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मुख्तार-धनंजय जैसे बाहुबलियों को टिकट देने वाली मायावती का फैसला, आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को नहीं लड़ाया जाएगा चुनाव
BSP Mission 2024: कभी प्रदेश की नंबर वन पार्टी रही बहुजन समाज पार्टी के सामने आज अपना वजूद बचाने का संकट है। लगातार गिरता जनाधार विपक्षी नेताओं के कैंप में भी उनके वजन को हल्का करता जा रहा है।
BSP Mission 2024: देश के सबसे बड़े सियासी सूबे में लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं। प्रदेश की तीनों प्रमुख पार्टियां भाजपा-सपा-बसपा संगठन को जमीन पर सक्रिय कर चुकी हैं। तीनों पार्टियों का जनसंपर्क अभियान जारी है। कभी प्रदेश की नंबर वन पार्टी रही बहुजन समाज पार्टी के सामने आज अपना वजूद बचाने का संकट है। लगातार गिरता जनाधार विपक्षी नेताओं के कैंप में भी उनके वजन को हल्का करता जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने चुनावी प्रदर्शन को सुधारने के लिए पिछले चुनावों में कई एक्सपेरीमेंट किए, लेकिन किसी ने अपेक्षित नतीजा नहीं दिया। हालांकि, 2014 में शून्य पर सिमटने वाली बसपा 2019 में सपा गठबंधन के बदौलत 10 सीटें लोकसभा की जीतने में जरूर कामयाब रहीं। लेकिन पहले विधानसभा चुनाव और फिर निकाय चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन ने स्पष्ट कर दिया कि उनके वोटर्स धीरे-धीरे उनसे विमुख होते जा रहे हैं। बीएसपी सुप्रीमो ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए एक और बड़ा निर्णय लिया है, जिसकी आजकल खूब चर्चा हो रही है।
आपराधिक प्रवृति के लोगों को नहीं लड़ाया जाएगा चुनाव
मायावती ने अबकी बार साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी किसी दागी उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारेगी। उन्होंने बसपा कोऑर्डिनेटरों को अच्छे उम्मीदवारों की तलाश करने को कह दिया है। बीएसपी सुप्रीमो का ये दांव चर्चाओं में इसलिए है क्योंकि भले ही गुंडों और बाहुबलियों की पार्टी का ठप्पा सपा पर लगा हो लेकिन मायावती ने भी ऐसे लोगों को दिल खोलकर टिकट दिया है। जेल में बंद माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, उसके भाई अफजाल अंसारी हों या पूर्वांचल के एक अन्य बाहुबली नेता एवं पूर्व सांसद धनंजय सिंह हो।
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मायावती की पार्टी ने समय – समय पर ऐसे बाहुबलियों और उनके रिश्तेदारों को जमकर टिकट बांटे हैं। ऐसे में मायावती के इस दांव को सियासी जानकार इमेज मेकओवर से जोड़ कर देख रहे हैं। ऐसे समय में जब चुनावी राजनीति में आपराधिक चरित्र के लोगों का बोलबाला बढ़ता जा रहा है, इस हमाम में देश की तमाम पार्टियां नंगी हैं। पूर्व सीएम मायावती अपनी पार्टी बीएसपी को जनता के बीच अन्य पार्टियों से अलग सोच रखने वाली पार्टी के तौर पर पेश करना चाह रही हैं।
बीएसपी का इन दिनों गांव चलो अभियान चल रहा है, जिसके तहत विशेषकर युवाओं और महिलाओं को पार्टी से जोड़ने की कवायद की जा रही है। दागी पृष्ठभूमि के लोगों से दूरी दिखाकर बसपा युवाओं और महिलाओं के बीच एक सकारात्मक संदेश देना चाहती हैं। यूपी में लॉ एंड ऑर्डर का मुद्दा हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है, जो फिलहाल बीजेपी के विजयी रथ की सारथी बनी हुई है। मायावती का अगर ये दांव कामयाब रहता है तो वो अगले विधानसभा चुनाव में भी जनता के बीच इस बात को भूना सकती हैं और बीजेपी के सामने एक मजबूत विकल्प के तौर पर खुद को पेश कर सकती हैं।
कैसे उम्मीदवारों को टिकट देगी बसपा ?
अभी तक बहुजन समाज पार्टी ने किसी गठबंधन को लेकर रूचि नहीं दिखाई है। हालांकि, अंदरखाने कांग्रेस के साथ तालमेल को लेकर सियासी हलकों में अफवाह काफी है। लेकिन अभी तक दोनों में से किसी पार्टियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है। ऐसे में माना जा रहा है कि बसपा सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मायावती ने बसपा के कोऑर्डिनेटरों को स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों की तलाश अभी से करने को कह दिया है। अब की बार लोकसभा चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जाएगा, जो शिक्षित होने के साथ बेदाग हो और सामाजिक समीकरण में फिट बैठता हो। इस पैमाने पर अगर किसी दूसरे दल का नेता भी फिट बैठता है तो पार्टी उन्हें टिकट देने में कोई परहेज नहीं करेगी।
बसपा के आधे सांसद दागी ?
बहुजन समाज पार्टी ने साल 2019 का लोकसभा चुनाव सपा और रालोद के साथ गठबंधन कर लड़ा था। यह गठबंधन बुरी तरह विफल रहा। बीएसपी को 10, सपा को पांच और रालोद को एक भी सीट नहीं मिली। यूपी में कुल लोकसभा की 80 सीटें हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर के रिपोर्ट के मुताबिक, 80 में से 44 सांसद दागी प्रवृति के हैं। इनमें सबसे अधिक 35 सांसद बीजेपी के हैं, जिन पर आपराधिक मामले चल दर्ज हैं। इसके बाद बसपा का नंबर आता है, जिसके 10 में से पांच सांसद दागी हैं। वहीं समाजावादी पार्टी के दो सांसदों पर आपराधिक केस चल रहा है।