TRENDING TAGS :
Lucknow News: यूपी सहायक शिक्षक भर्ती घोटाला, अभ्यर्थी शुक्रवार को राजधानी में करेंगे प्रदर्शन, कोर्ट में 22 को सुनवाई
Lucknow News: सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण व अन्य मामलों को लेकर वंचित अभ्यर्थियों ने घोटाले का आरोप लगाकर न्यायालय में गुहार लगाई थी। सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षित पीड़ित अभ्यर्थी लखनऊ में देंगे धरना।
Lucknow News: यूपी में हुए सहायक शिक्षक भर्ती घोटाले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ अभ्यर्थियों ने अब आंदोलन की चेतावनी दी है। कहा है कि सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। न्यायालय को भी भ्रमित करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में अभ्यर्थी एकजुट होकर लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करेंगें। ऐसे में कानूनी लड़ाई लड़ अभ्यर्थियों ने शुक्रवार को राजधानी में प्रदर्शन करने का एलान किया है। ये जानकारी पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता राजेश चौधरी ने दी, हालांकि प्रदर्शन कहां होगा, इस बारे में उन्होंने अभी नहीं बताया। उन्होंने ये भी जानकारी दी कि हाईकोर्ट में चल रहे इस मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त की होगी।
शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया पर उठे थे सवाल
सहायक शिक्षक भर्ती में आरक्षण व अन्य मामलों को लेकर वंचित अभ्यर्थियों ने घोटाले का आरोप लगाकर न्यायालय में गुहार लगाई थी। लेकिन वंचित अभ्यर्थियों का कहना है कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण का घोटाला हुआ है। इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 फ़ीसदी की जगह 3.80 फ़ीसदी एवं एससी वर्ग को 21 फ़ीसदी की जगह 16.2 फ़ीसदी आरक्षण दिया गया है। आरोप है कि इस प्रकार इस भर्ती में बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का उल्लंघन हुआ है।
सरकार नहीं मान रही न्यायालय के आदेश
अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार ने 13 मार्च के लखनऊ हाईकोर्ट सिंगल बेंच के दिए गए आदेश का पालन न करके इस भर्ती में ट्रांसफर के आदेश जारी कर दिए, जो पूरी तरह से गलत है। क्योंकि यदि लिस्ट को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार मूल चयन सूची के रूप में बनाया जाता तो गलत तरीके से नियम विरूद्ध लगाए गए तमाम अभ्यर्थी ट्रांसफर की लिस्ट से बाहर ही नहीं होंते। बल्कि इस भर्ती प्रक्रिया से भी हमेशा के लिए बाहर हो जाते। इस प्रकार गलत तरीके से लगाए गए 19000 ऐसे अभ्यर्थियों को इस भर्ती प्रक्रिया से पूरी तरह से बाहर का रास्ता देखना पड़ता। जिन्हें इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल होना ही नहीं चाहिए था।
मूल चयन सूची को सार्वजनिक करने की मांग
वंचित अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार द्वारा आरक्षण घोटाला करके गलत तरीके से चयनित कर दिया गया, जो पूरी तरह से गलत है। आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है, जो सरकार इस भर्ती की मूल चयन सूची को छुपा रही है। जिसे ना तो कोर्ट में पेश कर रही है और ना ही विभाग की साइट पर अपलोड किया जा रहा।
ये मांग कर रहे प्रक्रिया से जुड़े अभ्यर्थी
पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा की महिला सभा सचिव दीपशिखा ने कहा कि लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच 13 मार्च, 2023 को उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दे चुकी है कि इस 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की एक जून 2020 को प्रकाशित लिस्ट को 3 महीने के अंदर मूल चयन सूची के रूप में बनाई जाए तथा उस लिस्ट में ओबीसी वर्ग का 27 फ़ीसदी एवं एससी वर्ग का 21 प्रतिशत आरक्षण दिखाया जाए और साथ ही साथ आरक्षित वर्ग के कितने अभ्यर्थियों की बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 तथा आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करते हुए ओवरलैपिंग कराई गई है, यह भी दिखाई जाए। लेकिन लखनऊ हाईकोर्ट सिंगल बेंच द्वारा दिए गए 3 महीने की समय सीमा बीत जाने के बावजूद भी सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया और आज 4 महीने से अधिक का समय बीत गया, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने आज तक इस भर्ती की मूल चयन सूची नहीं बनाई। पिछड़ा दलित संयुक्त मोर्चा के प्रदेश सचिव पुष्पेंद्र सिंह जेलर का कहना है कि इस भर्ती में आरक्षित वर्ग ओबीसी के 28978 अभ्यर्थियों की आरक्षण नियमावली 1994 के तहत ओवरलैपिंग कराई जानी थी। लेकिन मात्र 13007 अभ्यर्थियों की ही ओवरलैपिंग कराई गई है। जो पूरी तरह से गलत है और इस प्रकार ओबीसी वर्ग के 15971 अभ्यर्थियों की ओवरलैपिंग नहीं कराई गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में आरक्षण मामला आने के बावजूद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल एवं बेसिक शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई आज तक नहीं की गई। इस मामले पर वंचित वर्ग के अभ्यर्थियों की बैठक में भास्कर सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, राजेश चौधरी, दीपशिखा, नितिन पाल, विजय वेद, रामविलास यादव, अनुपम यादव, दीपक शाक्य आदि मौजूद थे।