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मेरठः दिव्यांग दोस्तों ने कुछ ऐसी की मदद, सिखाया सम्मान की जिंदगी जीने की नई राह

दिव्यांगों को सम्मान के साथ जिंदगी जीने के लिए एक शख्स अमित शर्मा ने पहल की है,जिसकी बदौलत शारीरिक तौर पर कई कमजोर युवा सम्मान के साथ नौकरी कर रहे हैं।

Roshni Khan
Published on: 3 Jan 2021 11:59 AM GMT
मेरठः दिव्यांग दोस्तों ने कुछ ऐसी की मदद, सिखाया सम्मान की जिंदगी जीने की नई राह
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मेरठः दिव्यांग दोस्तों ने कुछ ऐसी की मदद, सिखाया सम्मान की जिंदगी जीने की नई राह (PC: social media)

सुशील कुमार

मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद में रहने वाले तीन दिव्यांग दोस्तों को देखकर यह पंक्तियां बरबस ही याद आ जाती है , मंज़िलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता दोस्तों, हौसले से उड़ान होती है। ऐसी कुछ कहानी मेरठ के कुछ दिव्यांग दोस्तों की है।

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दिव्यांगों को सम्मान के साथ जिंदगी जीने के लिए एक शख्स अमित शर्मा ने पहल की है,जिसकी बदौलत शारीरिक तौर पर कई कमजोर युवा सम्मान के साथ नौकरी कर रहे हैं। मेरठ के इन दिव्यांगों ने नए साल 2021 पर नई पहल मेरठ-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित परतापुर में पंडितजी किचन एंड डिलीवरी प्वाइंट नाम से एक रेस्टोरेंट खोलकर की है। इस रेस्टोरेंट में खाना बनाने से लेकर डिलीवरी ब्वॉय का भी काम दिव्यांगजन ही करेंगे।

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उत्तर प्रदेश दिव्यांग स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं

अमित शर्मा जो कि उत्तर प्रदेश दिव्यांग स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं अपनी इस शुरुआत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए कहते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वरोजगार और आत्मनिर्भर के विचारो से प्रेरित होकर कार्य शुरू किया है। बकौल, अमित शर्मा मैं तो दिव्यांगों का रेस्टोरेंट खोलकर सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर बनने की मुहिम को आगे बढ़ा रहा हूं।

उन्होंने ग्रेजुएशन किया और पॉलिटेक्निक भी की

अमित शर्मा बताते हैं कि उन्होंने ग्रेजुएशन किया और पॉलिटेक्निक भी की। बकौल अमित,उम्मीद थी कि ग्रेजुएशन और पॉलिटेक्निक करने के बाद कही ना कहीं कोई अच्छी सी नौकरी तो मिल ही जाएगी, लेकिन दिव्यांगता सभी जगह आड़े आई। पढ़ाई पूरी करने के बाद कई साल तक काफी कोशिशों के बाद भी जब कहीं काम नही मिला तो कोरोना काल में लोंगो को खाने के लिए काफी परेशान देखा तो मेरे दिमाग में मेरठ में रेस्टोरेंट खोलने का आइडिया आया। बस फिर क्या था। आइडिया को साकार करने के लिए मैने अपने दिव्यांग दोस्तों से बात की।

meerut-matter amit sharma (PC: social media)

मैंने दिव्यांग एसोसिएशन से जुड़े लोगों से भी बात की

इसके लिए मैंने दिव्यांग एसोसिएशन से जुड़े लोगों से भी बात की। इसमें अधिकतर ऐसे दिव्यांग शामिल थे, जिन्हें तरस नहीं बल्कि सम्मान की जिंदगी चाहिए थी। इसमें मेरे दोस्त गौतम चौधरी ने मेरी मदद की। अमित बताते हैं कि हमने स्टाफ के तौर पर दिव्यांग आर्मी तैयार की। इन्हीं में अनुज और गजेंद्र दो साथी ऐसे मिले जो पैरों से नहीं चल सकते थे, लेकिन उन्हें वाहन चलाना आता था। डिलीवरी के लिए मैंने उनसे बात की, तो वह मान गए। इस आर्मी में शुरुआत में सात दिव्यांग शामिल हुए हैं, जिसमें से कुछ डिलीवरी करेंगे. जबकि दिव्यांग महिलाएं खाना बनाएंगी। अमित बताते हैं कि फिलहाल लोग ऑनलाइन व्हाट्सएप या फोन पर ऑर्डर दे सकेंगे, लेकिन जल्द ही वह अपना एप भी लांच करेंगे। खाने की डिलीवरी मेरठ भर में रहेगी।

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मेरठ के इन दोस्तों ने मिलकर दिव्यांगों को रोजगार देने और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में जो कदम आगे बढ़ाया है उसकी पूरे शहर में प्रशंसा की जा रही है। लोग इनका हौसला बढ़ाने के लिए रेस्टोरेंट में पहुंच भी रहे हैं।

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