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राम मंदिर भूमि पूजन: आएंगे हजारों शवों का अंतिम संस्कार करने वाले, मिला आमंत्रण
चचा शरीफ पिछले 28 सालों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। वह अब तक 25 हजार से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज के साथ कर चुके हैं।
लखनऊ: राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए अयोध्या में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। भूमि पूजन के लिए आमंत्रित कई विशिष्ठ अतिथि पहुंच चुके है तो कई के मंगलवार शाम तक पहुंचने की संभावना है। कोरोना संक्रमण के कारण इस भूमि पूजन के लिए बहुत ही सीमित लोगों को आमंत्रित किया गया है। लेकिन आमंत्रण सूची में दो नामों को शामिल किए जाने पर सबसे ज्यादा आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। एक है न्यायालय में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी और दूसरे है मोहम्मद शरीफ। जी हां आप भी सोच रहे होंगे कि ये मोहम्मद शरीफ कौन है, तो इनके बारे में हम आपको बताते हैं।
25 हजार से ज्यादा लोगों का कर चुके हैं अंतिस संस्कार
अयोध्या के खिड़की अली बेग मोहल्ले में रहने वाले 80 वर्षीय मोहम्मद शरीफ पेशे से तो मामूली साइकिल मिस्त्री हैं। अयोध्या के लोग उन्हें चचा शरीफ कहते हैं। चचा शरीफ पिछले 28 सालों से लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। वह अब तक 25 हजार से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार पूरे रीति रिवाज के साथ कर चुके हैं। वह भी अपने खर्चे पर। मानवता के लिए उनके इस कार्य के लिए भारत सरकार ने पिछले साल उन्हे पद्मश्री से भी सम्मानित किया है।
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इन 28 सालों में शायद ही कोई ऐसा दिन रहा होगा कि चचा शरीफ ने कब्रिस्तान या श्मशान का चक्कर न लगाया हो और अब तो आलम यह है कि अगर किसी लावारिस शव के अंतिम संस्कार में चचा शरीफ नहीं होते है तो श्मशान या कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले या पुलिस चचा शरीफ को सूचना देते है और उनके आने के बाद ही शव का अंतिम संस्कार किया जाता है।
भूमि पूजन में मिला निमंत्रण
बता दे कि चचा शरीफ के चार बेटों में से दो की मौत हो चुकी है। उनका एक बेटा मोहम्मद रईस केमिस्ट था और 28 साल पहले वह किसी काम से सुल्तानपुर गया था और लापता हो गया। उसी समय अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने के कारण पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे हो रहे थे। चचा शरीफ को एक महीने के बाद सूचना मिली कि उनका बेटा रईस दंगे में मारा गया और उनके बेटे का अंतिम संस्कार लावारिस के तौर पर कर दिया गया। इसके बाद से ही चचा शरीफ ने अयोध्या में मिलने वाले सभी लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी उठानी शुरू कर दी।
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कई बार इसके लिए पैसों की कमी भी आयी लेकिन चचा ने अपना काम बदस्तूर जारी रखा और फिर लोगों ने भी उनकी मदद करनी शुरू कर दी। भूमि पूजन के लिए आमंत्रण मिलने पर चचा शरीफ ने कहा कि उन्होंने कभी हिंदू-मुस्लिम या किसी भी धर्म में भेद नहीं किया। इसलिए राम मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होने से कोई परहेज नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझ जैसे शख्स को पद्मश्री के लिए चयनित किया, यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। अब वह अयोध्या आ रहे हैं तो मेरी उनसे मिलने की तमन्ना है।