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LAC पर सैनिक तैनात: भारत-चीन के बीच जंग की शुरुआत, सीमा पर हलचल
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने प्रस्ताव दिया है कि दोनों पक्ष बख्तरबंद और तोपखाने को पहले वहां से हटाएं इसके बाद पैदल सेना को हटाने की बारी आएगी। वहीं, भारतीय पक्ष बहुत स्पष्ट है कि बख्तरबंद इकाइयों को वापस नहीं लिया जा सकता है।
नई दिल्ली: भारत-सीमा की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अभी तनाव जारी है। सीमा विवाद अभी तक सुलझ नहीं पाया है। दोनों ही देशों के सैनिक एक दूसरे के सामने हैं। और जिस कारण सीमा पर हथियारों और जवानों की तैनाती बढ़ गई है। नई दिल्ली और बीजिंग के बीच सात दौर की बात चीत होने के बाद भी सीमा पर स्थिति सुलझी नहीं है। अब इस सिलसिले में भारत और चीन सीमा विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए टेबल पर आने वाले हैं।
सीमा पर दोनों देशों के जवानों की तैनाती में वृद्धि
एक रिपोर्ट के अनुसार लद्दाख में जारी सीमा विवाद सुलझाने को लेकर अगले हफ्ते भारत-चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर की वार्ता का आठवां दौर आयोजित होने की उम्मीद है। सर्दियों और बर्फबारी के मद्देनजर दोनों ही सेनाओं ने 1,597 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जवानों की तैनाती में वृद्धि करना शुरू कर दिया है।
विपरीत परिस्थिति को नहीं दोहराने पर जोर
वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो दोनों ही पक्ष विवाद वाले स्थल पर फिलहाल शांति बहाल करने के लिए व्याकुल नहीं दिख रहे हैं, लेकिन उन्होंने सैन्य कमांडर और राजनयिक स्तरों पर संवाद चैनलों को खुला रखने का फैसला किया है। विवाद वाले स्थलों पर किसी भी विपरीत परिस्थिति को नहीं दोहराने के लिए भी बातचीत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने दिया ये प्रस्ताव
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने प्रस्ताव दिया है कि दोनों पक्ष बख्तरबंद और तोपखाने को पहले वहां से हटाएं इसके बाद पैदल सेना को हटाने की बारी आएगी। वहीं, भारतीय पक्ष बहुत स्पष्ट है कि बख्तरबंद इकाइयों को वापस नहीं लिया जा सकता है, क्योंकि इलाके और क्षमता के कारण विरोधी को लाभ मिल सकता है। भारत और चीन के बीच सातवें दौर की वार्ता को लेकर भारतीय सेना के प्रवक्ता ने बताया कि वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डिसइंगेजमेंट (सैनिकों का विघटन) पर विचार विमर्श किया।
दोनों पक्ष वार्ताएं जारी रखने पर सहमत
प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच हुए विचार सकारात्मक और रचनात्मक होने के साथ एक-दूसरे की स्थिति की समझ को और बेहतर करने वाले थे। दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक माध्यमों से वार्ताएं जारी रखने पर सहमति जताई। प्रवक्ता ने बताया कि वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने सैनिकों के विघटन के लिए जल्द से जल्द एक पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने की बात कही।
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15 जून की रात दोनों देश के सैनिकों के बीच हुई झड़प
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पिछले पांच महीनों से सीमा पर तनाव जारी है। इस दौरान दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी हुई है। 15 जून की रात को लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद सीमा पर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया। झड़प में हताहत हुए चीनी सैनिकों की संख्या को लेकर बीजिंग की तरफ से कोई जानकारी साझा नहीं की गई। हालांकि, एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस झड़प में चीनी सेना के 43 जवान हताहत हुए थे।
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