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सलोन विधायक दल बहादुर कोरीः विधायक न होता तो मजदूरी करता
दलबदल पर मेरी राय इस प्रकार से है एक बार यह गलती हमने कर रखी है। मेरी गलती के अनुभव से बताता हूं अपना घर मत छोड़िए चाहे खंडहर ही क्यों ना हो कम से कम उसमें आजादी से बैठ सकते हैं। लेट सकते हैं। दूसरे के घर में जाकर बहुत कष्ट झेलने पड़ते हैं।
नरेन्द्र सिंह रायबरेली
रायबरेलीः सलोन विधानसभा से भाजपा विधायक दल बहादुर कोरी 1989 मैं कानपुर में रहता था। वहां हमारा जॉब था प्लंबर का। जब सारे काम खत्म हुए तो गांव आ गए। उस समय राम आंदोलन चल रहा था। उसी राम आंदोलन में सक्रिय हो गया। भावपूर्ण भक्ति के साथ जय श्रीराम, जय श्रीराम बोलते रहे। दो बार जेल भी गए। बस वहीं से हमारे सितारे आगे बढ़े। 1991 में हमें टिकट मिला। पर्चा भरने वाले दिन मेरा पैर टूट गया। कानपुर हैलट अस्पताल में भर्ती होकर चुनाव लड़ता रहा। खैर जनता की बड़ी कृपा रही। जनता जनार्दन ने मेरा चुनाव लड़ा। मेरी पत्नी ने भी सहयोग किया। चुनाव में दूसरी पोजीशन हमको मिली यही से हमारा प्रवेश राजनीति में हुआ।
तो मजदूरी करते
राजनीति में ना आते तो मजदूर थे। फिर वही मजदूरी करते। चुनाव तो महंगे हो रहे हैं। लेकिन मेरी जनता जनार्दन बहुत अच्छी है। मेरा पोस्टर के खर्च के अलावा चुनाव में कुछ भी खर्च नहीं होता। अब गाड़ी का खर्चा बढ़ा है। इसके अलावा जनता हमसे कुछ भी नहीं लेती। ईश्वर की कृपा से हम बहुत सस्ते में निपट जाते हैं।
जनप्रतिनिधि से जनता की आकांक्षाएं बढ़ी हैं। यह अच्छी बात है लेकिन ऐसी आकांक्षाएं जो मेरी हैसियत और मेरी कलम से ऊपर होती हैं, तब दुख होता है। जहां तक हमारा पावर है, वहां तक के सारे काम हम करने के लिए तैयार रहते हैं।
मेरी जनता से यह अपेक्षा है कि जनता आपसी लड़ाई झगड़े से दूर रहकर विकास के बारे में सोचे। मुझ पर विकास कार्यों के लिए दबाव बनाएं। मेरी हैसियत तो ग्राम सभा के सदस्य के चुनाव लड़ने की नहीं थी। जनता जनार्दन ने इतना बड़ा चुनाव और वह भी कांग्रेस के गढ़ में जिता दिया। यही सबसे बड़ा खुशी का पल था।
राजनीति के अलावा कोई काम नहीं
राजनीति के अलावा हमारे पास कोई काम नहीं है। दिनभर जनता के बीच दौड़ता रहता हूं। उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों से मिलता हूं। शाम को घर आ जाता हूं। समाचार देखता हूं। भोजन करके सो जाता हूं। सुबह 8 से 12 जनता जनार्दन से मिलता हूं। और उसके बाद फिर किसी गांव में निकल कर जनसंपर्क करता रहता हूं।
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बदलाव की बात करें तो जिस जमाने में हमने राजनीति शुरू की थी। तब की जनता में और आज की जनता में फर्क आया है, क्योंकि जनता जैसे-जैसे जागरूक हो रही है। वैसे वैसे जनप्रतिनिधियों से सवालों की बौछार करती है।
जनता जागरूक हुई है और अब जनता के जो कार्य नहीं होंगे, तो जनता के द्वारा अपमानित भी होना पड़ता है लेकिन कुछ लोगों की अपेक्षाएं कुछ ज्यादा ही हो जाती हैं जो मेरी हैसियत मेरी कलम और मेरे पावर का काम नहीं है। उसकी भी अपेक्षा रखते हैं 10 काम हो जाने के बावजूद यदि एक काम नहीं हो पाता है तो लोग नाराज हो जाते हैं।
अपना घर मत छोड़िए
दलबदल पर मेरी राय इस प्रकार से है एक बार यह गलती हमने कर रखी है। मेरी गलती के अनुभव से बताता हूं अपना घर मत छोड़िए चाहे खंडहर ही क्यों ना हो कम से कम उसमें आजादी से बैठ सकते हैं। लेट सकते हैं। दूसरे के घर में जाकर बहुत कष्ट झेलने पड़ते हैं। बैठने के लिए जगह मांगनी पड़ती है, तो मैं कहता हूं अपना घर छोड़ना नहीं चाहिए।
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लोकतंत्र पर धक्का लग रहा है, जनप्रतिनिधियों की सिफारिश इस प्रकार से होनी चाहिए कि गांव में जो लोग कह रहे हो, जो समाज कह रहा हो उसके पक्ष में निर्णय जाना चाहिए लेकिन यदि हम अपने वोट की खातिर गलत सिफारिश करते हैं और गलत कार्य कराते हैं तो लोकतंत्र की हत्या होना स्वभाविक है।
जनता की सेवा में रहता हूं। सलोन में एक-दो को छोड़कर सारी सड़कें मेरे कार्यकाल में मेरे प्रयास से बनवाई गई हैं। आज भी निर्माण कार्य चल रहा है। हमने हैंड पंप पंचायत भवन विद्यालय बनवाए हैं।
सबकी मदद की
जनता की व्यक्तिगत सहायता की है और मुख्यमंत्री कोष और विधायक निधि से जरूरतमंदों की मदद करते हैं मेरे पास कोई भी आता है। चाहे वह वोट दिया हो या नहीं दिया हो पीड़ित समझकर उसकी बात ध्यान से सुनता हूं और मदद करता हूं।
आजादी के बाद से सलोन कांग्रेस का गढ़ रहा है, मैं अब की बार पॉलिटेक्निक कॉलेज लाया। सिरसिरा ग्राम सभा में लगभग एक अरब की लागत का पावर प्लांट दिया। यहां से कई जिलों को बिजली जाएगी। डिग्री कॉलेज लाने वाले हैं। छोटे पुलों का निर्माण करवाया है। बड़े पुल को लाने का प्रयास जारी है।
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विधायक निधि का बड़ा महत्व है इमरजेंसी में कार्य कराना हो तो और यदि बजट नहीं हो तो विधायक निधि से तत्काल कार्य हो जाते हैं। विधायक निधि का सबसे अच्छा इस्तेमाल इमरजेंसी के कार्यों को करवाने में किया जाता है। मैंने अपनी निधि सड़कों पर खर्च किया इंटरलॉकिंग लगवाई। शिक्षा संस्थाओं को मदद की और कमरे बनवाए।
नौकरशाही से दिक्कत नहीं
नौकरशाही से मुझे कोई दिक्कत नहीं है। मेरे क्षेत्र में मेरे व्यवहार मेरी सीनियरिटी से मैं अपना कार्य करवा लेता हूं। मुझे प्रशासन से बहुत दिक्कत नहीं आती है और अगर आती भी है तो मातहत अधिकारियों से कहकर मदद हो जाती है।
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समस्याओं की बात करें तो समस्याएं तो रोज आती हैं। नए गांव, नई रोड, नए हैंड पंप यह सब मूलभूत समस्याएं हैं। यह तो सारे जीवन रहेंगी और उनके लिए संघर्ष करना पड़ेगा। मेरा यही काम है और मैं यह कर रहा हूं।
1997 से 2000 तक मंत्री के रूप में कार्य और सेवा करने का भी अवसर मिला।