम को दिया प्रार्थना पत्र

घर वापसी को लेकर सभल के एसडीएम केके अवस्थी को छात्रों ने प्रार्थना पत्र भी सौंपा है।मामला एडीएम कमलेश कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने इस बारे में विशेष सचिव गृह से बात की। इस मामले में अब निर्देश जारी हुआ है कि लॉकडाउन में फंसे मजदूरों, छात्रों और कर्मचारियों का एक चार्ट बना कर भेजा जाएँ, इसके आधार पर उनके गृह राज्य या जहां से वह हैं, के प्रशासन से अनुमति लेकर वापसी कराई जाएगी।

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