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Meerut News: रोडवेज को एक साल में 210 करोड़ का घाटा, यूनियन ने सरकार पर इस ‘साजिश’ का लगाया आरोप

Meerut News: घाटे की दलील देकर किराया बढ़ाने की कवायद में जुटा उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (UPSRTC) का घाटा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यूपी रोडवेज को वित्तीय वर्ष 2022-23 में दिसंबर तक ही 210 करोड़ का घाटा हो चुका है।

Sushil Kumar
Published on: 4 Aug 2023 6:11 PM IST
Meerut News: रोडवेज को एक साल में 210 करोड़ का घाटा, यूनियन ने सरकार पर इस ‘साजिश’ का लगाया आरोप
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Roadways Loss of w210 Crores in one Year, Meerut

Meerut News: घाटे की दलील देकर किराया बढ़ाने की कवायद में जुटा उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (UPSRTC) का घाटा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यूपी रोडवेज को वित्तीय वर्ष 2022-23 में दिसंबर तक ही 210 करोड़ का घाटा हो चुका है। आर्थिक नुकसान के चलते ही निगम चाहकर भी बेड़े में नई बसों को शामिल नहीं कर पा रहा है।

कांवड़ यात्रा से रोडवेज को उठाना पड़ा अतिरिक्त नुकसान

बता दें कि घाटे की दलील देकर ही इस साल फरवरी माह में रोडवेज बसों के किराए में 25 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी की गई थी। इससे पहले रोडवेज ने 2020 में 20 पैसे प्रति किलोमीटर प्रति यात्री की बढ़ोतरी की थी। गौरतलब है कि कोरोना के चलते तीन साल रोडवेज बसों का किराया बढ़ाया नहीं जा सका था। कमाऊ माने जाने वाले मेरठ परिक्षेत्र के पांच डिपो की इस वर्ष के आय-व्यय के आंकड़े पर ही नजर डाली जाए तो खर्च की तुलना में जुलाई 2023 में मेरठ परिक्षेत्र के पांचों डिपो की बसों के संचालन से विभाग को करीब ढाई करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है। इसकी वजह विभागीय अफसर कांवड़ यात्रा को बताते हैं। उनका कहना है कि कांवड़ यात्रा के दौरान विभिन्न मार्गों पर बंद हुए बसों के संचालन ने जुलाई माह में विभाग को ढाई करोड़ रुपये के घाटे की करारी चोट दी है।

रोडवेज के बेड़े में शामिल बसों की मानक औसत आयु पांच साल

इस दौरान रोडवेज प्रशासन द्वारा कांवड़ यात्रियों को हरिद्वार ले जाने के लिए दिन रात बसों को संचालन किया गया। लेकिन इसमें एक तथ्य यह सामने आया कि यात्री एक ओर से ही गए। हरिद्वार से वापसी के समय अधिकांश बसें लगभग खाली ही लौटती रहीं। अधिकारियों के अनुसार रोडवेज के बेड़े में शामिल बसों की मानक औसत आयु पांच साल होती है। हालांकि वर्तमान में निगम खुद के बजट से नई बसों की खरीद नहीं कर पा रहा है। ऐसे में बसों की वर्तमान औसत आयु साढ़े सात साल से ज्यादा हो चुकी है। बेड़े की 70 फीसदी से ज्यादा बसें कंडम होने के बाद रिपेयर करवा चलाई जा रही हैं। इसी के चलते आए दिन रास्ते में खराब होने की शिकायतें भी आ रही हैं। इससे यात्रियों को दिक्कत होने के साथ ही रोडवेज को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

यूनियन ने घाटे को सरकारी साजिश करार बताया

रोडवेज कर्मचारी संघ के क्षेत्रीय मंत्री राजीव त्यागी रोडवेज के लगातार बढ़ते घाटे को सरकारी साजिश करार देते हैं। उनका कहना है कि रोडवेज को बेचने के लिए रोडवेज को घाटे की भट्ठी में झोंका जा रहा है। मालूम रहे कि प्रदेश में रोडवेज की 11,200 बसें चल रही हैं। इनमें प्रतिदिन 15-16 लाख यात्री सफर करते हैं। इनसे प्रतिदिन लगभग 12 करोड़ रुपये की आय हो रही है। ज्यादा ठंड होने या सहालग न होने पर यह आय काफी कम हो जाती है, जबकि खर्च प्रतिदिन लगभग 14 करोड़ रुपये है। यहां 16 हजार स्थायी तथा 30 हजार अस्थायी कर्मचारी काम कर रहे हैं।



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