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Lucknow University: ग्रीष्मकालीन अवकाश न दिए जाने से नाराज शिक्षक तीसरे दिन भी रहे धरने पर, और भी हैं मांगें
Lucknow University: अर्थशास्त्र विभाग एवं कतिपय अन्य विभागों द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध अध्यादेश के अनुसार न तो सीटों का आवंटन किया गया है, न ही आनलाइन कोर्स कराया गया है। इससे शिक्षको एवं छात्रों दोनों को नुकसान उठाना पड़ा है।
Lucknow University: लखनऊ विश्वविद्यालय सहयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) का धरना सोमवार को तीसरे दिन प्रवेश कर गया है, लेकिन अभी तक लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन इन प्रदर्शनकारियों की मांग पर जरा सा भी विचार नहीं किया है। दरअसल, कॉलेजों में ग्रीष्मावकाश कम किए जाने वाले सहित विभिन्न मांगों को लेकर लुआकटा के सदस्य ने शनिवार से लखनऊ विश्वविद्यालय में धरना देकर अपना विरोध जता रहे हैं। सोमवार विरोध का तीसरा दिन है।
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20 मई से शुरू हुआ धरना
लुआक्टा कार्यकारणी के अध्यक्ष डा. मनोज पांडेय और महामंत्री डा अंशु केडिया का कहना है कि लुआक्टा द्वारा कुलपति महोदय से परिनियम में उल्लिखित ग्रीष्मावकाश न दिए जाने, प्रतिकर अवकाश को परिभाषित न करने, विगत वर्षों के परीक्षा से संबंधित भुगतान न किये जाने, एवं भुगतान के सम्बंध में दोहरी व्यवस्था लागू किये जाने जैसी कई मांगों को लेकर 20 मई से लगातार धरना दिया जा रहा है,लेकिन विश्वविद्यालय प्रदर्शन जरा सा भी ध्यान नहीं दे रहा है।
सहमित के विपरीत ग्रीष्मवकाश आदेश जारी
लुआक्टा कार्यकारणी के अध्यक्ष ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अवकाश के संबंध में वार्ता में बनी सहमति के विपरीत ग्रीष्मवकाश का आदेश जारी किया कर दिया गया है। संगठन द्वारा पूर्व की भांति अवकाश के सम्बंध में कुलपति महोदय से पुनः वार्ता की गई एवं पत्र द्वारा भी अवगत कराया गया, तथा परिनियम की व्यवस्था के अनुसार संशोधित आदेश जारी करने का आग्रह किया गया, जिस पर सहमति व्यक्त की गई । साथ ही यह भी अवगत कराया कि वर्तमान मे भयंकर गर्मी का भी प्रकोप बढता जा रहा है, छात्रों के साथ अभिभावकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कुलपति सभी को दरकिनार करते हुए अवकाश का आदेश जारी कर दिया है।
इन वजहों से हो रहा छात्रों और शिक्षकों का नुकसान
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त अर्थशास्त्र विभाग एवं कतिपय अन्य विभागों द्वारा लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध अध्यादेश के अनुसार न तो सीटों का आवंटन किया गया है, न ही आनलाइन कोर्स कराया गया है। इससे शिक्षको एवं छात्रों दोनों को नुकसान उठाना पड़ा है। यहां तक कॉलेज के छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय आकर मौखिक परीक्षा देने के लिए दबाव बनाया जाता है। इस वजह लुआक्टा अनिश्चितकालीन धरना जारी है। इस धरने में चार जिलों के शिक्षक शामिल हैं।
अन्य ये हैं मांग
- लखनऊ विश्वविद्यालय से सह्युक्त लखीमपुर, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई के शिक्षिक साथियो को मूल्यांकन के समय ठहरने के लिए पृथक परीक्षा भवन आवास का निर्माण
- कक्ष निरीक्षक एवं परीक्षा मूल्यांकन के पश्चात तत्काल यात्रा भत्ता का भुगतान
- महाविद्यालयों के सभी प्रोफेसर को परिनियम में उल्लिखित व्यवस्था के अनुसार विश्वविद्यालय की सभी आकादमिक समितियों का सदस्य बनाये जाने,
- क्रीड़ा परिषद का गठन
- नए जिलों के जुड़ने के पश्चात शिक्षक कल्याण कोष में दी जाने वाली धनराशि का आवंटन 60:40 अनुपात के स्थान पर 80:20 के अनुपात में किये जाना
- महाविद्यालय के शिक्षकों को प्रोन्नति समिति सहित विभिन्न समितियो में संख्या के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व
- पीएचडी में प्रवेश के साथ ही शोधार्थी को शोध निदेशक दिये जाने एवं अनुदानित महाविद्यालयो में स्ववित्तपोषित
- महाविद्यालयो के छात्रों का परीक्षा केंद्र बनाये जाने के कारण उत्पन्न असुविधा का मुद्दा
- अर्थशास्त्र विभाग द्वारा पीएचडी अध्यादेश के विपरीत सीटों का आवंटन किया जाना
- शिक्षकों को आनलाइन कोर्स वर्क न कराये जाने