TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

युवक ने पेश की मानवता की मिसाल, जन्मदिन पर लिया दो बच्चों को गोद

सुल्तानपुर जिले के गोसाईगंज थाना क्षेत्र के माधवपुर छतौना गांव निवासी रामकेश ने मंगलवार को अपने 44 वें जन्मदिन पर एक नई इबारत लिखी।

Aradhya Tripathi
Published on: 3 March 2020 9:07 PM IST
युवक ने पेश की मानवता की मिसाल, जन्मदिन पर लिया दो बच्चों को गोद
X

फ़रीद अहमद

सुल्तानपुर: यूपी के सुल्तानपुर से समाज को संदेश देती एक ख़बर सामने आई है। सुल्तानपुर जिले के गोसाईगंज थाना क्षेत्र के माधवपुर छतौना गांव निवासी रामकेश ने मंगलवार को अपने 44 वें जन्मदिन पर एक नई इबारत लिखी। पांच बच्चों के बाप होने के बावजूद रामकेश ने समाज को एक बड़ा संदेश देते हुए अपने जन्मदिन के अवसर पर क्षेत्र के दो बेसहारा बच्चों को गोद लिया है।

गांव में चलाते हैं स्कूल

रामकेश क्षेत्र में ही पिछले 6 सालों से एक स्कूल चला रहे हैं। जिसका नाम आर.के पब्लिक स्कूल है। रामकेश ने मंगलवार को स्कूली बच्चों के संग अपना 44वां जन्मदिन केक काटकर मनाया। इस अवसर पर रामकेश ने एक मिसाल पेश करते हुए दो बेसहारा बच्चों को गोद लिया। गोद लेने वाले बच्चों में एक राम अनुज वर्मा (5) है। जिसका उन्होंने अपने स्कूल में कक्षा 1 में दाखिला कराया है।

इसकी माता तो जीवित हैं पर पिता अब इस दुनिया में नही रहे। वह अन्नपूर्णा नगर में अपने बुआ के घर पर रहता है। दूसरा बच्चा सनी कुमार (11) है। इसके माता-पिता कोई भी नहीं हैं। ये बच्चा अन्नपूर्णा नगर का निवासी है। यह अपने किसी चाचा के साथ रहता है। इसे भी रामकेश ने अपने स्कूल में कक्षा 7 में एडमिशन दिलाया है। वो बताते हैं कि दोनो बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, खान-पान और बाकी सारी जिम्मेदारी आज से मेरे ऊपर है।

ये भी पढ़ें- सपा के इस कद्दावर नेता को कोर्ट से लगा तगड़ा झटका, जेल से नहीं आयेंगे बाहर

उन्होंने बताया कि देश और समाज को आगे ले जाने के लिए वह इस कदम को उठा रहे हैं। रामकेश ने अपने इस कदम के लिए पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी से प्रेरणा लेने की बात स्वीकारी है।

कमाई का नहीं है कोई खास ज़रिया

आपको बता दें कि रामकेश की शादी वर्ष 1992 में मंजू यादव के साथ हुई थी। उनके 5 बच्चे हैं, जिनमें तीन बेटी और दो बेटे हैं। इनकी कमाई का कोई खास जरिया नहीं है। 6 वर्ष पूर्व उनके द्वारा खोले गए विद्यालय में इस समय 110 छात्र पढ़ रहे हैं। इनसे मिलने वाली फीस से विद्यालय का खर्च पूरा करने के बाद जो बचता है उससे वो परिवार का पेट पालते हैं। उन्होंने राज्यपाल से सम्मानित समाज सेवी करतार केशव को अपना गुरू बताया है।

ये भी पढ़ें- CORONA EFFECT: होली में बाजारों से गायब हुआ चीनी उत्पाद, मोदी मुखौटे की धूम



\
Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

Next Story