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डीएम साहब! देखिये बेटा मां को परेशान न करे

केार्ट ने एक अगस्त को जिलाधिकारी से कृत कार्यवाही की रिपेार्ट तलब की है। साथ ही बेटे को नोटिस जारी कर उसे भी तलब किया है। केार्ट ने मां केा भी अदालत में बुलाया है। यह आदेश जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस एन के जौहरी की बेचं ने याची श्रीमती नसीमुन की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया।

SK Gautam
Published on: 9 July 2019 10:15 PM IST
डीएम साहब! देखिये बेटा मां को परेशान न करे
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लखनऊ: इलाहाबाद हाई केार्ट की लखनऊ ख्ंडपीठ ने अपनी औलाद से प्रताड़ित मां की याचिका पर सुनवायी करते हुए जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकेां का भरण पेाषण एवं कल्याण नियम 2014 के प्रावधानेां के तहत मां के सम्मान की पूरी रक्षा की जाये।

केार्ट ने एक अगस्त को जिलाधिकारी से कृत कार्यवाही की रिपेार्ट तलब की है। साथ ही बेटे को नोटिस जारी कर उसे भी तलब किया है। केार्ट ने मां केा भी अदालत में बुलाया है। यह आदेश जस्टिस अजय लांबा व जस्टिस एन के जौहरी की बेचं ने याची श्रीमती नसीमुन की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया।

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याची मां का कहना था कि उसके पति ने एक हजार स्वाक्यार फिट का प्लाट खरीद कर उस पर मकान बनवाया था जिसमें वह रह रही है। उसके सारी संताने अलग रहने लगीं। उसके साथ केवल उसका बेटा मो0 जुबेर रहता था। इस बीच उसके पति की मृत्यु हो गयी।

मां ने अखबार में विज्ञापन देकर 14 मई 2019 को बेटे को अपनी सम्पत्ति से बेदखल कर दिया

याची माता का आरेाप था कि अब उसका बेटा मो0 जुबेर उसके साथ दुव्यवहार करता है व मारता पीटता है। इस पर उसने अखबार में विज्ञापन देकर 14 मई 2019 को बेटे केा अपनी सम्पत्ति से बेदखल कर दिया। बेदखल करने के बाद उसके बेटे ने उसे और अधिक प्रताड़ित करना प्रारम्भ कर दिया । यहां तक कि उसे सौ नंबर पर फोन करके पुलिस भी बुलानी पड़ गयी। इसके बाद उसने जिलाधिकारी को भी प्रत्यावेदन दिया कि उसकी सुरक्षा की जाये।

याचिका में याची के वकील राकेश कुमार सिंह की दलील थी कि माता पिता एवं वरिष्ठ नागरिकेां का भरण पेाषण एवं कल्याण नियम 2014 के नियम 21 के तहत जिलाधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान व जानमाल की हिफाजत करें। इसके लिए वह पुलिस व अन्य अधिकारियेां को उचित निर्देश जारी कर सकते हैं ताकि बूढ़े माता पिता या सीनियर सिटीजन केा तकलीफ न होने पाये किन्तु जिलाधिकारी की ओर से प्रकरण में कोई रूचि नहीं दिखायी जा रही है ।

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अतः मजबूरन पीड़ित मां को अपने ही बेटे के लिखाफ अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है।

कोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को गौर से समझा तथा 2014 मंे सीनियर सिटजनेां व वरिष्ठ माता पिता के लिए बने नियमों का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी लखनऊ को नियमानुसार कार्यवाही करने का निर्देश देते हुए अगली सुनवायी पर कृत कार्यवाही की रिपेार्ट तलब कर ली।

SK Gautam

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