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बहुत खतरनाक: पीने लायक नहीं है लखनऊ का पानी यहां जानें क्यों

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा किये गए सेंपल टेस्ट के आधार पर राज्य की राजधानी लखनऊ देश के 21 प्रमुख शहरों में 11 वें स्थान पर है।

Shreya
Published on: 17 Nov 2019 6:47 AM GMT
बहुत खतरनाक: पीने लायक नहीं है लखनऊ का पानी यहां जानें क्यों
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बहुत खतरनाक: पीने लायक नहीं है लखनऊ का पानी यहां जानें क्यों

लखनऊ: जल संस्थान द्वारा शहर में आपूर्ति की जाने वाली नल का पानी पीने योग्य नहीं है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा किये गए सेंपल टेस्ट के आधार पर राज्य की राजधानी लखनऊ देश के 21 प्रमुख शहरों में 11 वें स्थान पर है। बीआईएस- भारत का वो शीर्ष निकाय जो किसी उत्पाद की शुद्धता और गुणवत्ता को प्रमाणित करता है। अध्ययन के मुताबिक, मुंबईवासी सीधे नल का पानी इस्तेमाल करते हैं।

दिल्ली में शनिवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान द्वारा ये रिपोर्ट जारी किया गया है। नल का पानी लोगों के सेवन के लिए उपयुक्त था या नहीं, यह जानने के लिए सभी शहरों से दस नमूने लिए गए थे।

इसकी पहली रिपोर्ट में शहरों में जल आपूर्ति एजेंसियों की विफलता को उजागर किया गया है ताकि लोगों को सुरक्षित पेयजल प्रदान किया जा सके- जो जीवन जीने का एक बुनियादी अधिकार है।

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6 पैरामीटर्स को पूरा करने में असफल रहा लखनऊ

लखनऊ के विभिन्न हिस्सों से एकत्र किए गए सभी सेंपल, छह पैरामीटर्स को पूरा करने में असफल रहें। जिसमें ऑर्गैनिक, रासायनिक संरचना, मिलावट, विषाक्तता और जीवाणु संबंधी पदार्थ शामिल हैं।

रैंकिंग फिट पाए गए नमूनों पर और वे जिन पैरामीटर्स में उत्तीर्ण हुए थे, उस पर आधारित थी। उदाहरण के लिए, मुंबई 21 पैरामीटर्स के लिए किए गए सभी नमूनों की जांच पर नंबर वन पर रहा। चंडीगढ़ के भी सभी सैंपल फेल रहे, तब भी केंद्र शासित प्रदेश को सातवीं रैंकिंग मिली। जहां पर चंडीगढ़ केवल 2 पैरामीटर्स को पास नहीं कर सका तो वहीं लखनऊ 6 पैरामीटर्स को उत्तीर्ण करने में असफल रहा।

11वें स्थान पर रहा लखनऊ

लखनऊ रैंकिंग के आधार पर रांची (तीसरा), रायपुर (चौथा), और पटना और भोपाल (दोनों नवें स्थान पर रहे) से नीचे रहा। वहीं जम्मू लखनऊ के साथ 11वें स्थान पर रहा।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, वास और कड़वे स्वाद के अलावा, कई क्षेत्रों में लोगों ने पानी में रेत, शैवाल और यहां तक कि गंदे नाले के मिले होने के बारे में शिकायत करते हैं। ज्यादातर लोगों ने घर पर ही वाटर प्यूरीफायर लगाए हैं।

इन बीमारियों को दे रहा न्यौता

यहां तक कि मानसून के दौरान स्वास्थ्य विभाग और जल संस्थान की संयुक्त टीम द्वारा किए गए कई परीक्षण में कई स्थानों पर पीने के लिए पानी अस्वस्थ पाया गया, जिससे हेपेटाइटिस, डायरिया, पेचिश, टाइफाइड और हैजा जैसी बीमारियों को उत्पन्न हो सकती है।

जल संस्थान के जनरल मैनेजर ने बताया कि, एक बार रिपोर्ट मिलने के बाद, हम फिर से परीक्षण करेंगे और समस्या को दूर करने के उपाय करेंगे।

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कौन शहर किस नंबर पर?

  • 1 मुंबई
  • 2 हैदराबाद
  • 3 भुवनेश्वर
  • 4 रांची
  • 5 रायपुर
  • 6 अमरावती
  • 7 शिमला
  • 8 चंडीगढ़
  • 9 त्रिवेंद्रम
  • 10 पटना
  • 11 भोपाल
  • 12 गुवाहाटी
  • 13 बेंगलुरु
  • 14 गांधी नगर
  • 15 लखनऊ
  • 16 जम्मू
  • 17 जयपुर
  • 18 देहरादून
  • 19 चेन्नई
  • 20 कोलकत्ता
  • 21 दिल्ली

हर साल 4200 करोड़ रु. के वाटर प्यूरीफायर बिकते हैं

हर साल 4200 करोड़ रु. के वाटर प्यूरीफायर बिकते हैं। प्यूरीफायर के बाजार में सालाना 15-20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है। 2024 तक 7 गुना बढ़कर 29 हजार करोड़ का कारोबार हो जाएगा। पानी की गुणवत्ता के हिसाब से BIS यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड रैंकिंग देता है। यह उत्पादों-सेवाओं की क्वालिटी तय करने वाली संस्था है। बीआईएस के मुताबिक 6.5 से 8.5 के बीच ph वैल्यू का पानी पीने लायक होता है।

गुणवत्ता के 10 मानक

देश के 21 बड़े में दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलुरू, गांधीनगर, लखनऊ, पटना, भोपाल और जयपुर जैसे शहर शामिल हैं। पानी की गुणवत्ता मापने के लिए 10 मानक तय किए गए थे।

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