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Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार के परिवार का रहा है गौरवशाली इतिहास, दादा स्वतंत्रता सेनानी तो नाना थे महावीर चक्र विजेता

Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी के पूर्वांचल खासकर गाजीपुर के इलाके में दबदबे की वजह उसका खौफ नहीं बल्कि उसके परिवार का गौरवशाली इतिहास रहा है। हालांकि, निश्चित तौर पर अब वो चीजें नहीं रहीं।

Krishna Chaudhary
Published on: 5 Jun 2023 9:07 PM IST (Updated on: 6 Jun 2023 2:57 AM IST)
Mukhtar Ansari: माफिया मुख्तार के परिवार का रहा है गौरवशाली इतिहास, दादा स्वतंत्रता सेनानी तो नाना थे महावीर चक्र विजेता
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माफिया मुख्तार के दादा स्वतंत्रता सेनानी तो नाना थे महावीर चक्र विजेता: Photo- Social Media

Mukhtar Ansari: माफिया डॉन और कुख्यात बाहुबली राजनेता मुख्तार अंसारी काफी दिनों से सुर्खियों में बना हुआ है। बांदा जेल में बंद मुख्तार की हर एक दो-दिन पर किसी न किसी मामले में विभिन्न अदालतों में पेशी होती है। इसके अलावा केंद्रीय एजेंसियां भी उसके काले साम्राज्य की जड़ें खोदने में लगी हुई हैं। पिछले तीन दशक से अधिक समय से जरायम की दुनिया में सक्रिय रहकर उसने जो गुनाह किए, एक-एक कर उसका हिसाब योगी राज प्रारंभ होने के बाद लिया जा रहा है।

सबसे पहले योगी सरकार उसे पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी लाई और फिर उसपर कानूनी शिकंजा कसना शुरू कर दिया। पांच बार का विधायक मुख्तार बीते 18 सालों से सलाखों के पीछे है। उसके ऊपर हत्या, अपहरण, जबरन वसूली समेत 40 से अधिक संगीन मामले दर्ज है। पूरे पूर्वांचल में उसका रूतबा ये था कि वो जेल में बैठे विधानसभा का चुनाव जीत जाया करता था। सियासी पार्टियां उसका सपोर्ट हासिल करने के लिए उसके गुनाहों पर अपनी आंखें मुंद लिया करती थीं।

पहली बार मिली है उम्रकैद की सजा

तीन दशक पहले अपराध की दुनिया में कदम रखने वाली माफिया मुख्तार अंसारी को साल 2022 में पहली बार किसी मामले में दोषी ठहराते हुए अदालत ने सजा सुनाई थी। 22 सितंबर 2022 को जेलर को धमकाने के मामले में उसे सात साल की सजा सुनाई गई थी। अगले दिन यानी 23 सितंबर को 23 साल पुराने गैंगस्टर एक्ट में उसे पांच साल की सजा सुनाई गई। 15 दिसंबर 2022 को एडिशनल एसपी पर हमले के केस में 10 साल की सजा और अप्रैल 2023 में गैंगस्टर एक्ट के दो केसों में उसे 10-10 साल की सजा सुनाई गई।

अवधेश राय हत्याकांड में आज यानी सोमवार 5 जून 2023 को वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट ने उसे 1 लाख रूपये के जुर्माने के साथ उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह ऐसा मामला है, जिसमें कुख्यात बाहुबली राजनेता मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 2 अगस्त 1991 को हमलावरों ने पूर्व मंत्री अवधेश राय को उनके घर के बाहर गोलियों से छलनी कर दिया था। इस हत्याकांड में मुख्तार को दोषी करार दिया गया है।

मुख्तार के परिवार का इलाके में रहा है वर्चस्व

मुख्तार अंसारी के पूर्वांचल खासकर गाजीपुर के इलाके में दबदबे की वजह उसका खौफ नहीं बल्कि उसके परिवार का गौरवशाली इतिहास रहा है। हालांकि, निश्चित तौर पर अब वो चीजें नहीं रहीं। लेकिन इलाके के पुराने लोग अब भी मुख्तार के परिवार के उस अतीत को याद करते हैं। जिसे जानकर कोई भी ये पहली बार मानने से इनकार कर देगा कि मुख्तार जैसा कुख्यात अपराधी उस परिवार का उत्तराधिकारी है। आजादी के पहले से मुख्तार के परिवार का इलाके में सियासी रसूख रहा है। वर्तमान में भी उस लीगेसी का फायदा किसी न किसी रूप में माफिया के परिवार को जरूर मिल रहा है। यही वजह है कि इतने संगीन आरोपों में गिरने के बावजूद उसके परिवार के सदस्य विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में रहे हैं। वर्तमान में उसका बेटा और भतीजा विधायक है। बड़ा भाई अफजाल अंसारी भी हाल तक यानी गैंगस्टर केस में सजा सुनाए जाने के पहले तक गाजीपुर से बीएसपी के सांसद हुआ करते थे। अब उनकी सदस्यता छिन चुकी है।

मुख्तार के परिवार का रहा है गौरवशाली इतिहास

बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते थे। 1926-27 के दौरान वे कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। वे गांधीजी के काफी करीबी थे। दिल्ली में उनके नाम पर एक सड़क भी है।

महावीर चक्र विजेता थे नाना

मुख्तार अंसारी के नाना महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर उस्मान मुख्तार अंसारी भी एक नामचीन हस्ती रहे हैं। 1947 की जंग में उन्होंने भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ नौशेरा सेक्टर में लड़ाई लड़ी थी और हिंदुस्तान को जीत दिलाई थी। ब्रिगेडियर उस्मान इस जंग में वीरगति को प्राप्त हुए थे।

पिता थे इलाके के बड़े वामपंथी नेता

दादा और नाना की तरह मुख्तार के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी ने भी अपने परिवार के मान को आगे बढ़ाया। वे इलाके में बड़े वामपंथी नेता के तौर पर जाने जाते थे। उनकी साफ-सुथरी छवि के कारण ही 1971 में उन्हें नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध चुन लिया गया था। इतना ही नहीं देश के पूर्व उपराष्ट्रपति और जाने-माने डिप्लोमेट रहे हामिद अंसारी भी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा लगते हैं। पूर्वांचल और खासकर मऊ-गाजीपुर के इलाके में अंसारी परिवार के दबदबे की बड़ी वजह इसी समृद्ध विरासत को माना जाता है।

बेटा अब्बास भी रह चुका है नेशनल चैंपियन

मऊ सदर से सुभासपा विधायक और मुख्तार अंसारी के बड़े बटे अब्बास अंसारी भले फिलहाल जेल में बंद हो लेकिन उसने भी अपराध की दुनिया में कदम रखने से पहले परिवार का नाम रौशन किया है। अब्बास शॉट गन शूटिंग के इंटरनेशनल प्लेयर रह चुके हैं। नेशनल चैंपियन रह चुके अब्बास कभी दुनिया के टॉप टेन शूटरों में शामिल रहे थे। दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारत की ओर से खेलकर उन्होंने पदक जीता है।

बेटा-बहू जेल, पत्नी और छोटा बेटा फरार

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के परिवार की वर्तमान स्थिति लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर देती है कि इतनी होनहार लोगों का खानदान आखिर कैसे अपराधों का सिरमौर बन गया। आज मुख्तार अंसारी खुद बांदा जेल में बंद है। उसका बड़ा बेटा अब्बास कासगंज जेल में और उसकी पत्नी यानी मुख्तार की बहू निकहत चित्रकूट जेल में बंद है। वहीं, मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी और छोटा बेटा उमर अंसारी फरारी काट रहे हैं। मुख्तार की पत्नी पर तो पुलिस 75 हजार रूपये का इनाम घोषित कर चुकी है।



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