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एलयू शताब्दी समारोहः नौशाद व बेगम अख्तर आईं याद, जीवंत हुई शाम ए अवध
लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी वर्ष समारोह की पहली सांस्कृतिक संध्या में अवध के रंग और संस्कृति का अंदाज कुछ इस तरह से नजर आया कि चौदहवीं के चांद का रूप भी फीका नजर आए। मालिनी अवस्थी ने लोकगीतों की बानगी प्रस्तुत करके इस यात्रा को संगीतमय बना दिया।
लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी वर्ष समारोह की पहली सांस्कृतिक संध्या में अवध के रंग और संस्कृति का अंदाज कुछ इस तरह से नजर आया कि चौदहवीं के चांद का रूप भी फीका नजर आए। लोक गायिका मालिनी अवस्थी और साहित्यकार डॉ यतींद्र मिश्र ने सांस्कृतिक संध्या का शानदार शुभारंभ कर लोगों को एहसास करा दिया कि अवध की शान लखनऊ विश्वविद्यालय अपना शानदार शताब्दी वर्ष मना रहा है।
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रोशन -ए -चौकी का आयोजन
लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह के अवसर पर अवध -ए -शाम को सजाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत लखनऊ कला संकाय के प्रांगण में रोशन -ए -चौकी का आयोजन किया गया। चौकी को सजाने के लिए अवध के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.यतीन्द्र मिश्र एवम् लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने शिरकत की।
मालिनी अवस्थी के लोकगीतों की पस्तुति ने इस यात्रा को संगीतमय बना दिया
डॉ.यतीन्द्र मिश्र ने अवध के सांस्कृतिक इतिहास पर प्रकाश डालते हुए विकास यात्रा का परिचय दिया वहीं मालिनी अवस्थी ने लोकगीतों की बानगी प्रस्तुत करके इस यात्रा को संगीतमय बना दिया। अवधी लोक परम्परा को अमीर खुसरो से प्रारम्भ करके बेगम अख्तर के विभिन्न गीतों को प्रस्तुत किया।मालिनी ने जहां एक और अवधी लोकगीत सोहर, ब्याह, धमाल, नकटा, आदि प्रस्तुत किए वहीं मौसिकी, दादरा, कजरी, गजल आदि गीत प्रस्तुत किए।कार्यक्रम प्रारम्भ होने से पूर्व लखनऊ विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के निदेशक प्रोे.राकेश चंद्रा ने अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि के रूप में उत्तरप्रदेश सरकार की शिक्षा मंत्री सुश्री नीलम कटियार उपस्थित रहीं। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय ने अतिथियों का स्वागत एवम् आभार व्यक्त किया।
लखनऊ की अत्यंत समृद्ध धरोहर
इस मौके पर मालिनी अवस्थी ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को कहा की लखनऊ की अत्यंत समृद्ध धरोहर है। यदि धरोहर को संभाल सकें तो बहुत अच्छा होगा। स्वर कोकिला लता मंगेशकर की जीवनी लिखने वाले साहित्यकार यतींद्र मिश्र ने अवध के तथा आसपास से जुड़े हुए भिन्न लोकगायन के बारे में बताया। मालिनी अवस्थी ने अवधी शैली में "केसरिया बालमा मोरी बनरारे बनी" "सैया मिले लरकईयाँ मैं का करूं" सुनाया तो सभी लोग देर तक वाह-वाह करते रहे।
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अवध की शान मानी जाने वाली मशहूर गाय का बेगम अख्तर को याद करते हुए उन्होंने "हमरी अटरिया पर" " ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पर रोना आया" का गायन भी किया। बेगम अख्तर के जीवन के बारे में यतीन्द्र मिश्रा और मालिनी अवस्थी ने रोचक जानकारी भी साझा की। तलत मेहमूद, रौशन साहब के गीतों की बानगी भी प्रस्तुत की।
मालिनी अवस्थी ने बॉलीवुड में गाये गए कुछ अवध से सम्बंधित कुछ यशस्वी गीतकारों/संगीतकारों की लोकप्रिय रचनाएँ सुनाई जिसमे नौशाद साहब द्वारा रचा गया " मोहे पनघट पे नन्दलाल छेड़ गया रे " "तेरी महफ़िल में किस्मत आजमा कर हम भी देखेंगे" रहे। इसके अलावा "नजर लागी राजा तोहरे बंगले में " "उनको ये शिकायत है की हम कुछ नहीं कहते " दो सितारों का मिलन" "इन आँखों की मस्ती" का भी मनोरंजक प्रस्तुति श्रीमती अवस्थी ने दिया। कार्यक्रम का समापन "होरी खेलें रघुबीरा अवध में" द्वारा किया। अंत में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक राय ने दोनों कलाकारों को शाल और स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया ।
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अखिलेश तिवारी