UP: पावर कार्पोरेशन के इस प्रोजक्ट में हुआ बड़ा घोटाला, अभियंता संघ का आरोप

जब अभी तक विभाग बिना ईआरपी के चल रहा है और भविष्य में भी चल सकता है तो कोरोना काल के गम्भीर वित्तीय संकट में ऐसी फिजूलखर्जी का क्या औचित्य है।

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Published on: 30 July 2020 2:17 PM GMT
UP: पावर कार्पोरेशन के इस प्रोजक्ट में हुआ बड़ा घोटाला, अभियंता संघ का आरोप
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लखनऊ: यूपी के बिजली अभियन्ताओं ने पावर कॉरपोरेशन में करीब 250 करोड़ के ईआरपी प्रोजेक्ट को बिना किसी तैयारी, बिना आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किये पहली अगस्त से लागू करने के आदेश का विरोध किया है और इस प्रोजेक्ट को पूरी तैयारी करने के लिए एक साल तक स्थगित रखने की मांग की है।

बिजली अभियंताओं पावर कार्पोरेशन के प्रबंधन पर उठाए सवाल

बिजली अभियंताओं ने पावर कार्पोरेशन के प्रबंधन व आईटी सेल के कुछ लोगों द्वारा अपने चहेती फर्म को भुगतान करने की जल्दबाजी की जिद पर सवाल उठाते हुए इसे एक बड़ा घोटाला करार दिया है। बता दें कि पावर कारपोरेशन ने नई दिल्ली की फर्म एसेन्चर सल्यूशन्स प्रा.लि. के साथ वर्ष 2019 के फरवरी माह में ईआरपी प्रोजेक्ट के लिए करीब 250 करोड़ रुपये का अनुबन्ध किया था और अब कार्पोरेशन प्रबन्धन ने इसे आगामी पहली अगस्त से लागू करने के आदेश दिये हैं। इस संबंध में विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह व महासचिव प्रभात सिंह ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि ईआरपी साफ्टवेयर बनाना कोई राकेट साइंस नहीं है।

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वर्तमान में यह कई विभागों व संस्थानों में चालू है और विभागीय आवश्यकताओं के अनुसार इसमें मामूली परिवर्तन किया जाना होता है। वीपी सिंह ने बताया कि वर्तमान में इसी प्रकार का साफ्टवेयर महाराष्ट्र में 94.79 करोड़ रुपये में लागू किया गया। जबकि महाराष्ट्र में कुल उपभोक्ताओं की संख्या 2.73 करोड़ है और यूपी में कुल उपभोक्ताओं की संख्या 2.98 करोड़ है। इसके साथ ही देश के अन्य प्रदेशों में इस प्रकार के प्रोजेक्ट पर 60 से 70 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं।

कॉरपोरेशन प्रबंधन के आईटी सेल का मुख्य कार्य चाटुकारिता- अभियंता अध्यक्ष

वीपी सिंह ने कहा कि इससे पहले कार्पोरेशन की आईटी सेल में कार्यरत प्रबन्धन के चहेते अधिकारी द्वारा ऐप व पोर्टल आदि को बिना किसी परीक्षण के लागू कर दिया गया था जिसका खामियाजा आज तक प्रदेश के उपभोक्ता और अभियन्ता भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा कि पोर्टल को लागू किए हुए करीब 02 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज तक यह पोर्टल पूरी तरह से त्रुटिहीन नहीं हो पाया है। इसी तरह हेल्पडेस्क के पोर्टल पर मोबाइल फोन सुविधा उपलब्ध होने के बाद भी आज तक सुचारू रूप में कार्यरत न होने से उपभोक्ताओं और अभियन्ताओं को सही सूचना प्राप्त नहीं हो पाती है। अभियंता संघ अध्यक्ष ने कहा कि कार्पोरेशन प्रबन्धन ने ईआरपी, ऐप व पोर्टल आदि कार्यों के लिए अपने सीधे नियंत्रणाधीन अधीक्षण अभियन्ता (ईएण्डएम) के तहत तथाकथित आईटी सेल बना रखा है।

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जिसका मुख्य कार्य प्रबन्धन की चाटुकारिता व अधीनस्थों का उत्पीड़न करते हुए सरकारी धन की लूट व भ्रष्टाचार करना है। जिसका जीता-जागता उदाहरण 250 करोड़ रुपये का ईआरपी प्रोजेक्ट व विभिन्न ऐप व पोर्टल है। उन्होंने कहा कि ईआरपी लागू करने की जल्दबाजी के कारण फर्म के बैंगलोर व मुम्बई में बैठे प्रतिनिधियों के द्वारा मोबाईल पर वीडियो कॉलिंग और गूगल मीट आदि के माध्यम से ऑनलाइन ट्रेनिंग दिये जाने की खानापूर्ति की जा रही है। जबकि अनुबन्ध के अन्तर्गत फर्म के प्रतिनिधियों को प्रत्येक सर्किल में जाकर वहां कई दिन की ट्रेनिंग देने का प्राविधान है।

ईआरपी कोरोना काल में फिजूलखर्जी- अभियंता अध्यक्ष

अभियंता अध्यक्ष वीपी सिंह ने कहा कि जब अभी तक विभाग बिना ईआरपी के चल रहा है और भविष्य में भी चल सकता है तो कोरोना काल के गम्भीर वित्तीय संकट में ऐसी फिजूलखर्जी का क्या औचित्य है। उन्होंने कहा कि प्रबन्धन के चहेते आईटी सेल के प्रभारी ने अपने अधीन लगभग 40 सहायक अभियन्ताओं को तैनात करा रखा है जबकि क्षेत्रों में व अन्य कार्यालयों में उपखण्ड अधिकारी और सहायक अभियन्ताओं की आवश्यकता है।

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इतना ही नहीं आईटी सेल प्रभारी ने अपने लिए कार्पोरेशन में निदेशक (आईटी) के पद का सृजन भी करवा लिया है तथा अर्हता शर्तें भी अन्य निदेशकों से अलग बनवाई हैं जिनसे उनका ही चयन किया हो सके और अपने ऊपर किसी मुख्य अभियन्ता की भी तैनाती नहीं होने दे रहे है जबकि मुख्य अभियन्ता का पद रिक्त चल रहा है।

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