Mathura News: सोने चांदी हीरे जवाहरात जड़े हिंडोला में विराजमान हुए बांकेबिहारी

Mathura News: साल में एक ही दिन होने वाले विशेष दर्शनों को करने के लिए देश के गवर्नर से श्रद्धालु पहुँचे।

Mathura Bharti
Published on: 19 Aug 2023 2:56 PM GMT
Mathura News: सोने चांदी हीरे जवाहरात जड़े हिंडोला में विराजमान हुए बांकेबिहारी
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सोने चांदी हीरे जवाहरात जड़े हिंडोला में विराजमान हुए बांकेबिहारी : Photo-Newstrack

Mathura News: कान्हा के भक्तों के लिए आज का दिन विशेष है क्योंकि आज के दिन भगवान बांके बिहारी साल में एक ही दिन विशेष रूप से तैयार सोने चांदी और रत्नों से जड़े हिंडोले झले पर विराजमान होते हैं और अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।

साल में एक ही दिन झूलन उत्सव संपन्न होने के कारण देश के कोने कोने से बड़ी संख्या में भक्त वृंदावन धाम पहुंचते हैं और एक झलक पाने के साथ ही अपने आप को धन्य करते है। देश विदेश से आने वाले भक्तो के लिए पुलिस व जिला प्रशासन ने व्यापक इन्तजाम किए थे।

एसएसपी शैलेश पांडेय के अनुसार हरियाली तीज के दिन ही भगवान बांके बिहारी को विशेष रूप से झूले में विराजमान कराया जाता है। यह झूला अपने आप में ऐतिहासिक होता है और इस झूले में भगवान बांके बिहारी पहली बार 1947 में जब देश आजाद हुआ था उस दिन विराजमान हुए थे। तभी से हर साल हरियाली तीज के दिन भगवान को झूले में विराजमान कराया जाता है।

बाँके बिहारी के जयकारों से गूंजा मंदिर

जग प्रसिद्ध ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में शनिवार को मनाए गए हरियाली तीज का पावन पर्व हिंडोला उत्सव के दौरान प्रातःकाल ठाकुर बाँके बिहारी लाल को मंदिर के गर्भ-गृह से बाहर निकालकर करीब 32 फुट चौड़े व 12 फुट ऊंचे विशाल स्वर्ण- रजत हिंडोले में विराजमान कराया गया। उनके दोनों ओर खड़ीं सखियां प्रतीकात्मक रूप में उन्हें झूला झुला रही थीं। हरियाली-तीज के मौके पर हरे रंग के महत्त्व को देखते हुए ठाकुरजी और सखियों को हरे रंग की विशेष पोशाक धारण कराई गई और मंदिर में सावन का एहसास कराने के लिए सावन के सभी रंगों से सजावट की गई।

भक्तों ने जब अपने आराध्य को स्वर्ण-रजत ओ बेशकीमती हिंडोले में झूलते हुए देखा तो उनके आनंद का ठिकाना नहीं रहा और वे स्वयं को धन्य महसूस करने लगे। वहीं मंदिर परिसर की भव्य सजावट के साथ ही ठाकुरजी की हरे रंग की पोशाक और स्वर्ण-रजत के आकर्षक श्रंगार से मन को मोहने वाला सौंदर्य भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। जिससे आनंद रस में सराबोर भक्तजन जय-जय करते हुए अपनी प्रसन्नता का इजहार करने लगे और संपूर्ण मंदिर परिसर बांकेबिहारी लाल के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।

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