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दलित-मुस्लिम और पिछड़ों का हो रहा शोषण, डॉ कफील भी उसी का शिकार: नसीमुद्दीन
नसीमुद्दीन ने कहा कि इसी क्रम में अलीगढ़ में भी डॉ कफील पर कथित भड़काऊ बयान देने का फर्जी मुकदमा लादा गया और एनएसए लगा दिया गया।
लखनऊ: राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत बीते करीब एक साल से बंद डॉ कफील की रिहाई को लेकर बीती 22 जुलाई से चलाए जा रहे कांग्रेस के अभियान के तहत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा है कि डॉ कफील ने गोरखपुर सरकारी अस्पताल में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इसीलिए योगी सरकार ने डॉ कफील को व्यक्तिगत रंजिश के तहत फर्जी मुकदमों में फंसा दिया है। उन्होंने कहा कि इसी क्रम में अलीगढ़ में भी डॉ कफील पर कथित भड़काऊ बयान देने का फर्जी मुकदमा लादा गया और एनएसए लगा दिया गया। उन्होने मांग की है कि डॉ कफील पर लगाये गये रासुका को हटाते हुए उन्हें अविलम्ब रिहा किया जाए।
संवेदनशीलता का परिचय देते हुए न्याय दे सरकार- नसीमुद्दीन
नसीमुद्दीन ने कहा कि पूरे प्रदेश में दलितों-पिछड़ों-मुसलमानों का उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार संवेदनशीलता का परिचय देतें हुए डॉ कफील को न्याय दे। उन्होंने कहा अब तो रामराज्य आ गया है, क्या रामराज्य में भी भेदभाव और अन्याय होगा। सिद्दीकी ने कहा कि योगी सरकार ने डॉ कफील को जमानत पर रिहा न करके सुप्रीम कोर्ट के उस निर्देश की अवमानना की है।
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Congress Leader Nasimuddin
जिसमें उसने कोरोना महामारी को देखते हुए 07 साल से कम की सजा वाले मुकदमों में जमानत देने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में 13 बार सुनवाई की तारीख का टलना साबित करता है कि मुख्यमंत्री एक योग्य चिकित्सक को अपनी व्यक्तिगत कुंठा के कारण कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी जेल में रख कर आम मरीजों के साथ अन्याय करने पर अड़े हैं। जबकि आज प्रदेश चिकित्सकों की भयानक कमी से जूझ रहा है।
खुद को जेल जाने से बचाने के लिए सीएम योगी ने किया ऐसा
Congress Leader Nasimuddin
कांग्रेस नेता ने कहा कि योगी ने मुख्यमंत्री बनते ही कहा था कि अपराधी जेल में होंगे। लेकिन उन्होंने अपने ऊपर लगे संगीन मुकदमों को हटा कर खुद को जेल जाने से बचा लिया और डॉ कफील जैसे निर्दोष को जेल में डाल दिया। जिससे मुख्यमंत्री की कथनी और करनी का फर्क उजागर हो जाता है।
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बता दें कि कांग्रेस महासचिव व यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी के निर्देश पर यूपी कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग ने 22 जुलाई से 12 अगस्त तक डॉ कफील की रिहाई की मांग को लेकर महाभियान छेड रखा है। जिसके तहत प्रदेशव्यापी हस्ताक्षर अभियान, के साथ साथ, मजारों पर चादरपोशी कर डा. कफील की रिहाई की दुआ भी पढ़ी गयी और सोशल मिडिया के माध्यम से बड़ी संख्या में डॉ कफील की रिहाई की मांग का वीडियो बना कर अपलोड किया गया है।