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Meerut News: तो उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल का कांग्रेस को लेकर उमड़ा प्रेम रणनीति का हिस्सा है
Meerut News: उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल का कांग्रेस को लेकर उमड़ा प्रेम रालोद की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। दरअसल,रालोद की प्रदेश की करीब एक दर्जन लोकसभा सीटों पर नजर है।
Meerut News: रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने आज फिर यह कह कर कि कांग्रेस को साथ लिए बिना या उसके साथ गठबंधन किए बिना कोई भी मोर्चा प्रभावी रूप नहीं ले सकता.है उन अटकलों को हवा दे दी है जिसमें कहा जा रहा है कि लोकसभा में रालोद और कांग्रेस साथ आ सकते हैं। दरअसल, पिछले दिनों कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में जयंत चौधरी शामिल हुए थे। इसके बाद भी रालोद और कांग्रेस की नजदीकी का मु्द्दा गरमाया था। गौरतलब है कि कांग्रेस के साथ राजस्थान में तो रालोद खड़ी ही है।
सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल का कांग्रेस को लेकर उमड़ा प्रेम रालोद की रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। दरअसल,रालोद की प्रदेश की करीब एक दर्जन लोकसभा सीटों पर नजर है। जाहिर है कि समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव अपनी इस सहयोगी रालोद को इतनी सीटें नहीं देंगे। सो,दबाव बनाने की रणनीति के तहत रालोद ने कांग्रेस से नजदीकी बढ़ानी शुरु कर दी है। दरअसल, कांग्रेस को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का रुख साफ नहीं है। वे एक समय में ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, के. चंद्रशेखर राव और शरद पवार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। इनके लिए कांग्रेस प्रायोरिटी लिस्ट में नहीं है। ऐसे में रालोद अपनी राह अलग कर सकती है।
रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय हालांकि यह तो नहीं खुलासा करते हैं कि वों 12 सीटें कौन सी हैं, जहां उनकी पार्टी जीतने की ताकत रखती है। लेकिन,यह जरुर कहते हैं कि प्रदेश की 12 सीटों ऐसी हैं जहां पर रालोद किसी को भी हरा या जिता सकती है। यानी एक तरह से आरएलडी ने 2024 के चुनावों के लिए अपनी बार्गेनिंग पावर की एक झलक दिखाने की कोशिश की है। रालोद के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी पार्टी की नीयत साफ करते हुए कहते हैं-इस बार हम 12 सीटों से कम पर मानने वाले नहीं हैं। गौरतलब है कि 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में रालोद को तीन सीटें मथुरा, मुजफ्फरनगर और बागपत दी गई थी।
इसके बाद हुए 2022 विधानसभा चुनाव में बसपा सपा गठबन्धन से अलग हो गई थी। सपा व रालोद ने विधानसभा चुनाव साथ लड़ा था। इस चुनाव में रालोद 33 सीटों पर लड़ी। भले ही यह गठबंधन सत्ता के सोपान तक न पहुंच पाया हो पर रालोद को तो इसका लाभ ही हुआ। वह एक सीट से बढ़कर आठ तक पहुंच गया। बाद में खतौली उपचुनाव जीतकर संख्या नौ पहुंच गई। हाल ही में हुए नगर निकाय चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों में मनमुटाव हुए तो कई जगह सपा व रालोद ने अपने अपने प्रत्याशी उतार दिए। रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने निकाय चुनाव में न तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ मंच साझा किया और न ही साथ में प्रचार में किया। हालांकि बाद में दोनों ने कहा कि क्षेत्रीय चुनाव में कार्यकर्ताओं को लड़ने की छूट दी गई थी।