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मुरादाबाद संत मामला: CBI जांच की मांग को लेकर हिन्दू परिषद का प्रदर्शन
संत रामदास के शव के संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने के बाद से मुरादाबाद में हिंदू संगठनों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इससे पहले बीते शनिवार को भी मुरादाबाद-हरिद्वार हाइवे पर भी संत रामदास का शव रख कर विरोध प्रदर्शन किया गया था।
लखनऊ: अवैध खनन का विरोध करने वाले संत रामदास की संदिग्ध मौत के मामलें में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने शुरू हो गए है। इस मामलें में अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं ने पूरे मामलें की सीबीआई जांच की मांग करते हुए मुरादाबाद के गुरहट्टी चैराहे पर प्रदर्शन कर सवाल उठाया है कि पुलिस-प्रशासन ने संत रामदास का अंतिम संस्कार आनन-फानन में क्यों कर दिया। परिषद कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन भी सौंपा है।
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मुरादाबाद में हिंदू संगठनों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है
संत रामदास के शव के संदिग्ध परिस्थितियों में मिलने के बाद से मुरादाबाद में हिंदू संगठनों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इससे पहले बीते शनिवार को भी मुरादाबाद-हरिद्वार हाइवे पर भी संत रामदास का शव रख कर विरोध प्रदर्शन किया गया था। प्रदर्शनकारी संत रामदास की हत्या की आशंका जताते हुए सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे।
संत रामदास जी का शव उस इ
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लाके में मिला है जहां हिन्दू आबादी के एक-दो लोग ही रहते है
रविवार को गुरहट्टी चैराहे पर प्रदर्शन कर रहे अंतर्राष्ट्रीय हिन्दू परिषद के क्षेत्रीय महामंत्री मनोज व्यास ने कहा कि यूपी में संतों की हत्या की एक श्रंखला सी बन गई है, बीते दो माह में उत्तर प्रदेश में सन्तों की हत्या के कई मामलें सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि संत रामदास जी का शव उस इलाके में मिला है जहां हिन्दू आबादी के एक-दो लोग ही रहते है। इसके साथ ही संत रामदास के परिजनों के मुताबिक उनके पास दो मोबाइल थे, पुलिस इन मोबाइल को भी बरामद नहीं कर पायी है। इसके अलावा खनन और प्रदूषण के विरोध में उन्हे धमकी भी मिला करती थी। लिहाजा संत बाबा रामदास के बिसरे को सुरक्षित रखते हुए उनकी संदिग्ध मौत की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिये।
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बता दे कि अवैध खनन माफिया का मुखर विरोध करने वाले मुरादाबाद के एक संत रामदास का शव बीते शनिवार की सुबह संदिग्ध परिस्थितियों में एक मंदिर में मिला था। मृतक संत रामगंगा नदी बचाओं संघर्ष मिशन से जुडे़ थे और नदी में होने वाले अवैध खनन को रोकने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे थे। क्षेत्र में चर्चा है कि उनकी हत्या के पीछे अवैध खनन माफिया के खिलाफ आवाज उठाने और लगातार विरोध किया जाना है। इसके साथ ही कुछ दिन पूर्व ही संत रामदास ने एक वीडियों जारी कर खनन माफिया से अपनी जान को खतरा भी बताया था।
मनीष श्रीवास्तव/सगर रस्तोगी
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