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Mission 2024: विपक्ष को जवाब देने के लिए भाजपा ने कसी कमर, NDA को मजबूत बनाने की कोशिश, नए सहयोगी दल जुड़ेंगे
Mission 2024: दूसरी ओर विपक्ष की रणनीति को बेदम बनाने के लिए भाजपा भी अपनी मुहिम में जुटी हुई है। बिहार में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के नेता जीतन राम मांझी ने हाल में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद एनडीए में शामिल होने का ऐलान किया था।
Mission 2024: विपक्षी दलों की एकजुटता को जवाब देने के लिए भाजपा भी कमर कसने की कोशिश में जुट गई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से विपक्षी दलों को एकजुट करने के प्रयास के बाद से ही भाजपा ने भी इस पर पहल शुरू कर दी थी। भाजपा की ओर से पुराने सहयोगियों को जोड़ने के साथ ही नए सहयोगियों से भी लगातार चर्चा की जा रही है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में इसके ठोस नतीजे दिखने की उम्मीद है। पार्टी नेताओं का मानना है कि एनडीए के कुनबे को मजबूत बनाकर विपक्ष की एकजुटता की रणनीति को ध्वस्त किया जा सकता है।
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विपक्ष का मिलकर चुनाव लड़ने का संकल्प
पटना में शुक्रवार को 15 प्रमुख विपक्षी दलों की बैठक में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया गया। विपक्ष की इस महत्वपूर्ण बैठक के बाद नीतीश कुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, ममता बनर्जी और लालू प्रसाद यादव समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का इरादा जताया।
नीतीश कुमार इस बैठक के लिए लंबे समय से सक्रिय थे और अब विपक्ष की अगली बैठक जुलाई में शिमला में आयोजित करने का फैसला किया गया है। अगले लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी एकजुटता की कोशिशों का बड़ा असर दिखने की संभावना जताई जा रही है।
बिहार में भाजपा की मजबूत रणनीति
दूसरी ओर विपक्ष की रणनीति को बेदम बनाने के लिए भाजपा भी अपनी मुहिम में जुटी हुई है। बिहार में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के नेता जीतन राम मांझी ने हाल में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद एनडीए में शामिल होने का ऐलान किया था। नीतीश कुमार से खटपट के बाद मांझी के बेटे संतोष सुमन मांझी ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था और इसके बाद पार्टी ने नीतीश सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर दी थी।
बिहार में मांझी के अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के भी एनडीए में जल्द ही शामिल होने की उम्मीद है।
भाजपा नेतृत्व ने लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान से भी संपर्क साध रखा है। चिराग पासवान के जरिए भाजपा बिहार के दलित वोट बैंक को साधना चाहती है। नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद से ही भाजपा बिहार में उनसे हिसाब चुकाने की कोशिश में जुटी हुई है। पार्टी की ओर से 30 लोकसभा सीटों पर लड़ने की तैयारी है जबकि 10 लोकसभा सीटें सहयोगी दलों को दी जा सकती हैं।
टीडीपी और जदएस से चल रही चर्चा
तेलुगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू की भी हाल में गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात हुई थी। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर नायडू एनडीए से अलग हो गए थे । मगर उनके जल्द ही एक बार फिर एनडीए में शामिल होने की उम्मीद है। भाजपा को हाल में हुए कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने करारी हार का सामना करना पड़ा था। कर्नाटक की हार के साथ भाजपा का दक्षिण भारत में एकमात्र दुर्ग भी ढह गया।
अब लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में भाजपा और जनता दल सेक्युलर के बीच गठबंधन की चर्चाएं सुनी जा रही हैं। हालांकि दोनों पार्टियों की ओर से अभी तक इस बाबत आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा गया है । मगर जदएस के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा ने पिछले दिनों बड़ा बयान देकर इस दिशा में संकेत किया था। उनका कहना था कि एक भी ऐसी पार्टी का नाम बताइए जो कभी भाजपा के साथ ना रही हो। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के खिलाफ दोनों दल हाथ मिला सकते हैं।
अकाली दल की भी हो सकती है वापसी
इसी तरह तीन नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर एनडीए से अलग होने वाले शिरोमणि अकाली दल के भी एनडीए में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। पार्टी के दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद दोनों दलों के बीच नजदीकी बढ़ने के संकेत मिल रहा है। दरअसल भाजपा का साथ छोड़ने के बाद अकाली दल भी लगातार कमजोर होता जा रहा है और माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में दोनों दल एक बार फिर मिलकर चुनावी अखाड़े में उतर सकते हैं।
महाराष्ट्र में मिला नया सहयोगी
राष्ट्रपति चुनाव के दौरान टीडीपी, जदएस और अकाली दल ने एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया था। अब लोकसभा चुनाव के दौरान भी माना जा रहा है कि ये तीनों दल भाजपा के साथ हाथ मिलाकर चुनाव मैदान में उतरते हैं। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे से दूरी बढ़ने के बाद अब भाजपा को एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के रूप में नया सहयोगी मिल गया है। पार्टी शिंदे गुट के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन को मजबूत चुनौती देने की कोशिश में जुटी हुई है।