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महराजगंज सदर MLA जयमंगल कन्नौजियाः माँ ने कपड़े धोकर पाला

विधायक जयमंगल कन्नौजिया का कहना है कि नेताओं का भी अपना परिवार होता है। हमारा भी व्यक्तिगत काम है। निजी जीवन है। परिवार के साथ होटल में भोजन की फोटो को गलत तरीके से वायरल करना निजता का उलंघन है। निजी जीवन में झांकना किसी के लिए ठीक नहीं है।

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Published on: 31 Aug 2020 3:26 PM IST
महराजगंज सदर MLA जयमंगल कन्नौजियाः माँ ने कपड़े धोकर पाला
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महराजगंज सदर MLA जयमंगल कन्नौजियाः माँ ने कपड़े धोकर पाला

देश और प्रदेश के अंतिम जिले महराजगंज की सदर विधानसभा सीट को लेकर नागरिक कहते हैं कि दशकों से सुरक्षित सीट होने के चलते यहां विकास नहीं हुआ है। जिला मुख्यालय रेल लाइन से नहीं जुड़ा है। इतना ही नहीं जिले में रोडवेज के दो डिपो हैं, लेकिन लंबे समय तक बसों पर महराजगंज नहीं लिखा होता था।

जयमंगल शुरू से संघ के कार्यकर्ता रहे। आठवीं पास जयमंगल कन्नौजिया विधानसभा सीट के पिछड़ेपन को लेकर बनी धारणा को बदलने का दावा करते हैं।

उनका दावा है कि साढ़े तीन साल के कार्यकाल में उतना विकास हुआ, जितना जिला बनने के बाद कभी नहीं हुआ था। हालांकि विधायक अधूरे विकास कार्यों का ठीकरा कोरोना आपदा पर फोड़ कर साफ निकलना चाहते हैं।

नगर पालिका चेयरमैन चुनाव में जीत के साथ सियासी सफर शुरू करने वाले कन्नौजिया को सांसद पंकज चौधरी का शार्गिद माना जाता है। उनकी पत्नी भी एक बार नगर पालिका की चेयरमैन रह चुकी हैं।

विधायक जितना दावा कर रहे हैं उतना पूरा हो जाता तो वास्तव में महराजगंज सदर सीट की तस्वीर बदल गई होती। विधायक के साढ़े तीन साल के कार्यकाल, भविष्य की योजनाओं और उनपर लगने वाले आरोपों को लेकर न्यूजट्रैक/अपना भारत साप्ताहिक की गोरखपुर संवाददाता पूर्णिमा श्रीवास्तव ने लंबी बात की।

विधायक ने पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र से लेकर आपसी खींचतान को लेकर सवाल बात की। विधायक ने सभी सवालों का बेबाकी से जवाब दिया। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश।

नगर पंचायत चेयरमैन से लेकर विधायक बनने तक का अनुभव कैसा रहा?

संघ परिवार से बचपन से जुड़ा था। 1992 में श्रीराम मंदिर आंदोलन से जुड़ गया। महराजगंज में दुर्गा मंदिर परिसर में कारसेवा को जाने को लेकर मीटिंग कर रहे थे, इसी दौरान पुलिस से मुझे और मेरे साथियों को गिरफ्तार कर लिया।

BJP MLA Jaymangal Kannaujia in a photo session

इसके बाद 52 दिनों तक हम लोग आजमगढ़ जेल में बंद रहे। वहां से लौटा तो भाजपा की सक्रिय राजनीति करने लगा। पार्टी ने मुझे नगर मंत्री बनाया। नगर सूचना मंत्री के बाद महामंत्री बना।

वर्ष 1995 में पार्टी ने मुझे महराजगंज नगर पालिका के चेयरमैन पद का प्रत्याशी घोषित किया। अच्छे वोटों के अंतर से चुनाव जीता। इसके बाद पार्टी ने महिला सीट होने के चलते 2005 में मेरी पत्नी को टिकट दिया।

पत्नी भी चुनाव जीतीं। जिला कार्यकारिणी में कोषाध्यक्ष के पद पर रहा। संघ का सक्रिय कार्यकर्ता होने से बराबर संघ जाता रहा। जिससे राष्ट्रवादी सोच के साथ विकास की गाड़ी को आगे बढ़ा रहा हूं।

आप सिर्फ आठवीं तक ही पढ़े हैं। सदन से लेकर क्षेत्र में दिक्कत नहीं होती है?

-सच है कि मैंने सिर्फ आठवी तक की पढ़ाई की है। किताबी ज्ञान भले ही कम हो, लेकिन समाज मे लोगों के बीच रहकर काफी कुछ सीखा है। राजनीति में यही अनुभव काम आ रहा है।

बमुश्किल एक साल की उम्र थी जब पिताजी का स्वर्गवास हो गया था। मां ने लोगों के गंदे कपड़े धुलकर मुझे पाला। सरकारी स्कूल में किसी तरह आठवीं तक की पढ़ाई की।

परिवार की जिम्मेदारियों के निवर्हन में पढ़ाई आगे नहीं जारी रख सका। लेकिन परिवार से लेकर क्षेत्र में शिक्षा में संसाधन और समग्र विकास मेरा प्रमुख एजेंडा है। हर गरीब के दर्द के लिए परेशान रहता हूं।

विधानसभा की जनता ने मुझे रिकार्ड 1.31 लाख वोट देकर जिताया था। यह ऋण सूद समेत जनता को वापस कर रहा हूं।

परिवार गरीब था, राजनीति में इस मुकाम पर कैसे पहुंचे?

राजनीतिक सफर में शून्य से शिखर तक पहुंचाने का श्रेय जिले के लोकप्रिय सांसद पंकज चौधरी को जाता है। वे छह बार के सांसद है। कभी दूसरे दल में जाने का उन्होंने सोचा भी नहीं।

उन्हीं के आशीर्वाद से राजनीति को समाजसेवा का माध्यम मानकर काम कर रहा हूं।

महराजगंज का नाम आते ही पिछड़ेपन आ अहसास होता है। कुछ दिनों पहले तक जिलाधिकारी कार्यालय भी ग्राम सभा में आता था?

महराजगंज वास्तव में पिछड़ा हुआ जिला था, लेकिन जबसे केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, स्थितियां तेज़ी से बदली हैं। नगर पालिका क्षेत्र का विस्तार होने से कई गांव शहरी क्षेत्र में शामिल हुए हैं।

जिलाधिकारी कार्यालय नगर पालिका का हिस्सा है। पूरे जिले में सड़कों का जाल बिछ रहा है। पांच साल पहले महराजगंज आने वाला व्यक्ति विकास देखकर चौराहों को भूल जाएगा। अब नए-नए माइल स्टोन बने हैं।

BJP MLA Jaymangal Kannaujia at innauguration

महराजगंज सांसद पंकज चौधरी के प्रयास से एनएचएआई का कई किलोमीटर लंबा काम हुआ है। महराजगंज से निचलौल के साथ ही चौक की तरफ टूटी सड़क के चलते कोई जा नहीं पाता था।

यहां सात मीटर चौड़ी सड़क बनी है। महराजगंज-शिकारपुर-घुघली सड़क बनी है। पुरैना से निचलौल तक की सड़क का टेंडर हो गया है। बिजली की दिक्कत से महराजगंज के कई इलाके जूझ रहे थे।

जिले के गोपाला में 10 एकड़ जमीन में 220 केवीए का सब स्टेशन बन कर तैयार है। जनवरी में इसका लोकार्पण होगा। कटहरा और सोनाड़ी देवी मंदिर का पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया गया है।

भाजपा के विधायक प्रशासन से लड़ रहे हैं। आपस मे विरोध की बातें खूब सुनी जा रही है। गोरखपुर में तो भाजपा के विधायक सांसद आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। महराजगंज भी अछूता नहीं है। ऐसे में भाजपा में आंतरिक लोकतंत्र कहीं गायब होता नहीं दिख रहा है?

नहीं, कम से कम महराजगंज में तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। जिले के चारों विधायक एक मत हैं। सभी सांसद पंकज चौधरी के दिशा-निर्देशन में विकास कार्यों को लेकर सामूहिक निर्णय ले रहे हैं।

रही बात आंतरिक लोकतंत्र की। मैं दावे से कह सकता हूं कि इसी पार्टी में लोकतंत्र है। तभी तो मेरे जैसा गरीब व्यक्ति भी विधानसभा में पहुंचा।

भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष से लेकर बूथ तक के कार्यकर्ता लोकतांत्रिक तरीके से बदलते हैं। रही बात प्रशासन के अधिकारियों से तालमेल की, यहाँ कोई दिक्कत नहीं है।

दलबदल पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है। आपके जिले के ही विधायक कई दलों में रहे हैं?

दूसरों के बारे में तो नहीं जानता लेकिन खुद के बारे में कहता हूं, पार्टी मुझे कोई पद दे या नहीं दे, मरते दम तक भाजपा के साथ ही रहूंगा। परिवार बढ़ता है, तो दलबदल की समस्या भी आती है, लेकिन भाजपा में दलबदलुओं को खास तव्वजो नहीं दी जाती है।

पार्टी में आकर कोई निष्ठा से है तो ठीक, वरना उसे अहमियत नहीं मिलती है। हर दल विस्तार करना चाहते हैं। सत्ता में आने की लालसा रखते हैं। इससे दलबदल को प्रश्रय मिलता है। इस सबके बाद भी दलबदल को कतई ठीक नहीं ठहराया जा सकता है। किसी पार्टी विशेष से जीत कर दूसरे दल का दामन थाम लेना तो पूरी तरह गलत है।

चुनाव में धनबल और बाहुबल को लेकर आपका अनुभव क्या है?

चुनाव में धनबल और बाहुबल के असर और दखल को इनकार नहीं किया जा सकता है। मैं न तो धनबल वाला हूं, न ही बाहुबली। नगर पंचायत का चुनाव लड़ा तो व्यापारियों और नागरिकों के चंदे से।

कुल 55 हजार रुपये चंदे से मिले थे, उसी से चुनाव जीता था। तब हमारे मित्र थे, अशोक चौरसिया। आज वे इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जबतक सांस है उनके प्रति आदर भाव रहेगा। उन्होंने 5 हजार रुपये चंदा दिया।

इसके बाद नागरिकों का पूरा सहयोग मिला। मेरे विरोध में धनबली थे, लेकिन मैने काफी कम रुपये खर्च कर चुनाव जीता। जनता ने चुनाव लड़ने के दौरान मुझे खूब अनाज दिया। चुनाव के बाद काफी मात्रा में अनाज बच गया था।

इस अनाज को बेचकर मुझे 30-40 हजार रुपये मिले थे। जिससे गरीबों की सेवा की। चुनाव आयोग को धनबल पर प्रभावी रोक लगाना चाहिए। चुनाव में माफियों और अपराधियों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। साफ-सुथरी राजनीति होगी तो अच्छे लोग चुनाव जीतेंगे। विकास के काम तेज़ होंगे।

आरोप लगता है कि महराजगंज सुरक्षित सीट है इसलिए विकास नहीं होता है?

यह पूरी तरह गलत है। अन्य सरकारों में यह कुछ हद तक सही भी साबित हुआ। पूर्ववर्ती सरकारों ने जिले के विकास को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया।

सांसद पंकज चौधरी अधिकांश समय विपक्ष में रहे, इसलिए सरकारों ने हमेशा उपेक्षा की। सदन में वे लगातार अपनी बात रखते थे। केन्द्र में मोदी और प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के कुर्सी पर बैठने के बाद सड़क, बिजली, पानी को लेकर कोई दिक्कत नहीं है।

महराजगंज मुख्यालय तक रेल लाइन का होना हमेशा चुनावी मुद्दा रहा है। छह साल से भाजपा की सरकार है। सांसद भी भाजपा के हैं। अब क्या अड़चन है?

जिले में रेललाइन तो है ही। घुघली और फरेंदा रेलवे लाइन तो है ही। रहीं बात मुख्यालय तक की तो इसे लेकर सांसद का प्रयास जारी है। संसद में सांसद ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया है।

आश्वासन समिति से भरोसा मिला है कि घुघली से फरेंदा रेलवे लाइन जल्द हकीकत की शक्ल लेगी। रेलवे लाइन जरूर बिछेगी।

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वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में आपसी बातचीत को वायरल कर प्रोपेगैंडा किया जा रहा है। कई बार नेताओं की होटलों में बैठे होने आदि की फोटो भी वायरल हो जाती है। इसे कैसे देखते हैं?

-ये गंदा काम है। ये नहीं होना चाहिए। निजी बातों का सार्वजनिक करना ठीक नहीं है। ऐसे लोगों के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। दोषियों को जेल भेजना चाहिए।

नेताओं का भी अपना परिवार होता है। हमारा भी व्यक्तिगत काम है। निजी जीवन है। परिवार के साथ होटल में भोजन की फोटो को गलत तरीके से वायरल करना निजता का उलंघन है। निजी जीवन में झांकना किसी के लिए ठीक नहीं है।

महराजगंज जिले में शिक्षा और बिजली को लेकर पिछड़ापन कब दूर होगा?

महराजगंज मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हो गया है। कोरोना नहीं होता तो मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास हो जाता। हमारे पास जमीन की भी दिक्कत नहीं है। शहर में विजयपुर और चेहरी फार्म है।

यहां पर्याप्त सरकारी जमीन की उपलब्धता है। जमीन को लेकर मुआवजे का संकट नहीं है। पॉलीटेक्निक और आईटीआई खुल चुके हैं। महराजगंज बस स्टेशन को नए सिरे से विकसित किया जा रहा है।

कोरोना नहीं होता तो तेजी से अत्याधुनिक बस अड्डे का निर्माण होता। निचलौल की जगह अब महराजगंज डिपो के नाम से अब बसें चल रही हैं। चेहरी 58 टोले की ग्राम सभा है।

यहां आजादी के 70 साल के बाद भी लोगों ने बिजली नहीं देखा था। यहां के लोगों को पहली बार सौभाग्य योजना से बिजली का अनुभव हुआ। यहां 13 हजार पोल और 75 ट्रांसफार्मर लगा है।

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बिजली को लेकर कोई शिकायत नहीं मिल सकती है। विकास एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन विकास को लेकर कोई कमी नहीं छोड़ी गई है। पीडब्ल्यूडी से 400 किलोमीटर सड़कों का नवनिर्माण करा चुका हूं।

स्वास्थ्य को लेकर अभी भी लोगों को गोरखपुर का रूख करना होता है?

चौक और गोपाला में पीएचसी और गोपाला में सीएचसी का काम तेजी से चल रहा है। कोरोना नहीं होता तो इसका लोकार्पण हो चुका होता। लोगों के बेहतर इलाज के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से काफी मदद कराई है। करीब 4 करोड़ की रकम बीमार लोगों की मदद के लिए जारी कराया है।

अब सिर्फ डेढ़ साल का कार्यकाल बचा है। कोई काम ऐसा जिसे करना चाहते हों?

सदर क्षेत्र में कृषि विश्वविद्यालय के लिए प्रयासरत हूं। चेहरी में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना कराना चाहता हूं। महराजगंज कृषि प्रधान जिला है, कृषि विश्वविद्यालय खुलने से लोगों को काफी लाभ मिलेगा।

चेहरी में 750 एकड़ जमीन है। ऐसे में जमीन को लेकर कोई बाधा नहीं है। रेलवे के शुरू होने से औद्योगिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।



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