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Meerut News: बीजेपी में लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कद बढ़ाया जा रहा, ये है सियासी वजह

Meerut News: भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को कुछ सालों के अंतराल के बाद पार्टी में जिस तरह लगातार महत्व दिया जा रहा है, उसे पार्टी की वेस्ट यूपी में ‘ब्राह्मण साधो रणनीति’ के तौर पर देखा जा रहा हैं।

Sushil Kumar
Published on: 30 July 2023 1:56 PM GMT
Meerut News: बीजेपी में लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कद बढ़ाया जा रहा, ये है सियासी वजह
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बीजेपी ने लक्ष्मीकांत वाजपेयी को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया: Photo- Newstrack

Meerut News: 2014 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 71 सांसद जिताने वाले भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को कुछ सालों के अंतराल के बाद पार्टी में जिस तरह लगातार महत्व दिया जा रहा है, उसे पार्टी की वेस्ट यूपी में ‘ब्राह्मण साधो रणनीति’ के तौर पर देखा जा रहा हैं। करीब साल भर पहले ही पार्टी द्वारा लक्ष्मीकांत वाजपेयी को झारखंड का प्रभारी बनाकर भेजा गया। अब उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर उनका कद और बढ़ाया गया है।

मेरठ के रहने वाले लक्ष्मीकांत वाजपेयी भाजपा का बड़ा ब्राह्मण चेहरा

पार्टी में नई जिम्मेदारी मिलने के बाद न सिर्फ वाजपेयी बल्कि उनके समर्थक भी काफी उत्साहित दिख रहे हैं। क्योंकि मेरठ के रहने वाले डॉक्टर लक्ष्मीकांत वाजपेयी भाजपा के बड़े ब्राह्मण चेहरा हैं। इसलिए पार्टी में लगातार बढ़ते उनके कद के पीछे पार्टी की यूपी में ब्राह्मण साधो रणनीति के तौर पर देखा जा रहा हैं। दरअसल, दूसरे राजनीतिक दलों की तरह बीजेपी भी ब्राह्मणों की ताकत को समझती हैं। ब्राह्मण वोकल होता है और अपने आसपास के 10 वोटरों को प्रभावित कर सकता है। भले ही ब्राह्मणों की संख्या यूपी में करीब 12 से 14 प्रतिशत हो, पर दमदारी से अपनी बात रखने की वजह से वह जहां भी रहे हैं, प्रभावशाली रहते हैं। प्रदेश में करीब 115 सीटें ऐसी हैं, जिनमें ब्राह्मण मतदाताओं का अच्छा प्रभाव है।

राजनीति में ब्राह्मण समाज का खासा दखल

करीब 15 फीसदी से ज्यादा ब्राह्णण वोट वाले 12 जिले माने जाते हैं। इनमें गोरखपुर, संतकबीरनगर, बलरामपुर, बस्ती, महाराजगंज, अमेठी, देवरिया, वाराणसी, कानपुर, इलाहाबाद आदि प्रमुख हैं। यही नहीं पूर्वी से लेकर मध्य, बुंदेलखंड और पश्चिम उत्तर प्रदेश की सौ से अधिक सीटों पर ब्राह्मण मतदाता भले ही संख्या में ज्यादा न हों लेकिन मुखर होने के कारण राजनीति में इनका खासा दखल हैं।

यूपी के 21 मुख्यमंत्रियों में छह ब्राह्मण रहे

साल 2007 में बहुजन समाज पार्टी ने ब्राह्मण समुदाय को अपनी ओर जोड़ने का अभियान चलाया। उनका यह अभियान इस क़दर सफल रहा कि बहुजन समाज पार्टी की राज्य में न सिर्फ़ पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी बल्कि राजनीतिक भाषा में यह प्रयोग ‘सोशल इंजीनियरिंग’ के नाम से मशहूर हो गया। इस चुनाव में बीएसपी ने 86 विधानसभा सीटों पर ब्राह्मणों को टिकट दिया था और 41 सीटों पर उन्हें जीत हासिल हुई थी। इनके इस रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यूपी के 21 मुख्यमंत्रियों में 6 ब्राह्मण रहे। इनमें भी नारायण दत्त तिवारी तो 3 बार सीएम रहे। यही नहीं, हर सरकार में मंत्री पदों पर ब्राह्मणों की संख्या आबादी की तुलना में दूसरी जातियों से बेहतर ही रही।

मेरठ से चार बार विधायक रहे लक्ष्मीकान्त वाजपेयी

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी में जितिन प्रसाद, डॉ. दिनेश शर्मा आदि ब्राह्मण चेहरे जरुर हैं। लेकिन, अभी तक सभी बेअसर रहे हैं। यही वजह है कि बीजेपी मेरठ के लक्ष्मीकांत वाजपेयी को महत्व देने लगी हैं, जिनकी छवि आम जनता में साफ-सुथरी मानी जाती है। यही नहीं वे कुशल वक्ता भी हैं। मेरठ से ही चार बार विधायक रहे लक्ष्मीकान्त वाजपेयी यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को यूपी में बड़ी सफलता मिली थी, उस समय लक्ष्मीकान्त वाजपेयी पार्टी के अध्यक्ष थे। पार्टी को यूपी में 73 सीटें मिली थीं। वेस्ट यूपी में सभी 14 सीटों पर कमल खिला था।

लेकिन बताते हैं कि संगठन के एक बड़े ओहदेदार से विचारों में मतभेद और कुछ सियासी कारण से बाजपेयी को हटाकर केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेशाध्यक्ष बना दिया था। इसके बाद कई साल तक वाजपेयी सियासी वनवास झेलते रहे। लेकिन, पार्टी नेतृत्व के खिलाफ उनके मुंह से कभी कुछ नहीं निकला।

Sushil Kumar

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