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Atiq Murder: राजनीति व क्राइम का कॉकटेल था अतीक! विधानसभा, संसद से लेकर जेल तक पड़ते थे कदम, दर्ज थे 100 से ज्यादा केस

Atiq Ahamd Murder: राजनीति और क्राइम की दुनिया का बड़ा नाम बन चुके अतीक अहमद पर खुद 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे। जिनमें हत्या, अपहरण, व्यापारियों से उगाही, हत्या का प्रयास जैसे जघन्य मामले शामिल थे। पुलिस सूत्र बताते हैं कि अतीक के गैंग में करीब 150 चिन्हित सक्रिय सदस्य हैं।

Dhanish Srivastava
Published on: 16 April 2023 6:55 PM IST
Atiq Murder: राजनीति व क्राइम का कॉकटेल था अतीक! विधानसभा, संसद से लेकर जेल तक पड़ते थे कदम, दर्ज थे 100 से ज्यादा केस
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माफिया अतीक अहमद ( सोशल मीडिया)

Atiq Ahamd Murder: खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में राजनीति का अपराधीकरण और अपराध की राजनीति दोनों नई बात नहीं रही है। यूपी में अतीक अहमद के अलावा के मुख्तार अंसारी, बृजेश सिंह, अभय सिंह, धनंजय सिंह अपराध से राजनीति में आए कुछ बड़े नाम रहे हैं। जबकि बिहार में अनंत सिंह, पप्पू यादव और आनंद मोहन सिंह ऐसे कुछ बड़े नाम हैं। बिहार में ये फेहरिस्त लंबी है, वहां की मौजूदा विधानसभा में करीब 70 फीसदी ‘माननीयों’ पर कोई न कोई आपराधिक मामला दर्ज है। बात अगर अतीक की करें, तो 35 साल के अपने आपराधिक और राजनीति के इतिहास में अतीक अहमद ने क्राइम में कोई कसर छोड़ी न राजनीति में। राजनीतिक दलों ने भी वोटबैंक की राजनीति के चलते उसे खूब पाला पोसा।

1989 में बना था पहली बार विधायक

80-90 के दशक में अतीक अहमद एक तरफ जरायम की दुनिया में नाम कमा रहा था, साथ ही उसने ‘पावर’ में आने का फैसला भी कर लिया था। उसने तत्कालीन इलाहाबाद पश्चिमी सीट से निर्दलीय विधायकी का चुनाव लड़ा और आश्चर्यजनक रूप से इसमें जीत हासिल। इसके बाद उसने पहली बार यूपी विधानभवन के अंदर बतौर विधायक कदम रखा।

चांद बाबा की हत्या का आरोप

जब पहली बार 1989 में अतीक अहमद चुनाव लड़ रहा था, तब उनके प्रतिद्वंदी के रूप में चांद बाबा नाम के प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। इस चुनाव में जीत अतीक को मिली लेकिन इसके कुछ दिनों के बाद चांद बाबा का खुलेआम मर्डर कर दिया गया था। इस हत्या का आरोप अतीक अहमद पर लगा था।

1996 में समाजवादी पार्टी ने दिया टिकट

इसके बाद के 1991 और 1993 के दो विधानसभा चुनावों में अतीक अहमद फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीतकर विधायक बना। अब तक अतीक की राजनीतिक ताकत का अंदाजा राजनीतिक पार्टियों को हो चुका था। राजनीति और समुदाय विशेष के एक तबके में अतीक की बढ़ती ताकत को देख अतीक अहमद को समाजवादी पार्टी ने 1996 के विधानसभा का टिकट दिया। अतीक ने सपा के टिकट पर जीत हासिल की। इसके बाद वो समाजवादी पार्टी के तत्कालीन शीर्ष नेतृत्व की ‘आंखों का तारा’ बन गया। हालांकि बाद में लगातार आपराधिक घटनाओं में नाम आने के बाद सपा से अलग कर दिया गया था।

‘अपना दल’ में हुआ शामिल

सपा से अलग होने के बाद अतीक अहमद अपना दल में शामिल हो गया। 2002 के विधानसभा में अतीक ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट ‘अपना दल’ से लड़कर जीती और विधायक बना। 2002 में फिर विधायक बनने के बाद उसने 2004 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा। उसको तत्कालीन इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट से जीत हासिल हुई। उसने दिल्ली की भारतीय संसद में बतौर सांसद कदम रखा। उसके सांसद बनने के बाद खाली हुई विधायकी की सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें उसका भाई अशरफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गया।

बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड का आरोप

राजूपाल ने अतीक के भाई को विधानसभा उपचुनाव में हराया था। 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड का आरोप भी अतीक अहमद पर लगा था। जिसके बाद सपा ने उससे किनारा कर लिया। लेकिन उसका राजनीतिक और जरायम की दुनिया में सफर जारी रहा। 2014 में अतीक ने फिर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उसे भाजपा प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा था।

‘गैंग ऑफ अतीक’ में डेढ़ सौ सदस्य

राजनीति और क्राइम की दुनिया का बड़ा नाम बन चुके अतीक अहमद पर खुद 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे। जिनमें हत्या, अपहरण, व्यापारियों से उगाही, हत्या का प्रयास जैसे जघन्य मामले शामिल थे। पुलिस सूत्र बताते हैं कि अतीक के गैंग में करीब 150 चिन्हित सक्रिय सदस्य हैं। जो विभिन्न आपराधिक घटनाओं में शामिल रहे हैं। Umesh Pal Murder Case के बाद अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटे असद, सहयोगी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और नौ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। झांसी में एसटीएफ से एनकाउंटर के दौरान 13 अप्रैल 2023 को उसका बेटा असद और उसका साथी गुलाम मार गिराया गया था। इसके दो दिन बाद 16 अप्रैल 2023 को अतीक अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का पुलिस अभिरक्षा में मर्डर कर दिया गया। इस मामले की पुलिस गहराई से तफ्तीश में जुटी है।



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