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Mohan Bhagwat Lucknow Visit: जुलाई में 5 दिवसीय लखनऊ प्रवास पर आ रहे हैं संघ प्रमुख, बड़े बीजेपी नेताओं से मुलाकात संभव
Mohan Bhagwat Lucknow Visit: भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। धीरे-धीरे संघ परिवार के बाकी संगठन भी ग्राउंड पर एक्टिव हो रहे हैं। आम चुनाव की चल रही तैयारियों के बीच अगले माह यानी जुलाई में सत्तारूढ़ बीजेपी के पितृ संगठन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत लखनऊ प्रवास पर आ रहे हैं।
Mohan Bhagwat Lucknow Visit: भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। धीरे-धीरे संघ परिवार के बाकी संगठन भी ग्राउंड पर एक्टिव हो रहे हैं। आम चुनाव की चल रही तैयारियों के बीच अगले माह यानी जुलाई में सत्तारूढ़ बीजेपी के पितृ संगठन आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत लखनऊ प्रवास पर आ रहे हैं। भागवत अपने इस दौरे के दौरान पांच दिन राजधानी में बिताएंगे। खबरों के मुताबिक, इस दौरान उनके संघ और बीजेपी के सीनियर नेताओं के साथ बैठकें हो सकती हैं।
मोहन भागवत संघ के पूर्वी क्षेत्र की कार्यकारिणी के साथ – साथ पूर्वी क्षेत्र में स्थित अवध, काशी, गोरक्ष और कानपुर प्रांत की बैठक भी लेंगे। इस क्षेत्र में संगठन की ओर से चलाए जा रहे कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे। भागवत इस दौरान प्रबुद्ध वर्ग के लोगों से भी मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, नागपुर मुख्यालय से कार्यक्रम का ब्यौरा जारी नहीं किया गया है। लेकिन पूर्वी क्षेत्र के पदाधिकारियों ने उनके दौरे की तैयारी शुरू कर दी है।
बीजेपी नेताओं से मुलाकात
2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से सात माह पहले उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया का आगमन काफी कुछ बयां करता है। हर राज्य की तरह यहां भी मोहन भागवत बीजेपी के सीनियर नेताओं से मुलाकात करेंगे। इस दौरान उनकी नेताओं से आगामी चुनाव को लेकर चर्चा हो सकती है। इसके अलावा वे अपना फीडबैक भी साझा करेंगे। जानकारों की मानें तो मोहन भागवत के दौरे के बाद संघ और इससे जुड़े अन्य संगठन के कार्यकर्ता बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सक्रिय हो जाएंगे।
संघ की सलाह के बाद शुरू हुआ जनसंपर्क अभियान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बीजेपी शासित राज्यों को समय-समय पर जरूरी फीडबैक देता रहता है। पिछले दिनों संघ ने यूपी बीजेपी को भी ऐसी ही एक सलाह दी थी। संघ ने प्रदेश नेतृत्व और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत समन्यव की वकालत की थी। जिसके बाद टिफिन पे चर्चा और महाजनसंपर्क अभियान जैसे कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की गई। ताकि प्रदेश नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच बेहतर संवाद कायम हो सके।
अक्सर देखा गया है कि सत्ता में रहने वाली पार्टियां चुनाव इसलिए भी हारती हैं क्योंकि उनका ग्राउंड वर्कर से संपर्क एक तरह से कट जाता है। चुनाव के दौरान पार्टी के लिए खून पसीना बहाने वाले कार्यकर्ता अपनी सुनवाई न होने के कारण उपेक्षित महसूस करने लगते हैं और जिसकी खामियाजा पार्टी को हार के रूप में भुगतना पड़ता है।