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किसानों पर टूटा गमों का पहाड़, लॉकडाउन के बाद अब फसलों को इन्होंने किया बर्बाद

बुन्देलखण्ड पिछले कुछ वर्षो में एक ऐसा क्षेत्र हो गया है, जहां पर किसानों पर आपदाऐं कम होने का नाम नहीं ले रही है। वर्ष 2019 में इस इलाके में अत्यधिक बारिस हुयी जिसके कारण खरीफ की फसले बडे पैमाने पर नष्ट हो गयी।

Ashiki
Published on: 24 May 2020 6:05 PM GMT
किसानों पर टूटा गमों का पहाड़, लॉकडाउन के बाद अब फसलों को इन्होंने किया बर्बाद
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झाँसी: बुन्देलखण्ड पिछले कुछ वर्षो में एक ऐसा क्षेत्र हो गया है, जहां पर किसानों पर आपदाऐं कम होने का नाम नहीं ले रही है। वर्ष 2019 में इस इलाके में अत्यधिक बारिस हुयी जिसके कारण खरीफ की फसले बडे पैमाने पर नष्ट हो गयी। अंधिकाश किसान खरीफ की फसल में होने वाले तिल, उदड, मूंगफली, मक्का आदि की उपज नही ले पाये। जलवायु परिवर्तन के कारण रबी की फसल के दौरान भी बेमौसम बारिस होती रही, जिसके कारण गेहूं की फसल को बडा नुकसान हुआ, साथ ही दलहनी फसलों की ऊपर नुकसान देखा गया।

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बुन्देलखण्ड में झाँसी के आस-पास का इलाका विशेष तौर से बरूआसागर का क्षेत्र पूरे भारत में फल एवं सब्जियों के लिए जाना जाता है, जहां पर अंधिकाशतः किसान जायद की फसल में मसालों की खेती और नये नये तरह की सब्जियों को उगाने का काम करते है। अभी हाल के ही वर्षो मे झांसी के किसान बडे पैमाने पर गोभी की फसल भी करने लगे है, साथ ही शिमला मिर्च एवं नये उत्पादों के लिए हाइब्रिड बीजों से उत्पादन की तरफ आगे बढ रहे है।

लेकिन इस वर्ष यकायक कई वर्षो बाद पिछले दो दिनों से बुन्देलखण्ड में टिड्डीयों के दल दिखायी दे रहे है। कल और आज में झांसी के आस-पास बरूआसागर के एक दर्जन से अधिक गांवों में टिड्डीयों के दल ने बडे पैमाने पर जायद में उगायी गयी सब्जी की फसलों को नुकसान पहुचाया। इससे किसान और अधिक निराश एवं हताश हो रहे है, उन्हें वैसे भी लॉकडाउन के कारण सब्जियों के उचित रेट नहीं मिल पा रहे थे।

अब टिड्डीयों के दल ने आकर इनके इस दुख को और अधिक बढा दिया। बुन्देलखण्ड में सब्जियों के साथ-साथ किसान जायद की फसल में मूंग की फसल भी उगाते है, जिसको इन टिड्डीयों के दल ने बहुत अधिक नुकसान पहुचाया है।

इन स्थानों पर हुआ नुकसान

झाँसी के आस-पास प्रतापपुरा, बनगुवां, मढ, कोलवा, फुटेरा, सिजरिया का खिरक बरूआसागर, और निवाडी के बीच तक जो किसान सब्जी उगा रहे थे, इन किसानों की सब्जी को नुकसान पहुचा है। अब यह टिड्डी दल मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड की तरफ बढ रहा है। जहां पर भी लोग अरबी, लौकी, टमाटर आदि की सब्जी लगाये हुए है। जिससे उन किसानों के भी नुकसान की अधिक सम्भावनाऐं बढ गयी हैं।

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एक दिन में 150 किमी का सफर करती हैं तय

जानकारी के अनुसार औसत एक झुंडमें 80 लाख टिडडी होती है। जो एक दिन में 2500 आदमी या दस ह्यथी खुराक बराबर फसल को हजम कर जाती है। 0.5 से 3 इंच की साईज और 1.9 ग्राम तक कि छोटी सी दिखने वाली टिडी अपने वजन से दो से ढाई गुना तक खा जाती है। टिड्डी तेजी से बढ़ने वाला कीट है। पहली पीढ़ी 20 गुणा बढती है तो दूसरी 400 गुणा तक और तीसरी पीढी 16 हजार गुना तक बढ़ जाती है।

टिडडीयां 6 से 12 किमी प्रतिघंटा रफतार से उडती है। जो एक दिन में 150 किमी तक का सफर तय कर लेती है। भारत में समय से पूर्व ही राजस्थान सीमा पर अटेक कर टिडडीयो ने अन्य राज्यो में फैलना शुरू कर दिया था। इसके बुन्देलखण्ड पहुचने से किसानों के नुकसान को और अधिक बढाया है।

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फसल का बहुत नुकसान पहुंचाया

बुन्देलखण्ड जल संकट ग्रस्त इलाका है वैसे भी पानी की कमी है, इस इलाके में लोग पानी सिंचाई में अधिक व्यय करके एवं जानवरों में सुरक्षा करके बडे मुश्किल में यह फसल उगा पाते है। ऐसे में यह टिड्डी दल का प्रकोप किसानों के बहुत अधिक नुकसानदेह है, बुन्देलखण्ड के बनगुवां गांव के किसान राममिलन यादव कहते है कि टिड्डी के दल ने गांव के आस-पास के एक दर्जन से अधिक गांवों को प्रभावित किया है।

इन गांवो में कल से ही लोग अपने अपने खेत में पटाखे फोड रहे थे, धुआं कर रहे थे, तमाम तरह से से शौरगुल करने की कोशिश कर रहे है, लेकिन इन प्रयासों के बाद भी यहां से गुजरे टिड्डीयों के दल ने फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुचाया है।

रिपोर्ट: बी.के. कुशवाहा

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