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Meerut News: तो क्या यूपी में प्रेशर पॉलिटिक्स का गेम खेल रहे हैं जयंत चौधरी

Meerut News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय अगर कोई सबसे ज्यादा चर्चा में है तो राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जंयत चौधरी ही हैं। जयंत चौधरी को लेकर चर्चा का विषय यही बना हुआ है कि जयंत विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ हैं या भाजपा के साथ?।

Sushil Kumar
Published on: 10 Aug 2023 6:28 PM IST
Meerut News: तो क्या यूपी में प्रेशर पॉलिटिक्स का गेम खेल रहे हैं जयंत चौधरी
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Is Jayant Chaudhary playing the game of pressure politics in UP, Meerut

Meerut News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस समय अगर कोई सबसे ज्यादा चर्चा में है तो राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जंयत चौधरी ही हैं। जयंत चौधरी को लेकर चर्चा का विषय यही बना हुआ है कि जयंत विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साथ हैं या भाजपा के साथ?। इन चर्चाओं को बल भी जयंत और उनकी पार्टी के लोग ही देते हैं। मसलन कभी जयंत सदन सत्र में गैरहाजिर हो जाते हैं तो कहीं उनकी पार्टी के विधायक यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर खुद ही सोशल मीडिया पर फोटो भी शेयर करते हैं।

कहा जा रहा है कि जयंत चौधरी भाजपा के शीर्ष नेतृत्‍व के करीब हैं। बातचीत निर्णायक मोड़ पर है। यानी भाजपा और उनके नेताओं को पानी पी पीकर गरियाने वाले ओम प्रकाश राजभर की ही मानिंद जयंत भी कभी भी एनडीए का हिस्‍सा होने की घोषणा कर सकते हैं। इन अटकलों में सच्चाई कितनी है इसका तो पता नहीं लेकिन इतना तय है कि जयंत ने ना सिर्फ इंडिया के नेताओं बल्कि बीजेपी के जाट नेताओं की नींदें हराम कर रखी हैं। दरअसल,बीजेपी के जाट नेताओं को इस बात का डर सता रहा है कि जयंत चौधरी एनडीए में शामिल हो गये तो फिर उनकी बहुत जरूरत पार्टी को नहीं रह जायेगी।

पिछले दिनो विपक्षी गठबंधन का हिस्‍सा होने के बावजूद जयंत चौधरी बिल के खिलाफ मतदान करने की बजाय अनुपस्थित रहे । वे पटना में हुई विपक्षी पार्टियों की पहली बैठक में भी नहीं शामिल हुए थे। हालांकि दूसरी बैठक में वे बेंगलुरू गए थे लेकिन अब सरकार औऱ विपक्ष के बीच शक्ति परीक्षण के दौरान वे वोटिंग से गैरहाजिर रहे। इससे उनके प्रति संदेह बढ़ा है। विपक्षी गठबंधन के लिए दिल्ली विधेयक कितना महत्वपूर्ण मुद्दा था, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस तक ने अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया था। दिल्ली के बिल पर वोटिंग के लिए जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को भी व्हिप जारी कर रखा था। पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह तक संसद पहुंच गए थे. ऐसे में जयंत आखिर दूर क्यों रहे? हालांकि जयंत चौधरी की वोटिंग से दूरी को लेकर आरएलडी प्रवक्ता आतिर रिजवी ने कहा कि उनके परिवार में मेडिकल इमरजेंसी थी। उनकी (जयंत चौधरी की) पत्नी की मेजर सर्जरी थी और और वे हॉस्पिटल में थे. मुझे नहीं लगता कि कोई भी व्यक्ति ऐसी स्थिति में संसद पहुंचकर वोटिंग में शामिल होता।

दरअसल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो वर्तमान राजनीतिक माहौल में बीजेपी को ही ही बल्कि जयंत की आरएलडी को भी मजबूत सहारे की जरुरत है। यानी अगर दोनो मिलते हैं तो पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लड़ाई जीतना भी बीजेपी के लिए आसान हो सकता है। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोट एकजुट करने के लिए बीजेपी को जयंत चौधरी की जरूरत है। वहीं जयंत जिनकी पार्टी पिछले दो चुनाव से एक भी लोकसभा की सीट नहीं जीत रही है। को भी पता है कि इंडिया के मुकाबले बीजेपी के साथ जाने में उनकी पार्टी को सियासी फायदा अधिक है। यहां गौरतलब है कि जयंत के पिता अजित सिंह ने 2009 में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में पार्टी को पांच सीटें मिली थीं और पांचों पर वह जीती थी।

सूत्रों की मानें तो भाजपा की ओर से जयंत को तीन सीट का ऑफर दिया जा रहा है और साथ ही राज्यसभा की सीट रखने का भी प्रस्ताव है। यही नहीं राज्यसभा की सीट के साथ ही केन्द्र में जयंत को मंत्री पद भी आफर किया जा रहा है। लेकिन जयंत की पार्टी 2009 की मानिन्द कम से कम पांच सीट चाहती है। वहीं इंडिया गठबंधन में शामिल राज्यसभा सांसद जयन्त चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी यूपी की बुलंदशहर, बागपत और मेरठ समेत 10 सीट मांग रही है। अपनी इस मांग को मनवाने के लिए ही जयंत ऐसा कुछ कर रहे हैं जिनसे कभी उनके एनडीए में जाने की संभावनाएं तेज होने लगती है तो कभी इंडिया में बने रहने की। जानकारों की मानें तो जयंत प्रेशर पॉलिटिक्स का गेम खेल रहे हैं।

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