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सर पर धूप और ये मीलों का सफर, अरे कोई तो पहुंचा दो बॉर्डर तक
शामली के रोडवेज बस अड्डे पर पंजाब से आए सैकड़ों की तादाद में प्रवासी मजदूर चिलचिलाती धूप और गर्मी में बसों के नीचे ही सोने को मजबूर हैं।
शामली: कोरोना वायरस के चलते जहां पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है और देश इस समय आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। तो वहीं सबसे ज्यादा बुरा हाल बिहारी मजदूरों का है। लोग लॉकडाउन के चलते काम बंद होने पर अपने घरे को जाने के लिए बेकरार हैं और पैदल ही घर के लिए निकल रहे हैं। मामला जनपद शामली का है जहां पर पंजाब से आए प्रवासी मजदूर अपने बच्चों संग धूप में गर्मी में भूखे प्यासे बस स्टैंड पर रहने को मजबूर हैं। और किसी तरह से कोई उन्हें उनके घर तक पहुंचा दे। इस बात की बांट जोह रहे हैं।
पंजाब से चले मजदूर, धूप में बसों के नीचे सो रहे
शामली के रोडवेज बस अड्डे पर पंजाब से आए सैकड़ों की तादाद में प्रवासी मजदूर चिलचिलाती धूप और गर्मी में बसों के नीचे ही सोने को मजबूर हैं। प्रवासी मजदूरों का कहना है कि वह 2 दिन पहले पंजाब से चले थे। और अब यहां पहुंचे हैं। और बस स्टैंड पर बस का इंतजार कर रहे हैं। और लोगों से गुहार लगा रहे हैं कि कोई उन्हें उनके घर तक पहुंचा दे। यह वह प्रवासी मजदूर हैं जो लॉक डाउन होने के कारण काम से खाली हो गए हैं, जो कि पंजाब में फैक्ट्रियों में काम करते थे।
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लेकिन फैक्ट्री बंद होने की वजह से उनके सामने खाने-पीने की समस्या पैदा होने लगी। तो उन्होंने अपने गांव का रुख करना शुरू कर दिया और पैदल ही अपने गांव के लिए निकल पड़े। 2 दिन का सफर तय कर कर शामली पहुंचे हैं। वह थक हार कर धूप होने की वजह से बसों के नीचे ही आराम कर रहे हैं। क्योंकि बस स्टैंड पर छाव की कोई व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं की गई है।
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भीषण धूप और गर्मी के चलते लोग एक जगह इकट्ठा होने को मजबूर है। क्योंकि बस स्टैंड पर जगह काम है। हालांकि जिला प्रशासन द्वारा लोगो को बसों द्वारा उनके घरों तक पहुंचवाया जा रहा है। मगर सिस्टम की लाचारी के चलते इन मजदूरों को धूप अधिक होने के कारण बसों के नीचे सोने को मजबूर होना पड़ रहा है।
मजदूरों की गुहार- कोई बॉर्डर तक ही छुड़वा दो
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प्रवासी मजदूर सुनील कुमार ने बताया कि उसके परिवार के 12 लोग हैं जो पंजाब से पैदल चलकर के शामली पहुंचे हैं ऐसे में उनकी खाने पीने की व्यवस्था बिल्कुल चौपट है। जो रास्ते में मिल गया वह रास्ते में उन्होंने खा लिया। सुनील के परिवार में 12 लोग हैं जिसमें से 3 महिलाएं 3 बच्चे बाकी जेंट्स हैं। ऐसे में सुनील का परिवार सोच रहा है कि यहां तक पैदल चलकर तो आ गए। लेकिन अगर हमें कोई बस द्वारा बिहार के बॉर्डर तक ही छोड़ दें तो इनका एहसान होगा। यहां तक आने में उन्हें 2 से 3 दिन तो लग गए।
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बाकी बस की आस में शामली के रोडवेज बस स्टैंड पर धूप से बचने के लिए बसों के नीचे ही बच्चों सहित एक चादर बिछा कर लेटे हुए हैं। वहीं दिलीप कुमार का कहना है कि हम लोग पंजाब से आए हैं। हम करीब 25 लोग हैं। हम केवल यह निवेदन करते हैं कि हम लोगों को बस द्वारा हमारे बॉर्डर तक ही छोड़ दिया जाए। ताकि हम अपने परिवार के साथ बच्चों के साथ और जो हमारे साथ रहने वाले हैं लोग वह आराम से घर जा सके। यूपी और बिहार बॉर्डर तक हमें बस द्वारा छोड़ा जाए हम यह मांग कर रहे हैं।
पंकज प्रजापति