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राम मंदिर भूमि पूजन में इस संत को न बुलाने से मायावती नाराज, दी ये सलाह

आगामी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन की तैयारी चल रही है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं भूमि पूजन के लिए पहुंच रहे हैं।

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Published on: 31 July 2020 6:46 PM GMT
राम मंदिर भूमि पूजन में इस संत को न बुलाने से मायावती नाराज, दी ये सलाह
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: आगामी 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन की तैयारी चल रही है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं भूमि पूजन के लिए पहुंच रहे है। इस कार्यक्रम में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने इस कार्यक्रम में केवल 200 लोगों को आमंत्रित किया है।

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मायावती ने दी ये सलाह

जिसमे साधू-संत भी शामिल हैै। लेकिन इस कार्यक्रम में जूना अखाडे़ के दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि को आमंत्रित नहीं किए जाने पर बसपा सुप्रीमों मायावती ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा है कि इससे देश में जातिविहीन समाज बनाने की मंशा पर असर पड़ता। हालांकि इसके साथ ही बसपा सुप्रीमों ने सलाह भी दी है कि दलित समाज को इन चक्करों में पड़ने के बजाए डा. अंबेडकर के बताये रास्ते पर चलना चाहिए।

बसपा अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा कि दलित महामंडलेश्वर स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि की शिकायत के मद्देनजर यदि अयोध्या में 05 अगस्त को होने वाले भूमि पूजन समारोह में अन्य 200 साधु-सन्तों के साथ इनको भी बुला लिया गया होता तो यह बेहतर होता। इससे देश में जातिविहीन समाज बनाने की संवैधानिक मंशा पर कुछ असर पड़ सकता था।

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वैसे जातिवादी उपेक्षा, तिरस्कार व अन्याय से पीड़ित दलित समाज को इन चक्करों में पड़ने के बजाए अपने उद्धार हेतु श्रम व कर्म में ही ज्यादा ध्यान देना चाहिए व इस मामले में भी अपने मसीहा डा. भीमराव अम्बेडकर के बताए रास्ते पर चलना चाहिए, यही बसपा की इनको सलाह है।

ट्रस्ट में किसी दलित को जगह नहीं दी गई

बता दें कि स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि ने कहा था कि पहले मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में किसी दलित को जगह नहीं दी गई और अब भूमि पूजन समारोह में उपेक्षा की जा रही है। भगवान राम ने हमेशा पिछड़ों और उपेक्षितों का उद्धार किया है लेकिन राम के नाम पर सत्ता में बैठे लोग दलित समुदाय से भेदभाव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, 13 अखाड़ों के वे इकलौते दलित महामंडलेश्वर हैं।

अखाड़ों के बीच समन्वय करने वाली अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद भी बैकफुट पर है। स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि के इस बयान के बाद अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा था कि सन्यासी जीवन में आने के बाद संत की कोई जाति नहीं रहती, इसलिए स्वामी कन्हैया प्रभुनंदन गिरि द्वारा स्वयं को दलित बताना गलत है।

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