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भूतों का मेलाः हजारों के झुंड में आते हैं चुड़ैल और जिन्न, क्या आप को पता है

अंधविश्वास के शहर में लगने वाले इस मेले में पढ़े लिखे लोग भी टेकते है माथा, आज तक आप लोगो ने भुतो के बारे मे तमाम बाते सुनी होगी। लेकीन क्या कभी भुतो को देखा है या उनकी रुह चाहती क्या है और ये आये कहा से आये है ।

Monika
Published on: 26 Nov 2020 3:09 PM GMT
भूतों का मेलाः हजारों के झुंड में आते हैं चुड़ैल और जिन्न, क्या आप को पता है
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यहां लगता है भूतों का मेला, हजारों की झुंड में हर साल आती है चुड़ैल और जिन्न

बृजेन्द्र दुबे

मिर्जापुर: अंधविश्वास के शहर में लगने वाले इस मेले में पढ़े लिखे लोग भी टेकते है माथा, आज तक आप लोगो ने भुतो के बारे मे तमाम बाते सुनी होगी। लेकीन क्या कभी भुतो को देखा है या उनकी रुह चाहती क्या है और ये आये कहा से आये है ।नही ना, तो नही देखे तो मै आपको सबसे पहले बता दु जो कमजोर दील वाले है वो ये न्युज ना देखे ।क्योकी हो सकता है आपको खबर देखने के दौरान घबराहट बेचैनी या आपके रोगंटे खडे़ हो जाये।या आपलोग इसे अन्धविश्वास का नंगा नाच भी कह सकते है। अब हम बताते है आखीर ये अंधविश्वाव का नंगा नाच होता कहा है

आइए जानते है आखीर अंधविश्वाव का नंगा नाच कहा होता है

उत्तर प्रदेश मे मीरजापुर जिले के एक छोटे से बरहीया गाँव के बेचूबीर नामक स्थान पर एक साल मे एक बार दीवाली के बाद एकादशी वाले दिन तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है। गांव ऐसा की शायद इससे पिछड़ा उत्तर प्रदेश का कोई गावं नही होगा। लेकीन हर वर्ष की भांति मेले के वक्त पांच लाख से उपर लोगो की भीड़ से पुरे गाँव का हर एक कोना भर जाता है। चारो तरफ रोने की अजब-गजब की आवाजे मानो किसी दुश्मन देश ने मीसाइल से हमला कर लोगो को छत विछत कर खेतो मे ला दिया हो। धुल के अम्बार आसमानो मे उड़ते है ।

अजीबो गरीब हरकत करते दिखाई पड़ रहे थे लोग

तमाम रुकावट परेशानी के बाद भी श्रद्धालुओं की भीड़ मान नही रही है,महिलाओं पुरुषों की भीड़ बेचूबीर बाबा बरही माता की समाधि के पास पहुँच रहे हैं। लोग खेतो मे पड़े धुलो मे लेट रहे थे। हजारो की संख्या मे महिलाएं अपने बाल खोले उछल कुद कर रही थी कुछ तो जोर-जोर से रो रही थी, कुछ पुराने जमाने मे चलन बोली भाषाओ मे गाना गा रही थी मानो किसी को अपने गाने के जरीये अपना दुखड़ा सुना रही हो।वो दुखडा़ सुनने वाला कोई इंन्सान नही बल्की एक समाधी के रुप मे पीडंकी है।

जीसको लोग बेचुबीर बाबा के नाम से जानते है यहा मैने देखा अच्छे खासे लोग धुप,अगरबत्ती जलाते ही उटपटागं हरकत करने लगते थे मानो अब उनके शरीर पर किसी और का कन्ट्रोल हो। पतले दुबले और रोगी युवक मे इतना दम आ जाता था जो दो चार लोगो के पकड़ने पर भी कन्ट्रोल मे नही आता । उन्हे धक्का देकर बेचुबीर समाधि के करीब पहुचते ही महीला पुरुष सुस्त होकर बैठ जाते थे।

बरहिया माता के दर्शन के बाद ही मिलता है दुखों से छुटकारा

कहानी यही खत्म नही हुई अभी और ट्वीस्ट बाकी है बेचुबीर बाबा समाधि से ५०० मीटर की दुरी पर एक और समाधी है जिसे लोग बेचुबीर की पत्नी बराही माता के नाम से पुजते है। यहां का नजारा भी कुछ उसी तरह होता है बराही माता को तो लोग बेचुबीर बाबा से भी शक्तीशाली कहते है। लोगो का कहना है जो भुत प्रेत जीद्दी होते है वो इनके समाधी पर आते ही शरीर को छोड़ भाग जाते है।

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यहां दुखियों को पकडकर लोग जबरदस्ती बैठाते है क्योकी समाधी पर जैसे ही भुत प्रेत से पीडी़त महीला या पुरुष की नजर पड़ती है वो पीछे भागता है वो समाधी के पास आना ही नही चाहता ,साथ मे आये परिजनों या आस पास के लोगो को पकड़ के बैठाना पड़ता है। कहने को तो अंधविश्वाव से यहा का माहौल भरा पड़ा होता है। लेकीन लोगो का आस्था देखकर मन मे सवाल उठता है आखीर कुछ कारण तो अवश्य है जो लोग दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता बिहार, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ समेत देश के कोने-कोने से लोग यहा आते है।

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पढ़े लिखे लोग भी टेकते है यहां माथा

इस अंधविश्वास के मेले मे अनपढ़ ही नही,आईएस,पीसीएस जैसे पढे लिखे अधिकारी भी आते है। पिछले साल आये सीओ आगरा फतेहाबाद अशोक कुमार सिंह अपने माँ के साथ मेले मे पहुचे तो मुझसे उन्होने बताया की हमारे परिवार मे लोग बेचुबीर बाबा को पचासों साल से पुजते आये है। मन्नतपुरी होने पर माँ को बाबा के पास दर्शन कराने लाये है। ये सब देखने बाद मैने श्रद्धालुओं से पुछा आप यहा क्यो आते हो।तो लोग तरह तरह की बाते बताने लगे सुनीता यादव नाम की एक महिला ने बताया मेरी पंन्द्रह साल पहले शादी को हो गयी थी।

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कोई औलाद नही था पीछले साल बेचुबीर धाम किसी के कहने पर हम दम्पत्ति दर्शन को आये और अब उनके कोख में एक बेटा गोद मे है।दूसरे दर्शनार्थियों से पुछा तो किसी ने बताया शादी विवाह तुरन्त हो जाती है तो किसी ने बताया प्रेत आत्मा का साया यहाँ आने से छोड़कर भाग जाता है। लोगो की अलग-अलग कहानी सुन कर हम सन्न रह गये । आखिर पत्थर का समाधी लोगो का कैसे भला कर सकता है।

कॅरोना व प्रशासन के सख्ती के चलते श्रद्धालुओं में आयी भारी कमी

कोरोना का दंश झेल रहा पूरा देश इसको देखते हुये प्रशासन किसी तरह का खतरा मोल नही लेना चाहती, क्योकि ये महामारी पुनः अपने पुराने रंग रूप में सामने आ गया है।अतः इन बातों को ध्यान में रखते हुए बेचूबीर बरही मेले के संस्थापको व स्थानीय प्रशासन ने एक सप्ताह पहले ही सोसल मीडिया,प्रिंट मीडिया के माध्यम से लोगो से घर पर ही पूजा पाठ करने का अपील किया था। किंतु इस अंधविश्वास के मेले में रोक के बाद भी लोग अपनी वाहन खड़ी कर 15 से 20 किलोमीटर पैदल धूल भरे रास्तो से चलकर बेचूबीर चौरी पर माथा टेकने पहुँच रहे हैं।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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