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अब होंगी बिन बाराती और बैंडबाजे वाली शादियां
कोरोना काल में सगाई, शहनाई और सात फेरों पर कमोबेश बंदिशें हैं। कहीं लोग खुद शादियां टाल रहे हैं, तो कहीं प्रशासनिक कार्रवाई के खौफ में। इक्का-दुक्का हो रहीं शादियां सुर्खियां बन रही हैं। सादगी के बीच हो रहीं शादियां कई सवाल भी खड़े कर रहीं हैं।
पूर्णिमा श्रीवास्तव
गोरखपुर: कोरोना काल में सगाई, शहनाई और सात फेरों पर कमोबेश बंदिशें हैं। कहीं लोग खुद शादियां टाल रहे हैं, तो कहीं प्रशासनिक कार्रवाई के खौफ में। इक्का-दुक्का हो रहीं शादियां सुर्खियां बन रही हैं। सादगी के बीच हो रहीं शादियां कई सवाल भी खड़े कर रहीं हैं। मसलन, क्या भविष्य में शादियों का ट्रेंड बदलेगा? शादियों में सोशल डिस्टेंसिंग स्थाई तत्व होगा? लोग सिमित संशाधनों में शादियां करेंगे या फिर फिजूलखर्ची का दौर फिर लौटेगा? आखिर लॉकडाउन सरीखी सादगी पसंद शादियां सामान्य दिनों में क्यों नहीं करते? एक सवाल और अहम है, क्या शादियों में तड़क-भड़क कम होने से लाखों लोगों के समक्ष रोजगार का संकट पैदा हो जाएगा?
बदल जायेगा ट्रेंड
लॉकडाउन का दौर गुजरने के बाद शादियों के चमक-धमक का भविष्य क्या होगा, इसे लेकर तो सिर्फ कयास ही लगाया जा सकता है, लेकिन कोरोना काल में शादियों से जुड़ी सूचनाएं फिलहाल सभी को चौका रहीं हैं। कहीं सात फेरे होने की बात पर यकीन नहीं हो रहा तो कहीं दुल्हा-दुल्हन के लॉकडाउन में फंसे होने की खबरें हैं। कहीं बिना बैंडबाजा की बारात है तो कहीं संक्रमण से बचते हुए सात फेरे और जयमाल की वायरल तस्वीरें। कहीं दुल्हा-दुल्हन डंडे में जयमाल की रस्म पूरी कर रहे हैं तो कहीं हाईटेक पंडित जी जूम एप से रिश्तेदारों के बीच मंत्रोचार कर शादी की रस्में पूरी कर रहे हैं। इतना ही नहीं बेटियां लग्जरी गाड़ियों के बजाए दोपहिया गाड़ियों से विदा हो रही हैं।
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मजबूरी की सादगी
जो शादियां बीते दिनों में हुईं हैं, उनमें लोग शादी की तारीख आगे बढ़ाने की जगह ताम-झाम और धूम-धाम छोड़कर सादगी भरी शादी को तरजीह दे रहे हैं। शादी कराने वाले पंडित जी भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने पर ही शादी कराने को तैयार हो रहे हैं। जिनकी शादी मंदिर में हो रही है उनकी शादी की अन्य रस्में ऑनलाइन की जा रही है। वहीं घरों में होने वाली शादी में भी गिने-चुने लोग ही मौजूद रह रहे हैं।
रजामंदी से बदली परंपरा
जो शादियां हुईं उनमें लड़का और लड़की पक्ष की रजामंदी साफ दिखती है। लेकिन कहीं कहीं ये रजामंदी मजबूरी की चादर ओढ़े हुए है।
- बस्ती जिले में रुधौली तहसील के सरैया गांव के पुरवा सैथवलिया गांव में बीते दिनों एक शादी संपन्न कराई गई है। इस शादी में मास्क पहनकर और हाथ में सैनिटाइजर लिए वर-वधु ने रस्में पूरी कीं।
- सरैया गांव के राम किशुन की बेटी रंजू की शादी जिले के ही रुधौरा निवासी राम दुलारे चौरसिया के पुत्र रामजी के साथ तय हुई थी। बीते 26 अप्रैल की शाम को दूल्हे रामजी चार बरातियों के साथ दुल्हन लेने पहुंचे। बमुश्किल, आठ-दस लोगों की मौजूदगी में विवाह संपन्न हुआ। मास्क लगाकर और सोशल डिस्टेंस बनाकर दूल्हा-दुल्हन बैठे और पंडित द्वारा मंत्रोच्चार के साथ विधि -विधान से शादी कराई गई। लड़की के पिता रामकिशुन कहते हैं कि 'छह बेटी में से दूसरे नंबर की बेटी की शादी हुई है। अभी चार बेटियो की शादी बाकी है। लंबा इंतजार संभव नहीं था'।
- देवरिया के बरहज थाना क्षेत्र के भरेवा गांव निवासी रंजीत जायसवाल के बेटे अजय कुमार जायसवाल की शादी बीते दिनों गोरखपुर में शाहपुर मोहल्ले के दुर्गा मंदिर में कप्तानगंज के मोरध्वज की बेटी रीना से हुई। शाहपुर के दुर्गा मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर शादी को सहमति बनी। पंडित कमलेश त्रिपाठी ने मंत्रोचार कर रस्मों को पूरा किया। दूल्हे अजय ने बताया कि 'पहली मई को शहर के एक मैरेज हाल में शादी होनी थी। शादी रद करने के बजाए परिवार पूर्व निर्धारित मुहूर्त में शादी करने की सहमति जताई। जो जरूरी सदस्य शादी में होने चाहिए वे तो थे ही।' लॉकडाउन में दिल्ली में फंसे अजय के पिता ने वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिये नवदंपति को आशीर्वाद दिया। उधर, शादी के बाद बाइक पर दुल्हन की विदाई हुई।
- गोरखपुर के गोरखनाथ क्षेत्र के शक्तिपुरम कॉलोनी में वर और कन्या पक्ष के लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हुए विवाह के रस्मों को पूरा किया। इंजीनियर दूल्हा चार बारातियों के साथ देवरिया से बारात लेकर पहुंचा और शिक्षक दुल्हन से शादी के बंधन में बंध गया। दोनों पक्षों से मौजूद पांच-पांच लोग शादी के गवाह बने।
- हरपुर-बुदहट थाना क्षेत्र के सिधौली गांव निवासी प्रह्लाद सिंह सिविल बार कोर्ट बांसगांव में पेशकार है। उन्होंने पिछले साल ही बेटी रचना की शादी देवरिया जिले के गौरीबाजार क्षेत्र के श्रवण सिंह के पुत्र संजीव कुमार सिंह के साथ तय कर रखी थी। संजीव कुमार सिंह पुणे की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। शहर के एक मैरेज हाल में एक मई को शादी होनी थी। लेकिन कोरोना वायरस की महामारी के बीच दोनों परिवारों ने सादगी के बीच शादी करने का निर्णय लेना पड़ा।
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- हरपुर बुदहट के ही निवासी पवन कुमार गुप्ता की मां अजंली देवी ने नवम्बर 2019 में ही मिठौरा महराजगंज निवासी रामजी निगम की बेटी ज्योति के साथ बेटे की सगाई की थी। एक मई को शादी की तिथि तय थी। लॉकडाउन में शादी पर ग्रहण लगा तो अंजली देवी ने ही सात फेरे को लेकर पहल की। लड़की के पिता रामजी निगम और मां साधना देवी को मंदिर में शादी के लिए तैयार किया। पहले से ही तय तारीख पर महराजगंज से काली मंदिर में मांगलिक रस्में पूरी हुईं। दिन में ही विवाह विधि पूर्वक सम्पन्न हुआ।
- पिपरौली क्षेत्र के कैली गांव निवासी निगम साहनी की पुत्री लालसा की शादी खोराबार के जवैनिया कडउर निवासी राधे के पुत्र जालंधर के साथ सादगी के बीच हुई। तय मुहूर्त पर पांच लोग दूल्हे के तरफ से लड़की के घर पहुँचे। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शादी रचाई और दुल्हन को साथ लेकर चले गए।
कोरोना में फंस गया सात फेरा
जहां एक तरफ कई जोड़े बंधन में बंध गए लेकिन कईयों को कोरोना की मार के चलते मुश्किलों की मार झेलनी पड़ी। मुंबई में नौकरी कर रहे राजेश्वर और गोरखपुर के कैम्यिरगंज की शिवांगी की कहानी फिल्मी लग सकती है। पर ये कोरोना काल की बेबसी का असल चित्रण है। मुम्बई में नौकरी करने वाले राजेश्वर की शादी छह महीने पहले कैम्पियरगंज की शिवांगी से तय हुई थी। सबकुछ तय था। दुल्हा-दुल्हन को एक मई को सात फेरा लेना था। अचानक हुए लॉकडाउन ने बंदिशों की ऐसी लक्ष्मण रेखाएं खींच दीं कि दुल्हा लॉकडाउन में फंस गया और दुल्हन होम क्वारंटीन हो गई। राजेश्वर मुंबई में फंसा रह गया तो शिवांगी को होम क्वारंटीन होना पड़ा। दरअसल, शिवांगी की कालोनी में एक महिला की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने महिला के आसपास के घर के लोगों को होमक्वारंटीन कर दिया। दोनों परिवारों ने अब शादी की तरीख 26 नवम्बर मुकर्रर की है। राजेश्वर का कहना है कि 'ऐसी बेबसी कभी नहीं देखी। सबकुछ अपने हाथ में था लेकिन लॉकडाउन की वजह से घर ही नहीं पहुंच सका।'
कोरोना ने महराजगंज के एक युवक के साथ गजब की बेवफाई कर दी। शादी के वास्ते 1000 किलोमीटर साइकिल चलाकर पहुंचे युवक की ना तो शादी हो सकी और ना ही मंगेतर से मुलाकात। लुधियाना से साइकिल से ही शादी रचाने निकले युवक को बलरामपुर प्रशासन ने क्वारंटीन सेंटर भेज दिया। दरअसल हुआ यूं कि पिपरा रसूलपुर गांव का रहने वाला सोनी लुधियाना में टाइल्स का काम करता था। सोनी की शादी गांव से 25 किलोमीटर दूर तय हो गयी थी। शादी की तारीख तय हुई थी 15 अप्रैल की। इसी बीच लॉकडाउन लग गया। शादी की तारीख करीब आते देख और ट्रेन बस की सुविधा नहीं मिलते देख सोनू ने अपने साथियों के साथ साइकिल से ही हजार किलोमीटर का सफर तय कर दिया। 6 दिन में करीब 850 किलोमीटर का सफर तय वो बलरामपुर जिले के बॉर्डर पर पहुंचा, तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। और वहीं से सीधे सभी को क्वारंटाईन सेंटर भेज दिया। फिलहाल शादी की तारीख गुजर गयी है।
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क्या बदलेगा शादियों का ट्रेंड
लॉकडाउन में हो रही शादियों के बीच ये सवाल मौजू है कि क्या कोरोना शादियों के ट्रेंड को बदल देगा। बदलाव की संभावनाओं के सवाल पर गोरखपुर के संयुक्त मजिस्ट्रेट अनुज मलिक कहते हैं कि ‘दर्जनों लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग के साथ शादियां की हैं। यह भविष्य के लिए नजीर हो सकती है। कोरोना के संकट में सादगी वाली शादियों को संदेश काफी व्यापक है।’
- गोरखपुर यूनिवर्सिटी में डिफेंस स्टडीज में प्रोफेसर हर्ष कुमार सिन्हा इस बात से सहमत नहीं हैं कि सादगी वाली शादियां भविष्य में भी होंगी। वह कहते हैं कि ‘सोशल डिस्टेंसिंग का हश्र शराब की बिक्री के फरमान के बाद सबूत के साथ सभी के सामने है। उच्च शिक्षा से जुड़े लोग भी मौका पाते ही हाथ मिलाकर, गले मिलकर बधाई देने से नहीं चूक रहे हैं। लॉकडाउन के संकट में भी न्यूनतम व्यवहार में सर्तकता नहीं दिख रही है। ऐसी में सादगी पसंद शादियों के भविष्य को नकारात्मक राय ही बन रही है।’
- वरिष्ठ पत्रकार राजन राय कहते हैं कि ‘बैंडबाजा, बारात हमारी परम्परा में है। ये सब आसानी से छूट जाएगा संभव नहीं है। लेकिन इतना जरूर होगा कि शादियों में जितनी भीड़ होती थी, उसमें कमी आएगी। लोग शगुन ऑनलाइन मोड से देंगे।’
- गोरखपुर यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र विभाग में शिक्षक डॉ.पवन कुमार का कहना है कि ‘शादी-विवाह के समारोह को लोग यादगार बनाना चाहते हैं। लॉकडाउन में शादियों की तारीख आगे बढ़ा दी गयी, लेकिन कई लोगों ने सात फेरे लिए भी। ये शादियाँ काफी साधारण तरीके से सम्पन्न हुईं। हालाँकि ये साधारण तरीके से और कम खर्च में हो रही शादियों का ये ट्रेंड एक ट्रेंड कम बाध्यता ज्यादा प्रतीत होती है।’ वह कहते हैं कि ‘आज शादी-विवाह में किया गया खर्चा और दिखावा एक स्टेटस-सिंबल बन गया है। इस तरह की मानसिकता से निकलना आसान नहीं होता है। आज जितनी भी शादियाँ साधारण तरीके से हो रहीं हैं ये परिस्थितिजन्य है। लॉकडाउन की समाप्ति के उपरांत फिर से स्थिति यथावत हो जाएगी और शादी के खर्चे और दिखावे पहले जैसे ही हो जाएंगे।’
बॉक्स
गोरखपुर मैरेज एसोसिएशन के सरंक्षक अजय कुमार श्रीवास्तव अतुल भी लॉकडाउन की शादियों को परिस्थितिजन्य मानते हैं। आगे सादगी वाली शादियां शायद ही होंगी के सवाल पर कहते हैं कि ‘गोरखपुर में 200 से अधिक मैरेज हाल हैं। इसके साथ ही 100 से अधिक स्थानों पर तड़क भड़क के साथ खुले में शादियां होती हैं। सभी जगह की बुकिंग हो चुकी है। यह भी सच है कि कोरोना काल के चलते टली शादियों ने बैंडबाजा, कैटर्स, बिजली-साउंड, माली आदि का काम करने वालों की कमर तोड़ दी है।