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आधे से भी कम हो गए तेल के दाम, निर्यात बंद होने का हुआ ऐसा असर

लॉकडाउन और चीन से निर्यात बन्द होने के कारण हरदोई के मेंथा किसान परेशान हैं। खेतों में मेंथा की फसल खराब होना और फसल से कम तेल निकलना किसानों...

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Published on: 4 July 2020 5:22 AM GMT
आधे से भी कम हो गए तेल के दाम, निर्यात बंद होने का हुआ ऐसा असर
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हरदोई: लॉकडाउन और चीन से निर्यात बन्द होने के कारण हरदोई के मेंथा किसान परेशान हैं। खेतों में मेंथा की फसल खराब होना और फसल से कम तेल निकलना किसानों की परेशानी का सबब बन गया है। कोरोना वॉयरस और लॉकडाउन के चलते चीन से व्यापार थमा है। वहां मैंथा न जाने से रेट पर सीधा असर पड़ा है। जो मैंथा पिछले साल तक 2000 रुपये लीटर बिक रहा था इस समय वह 900 से 1500 तक नही पहुंच रहा है, जिससे किसान परेशान हैं।

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मेंथा पर्याप्त लेकिन खरीदार कम

बताते चलें कि देश मे कुल मैंथा उत्पादन का लगभग 75 से 80 फीसद उत्तर प्रदेश में होता है। वहीं हरदोई जिले में भी मेंथा का बेहतर उत्पादन होता है। फसल भी तैयार हो चुकी है और कई प्लांटों में मेंथा में तेल निकालने का काम भी चल रहा है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार मैंथा उत्पादन में 20 फीसद की बढ़त भी जिले भर में है। ऐसे में मैंथा पर्याप्त तो है लेकिन खरीदार कम।

2 हजार रुपये लीटर बिकने वाला तेल 900 से 1500 तक सिमटा

मैंथा ऑयल दिल्ली व मुंबई के व्यापारियों के मार्फत चीन तक भेजा जाता है लेकिन कोरोना वॉयरस के चलते लॉकडाउन में व्यापार थमा है। इस वजह से चीन में मैंथा न जाने से रेट पर सीधा असर पड़ा है। जो मैंथा पिछले साल तक 1800 से 2000 तक पहुंचा था इस बार यह रेट 800 से 1500 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच पा रहा है जिससे किसान परेशान है।

जिले के विभिन्न गांवों में इस बार बड़ी तादात में किसानों ने मेंथा की खेती की है। किसानों को उम्मीद थी कि खरीफ फसल कमजोर होने के बाद इसकी भरपाई मेंथा फसल की कटनी के बाद कर लिया जाएगा। अब इस उम्मीद पर भी पानी फिर गया है। कुछ किसान बटाई पर भी खेत लेकर खेती किए थे। लेकिन, मानसून पूर्व वर्षा होने से तेल निकासी नहीं होने के चलते किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गई है।

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किसान रामसिंह, गौरव आदि ने बताया कि किसान इस बार कर्ज के बोझ से लद गए हैं। प्रति बीघा मेंथा की फसल उगाने में 20 हजार रुपये का खर्च आया है। परंतु तेल नहीं निकलने से कर्जदार हो जाएंगे। जिन किसानों का खेत लिया गया है, बटाई पर उन्हें इसकी भरपाई के लिए अलग से और कर्ज लेना पड़ेगा। इसके लिए सरकार की तरफ से क्षतिपूर्ति भी नहीं दी जा रही है।

रिपोर्ट: मनोज तिवारी

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