TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

मनकामेश्वर मंदिर में महंत देव्या गिरि, किया शिवोहम और रुद्राष्टकम् का विमोचन

महा शिवरात्रि के अवसर पर आज यहाँ मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि जी ने शिवोहम और रुद्राष्टकम आडियो कैसेट के पोस्टर का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में नंदी के साथ ही गौ माता का भी विशेष महत्व है।

Newstrack
Published on: 11 March 2021 7:54 PM IST
मनकामेश्वर मंदिर में महंत देव्या गिरि, किया शिवोहम और रुद्राष्टकम् का विमोचन
X
मनकामेश्वर मंदिर में महंत देव्या गिरि, किया शिवोहम और रुद्राष्टकम् का विमोचन

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: महा शिवरात्रि के अवसर पर आज यहाँ मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि जी ने शिवोहम और रुद्राष्टकम आडियो कैसेट के पोस्टर का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में नंदी के साथ ही गौ माता का भी विशेष महत्व है। व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए गौ माता का संरक्षण और सम्मान बेहद जरूरी है। उन्होने राज्य सरकार से गौ माता को राज्यमाता का दर्जा दिए जाने की मांग की है।

मनकामेश्वर मंदिर प्रांगण में विमोचन कार्यक्रम

लोक परमार्थ सेवा समिति व रेव म्यूजिक के तत्वावधान में मनकामेश्वर मंदिर प्रांगण में किए गये विमोचन कार्यक्रम मे महंत जी के अलावा तमाम श्रद्धालु और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इस सम्बंध मे लोक परमार्थ सेवा समिति के सेवादार लालू भाई ने बताया कि शिव स्तुति के दोनों भजनों का संगीत सचिन चौहान और स्वर शालिनी श्रीवास्तव तथा परिकल्पना रवि भाटिया की है।

ये भी पढ़ें: CM योगी की शिवपूजा: महाशिवरात्रि पर पहुंचे गोरखपुर, मंदिर में किया जलाभिषेक

उल्लेखनीय है कि शिवोऽहम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित निर्वाण षटकम से आया है - जिसमें 6 श्लोक आये हैं। पहले श्लोक में बताया गया है कि शिवोऽहम् अर्थात "मैं मन, बुद्धि, अहंकार और चित्त नहीं हूं, न मैं कान, जिह्वा, नाक और नेत्र हूं । न मैं व्योम (आकाश), भूमि, तेज और वायु ही हूं, मैं तो चित्त का आनंद स्वरूप हूँ। शिव का यदि भगवान् शब्द हटा दिया जाए तो, शिव का पहला अर्थ होता है - शुभ, मांगलिक, सौभाग्यशाली। सो शिवोऽहम् का तात्पर्य है - मैं शुभ हूँ, मैं मंगलकारी हूँ।

ये भी पढ़ें: चम्बल पुल हुआ जर्जरः यूपी-एमपी को जोड़ता है, आवागमन में हो रही परेशानी

तुलसीदासजी ने रुद्राष्टकम् स्तोत्र की रचना की थी

बताते चलें कि तुलसीदासजी ने भगवान् शिव की स्तुति के लिए रुद्राष्टकम् स्तोत्र की रचना की थी। गोस्वामी तुलसी दास जी के,श्री रामचरितमानस के उत्तर कांड में, रुद्राष्टकम स्तोत्र का उल्लेख आता है। रुद्राष्टकम स्तोत्र में, शिवजी के रूप, गुण और कार्यों का वर्णन किया गया है। जो मनुष्य रुद्राष्टकम स्तोत्र को भक्तिपूर्वक पाठ करते हैं, भोलेनाथ उन से प्रसन्न होते हैं।

उस मनुष्य के सभी दुःख दूर हो जाते है, और जीवन में सुख शांति आती है। भगवान शंकर की आराधना करने से, दु:ख दूर होते है और व्यक्ति का मन भी शांत और संतुलित रहता है। भगवान् शिव को महादेव भी कहते है, अर्थात सबसे बड़े भगवान। इसलिये शिव आराधना करने के बाद कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं होती है।

दोस्तों देश दुनिया की और को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story