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औरैया से मदर्स-डे स्पेशल: राष्ट्रीय कवि अजय अंजाम ने इस तरह दी मां को श्रद्धांजलि

भगवान जब स्वयं अपनी सब संतानों के पास पहुंच सकने में सफल नहीं हो सका तब उसने मां का निर्माण किया। सैकड़ों से अधिक बार प्रस्तुति दे चुके अजय अंजाम का कहना है कि उनकी जिंदगी में जितनी भी उपलब्धियां है उन्हें मां की दुआओं से हासिल हुई हैं।

SK Gautam
Published on: 10 May 2020 2:01 PM GMT
औरैया से मदर्स-डे स्पेशल: राष्ट्रीय कवि अजय अंजाम ने इस तरह दी मां को श्रद्धांजलि
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औरैया: जहां पर कई लोग अपने संस्कार भूल कर बुजुर्गों का सम्मान करना भूल गए हैं। वहीं कुछ लोग अभी भी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी मां के चरणों में ही अपना सर्वस्व निछावर कर दिया है। ऐसी ही एक रचना टीवी चैनलों पर अपनी कविता का लोहा मनवा चुके औरैया निवासी अजय शुक्ला अंजाम ने मार्मिक रूप में पेश की। उन्होंने कहा कि मां भगवान के द्वारा दुनिया को दी गई ऐसी नेमत है जिसमें खुद भगवान के ही दर्शन होते हैं।

सैकड़ों से अधिक बार प्रस्तुति दे चुके हैं अजय अंजाम

भगवान जब स्वयं अपनी सब संतानों के पास पहुंच सकने में सफल नहीं हो सका तब उसने मां का निर्माण किया। सैकड़ों से अधिक बार प्रस्तुति दे चुके अजय अंजाम का कहना है कि उनकी जिंदगी में जितनी भी उपलब्धियां है उन्हें मां की दुआओं से हासिल हुई हैं।

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माता व पिता दोनों की जिम्मेदारी मां ने ही निभाई

कवि अंजाम बताते हैं कि वह जनपद के ही बहुत छोटे से गांव बूढ़ादाना में पैदा हुए। पिताजी आचार्य रूपनारायण शुक्ल रूपेश मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। इसी के चलते उनका ज्यादातर जीवन मां के साथ ही व्यतीत हुआ। कई बार मां उन्हें व उनके न भाई बहनों को लेकर गांव में ही रुक जाती थी और पिता नौकरी के सिलसिले में मध्य प्रदेश चले जाते थे। ऐसे में माता व पिता दोनों की जिम्मेदारी मां ने ही निभाई। मां की दी शिक्षाएं व संस्कारों ने ही उनके हृदय में संवेदनशीलता की स्थापना की।

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कवि अंजाम कहते हैं मां अगर संतान के हित में एक बार संकल्प कर ले तो कोई भी विपत्ति उसे तकलीफ नहीं पहुंचा सकती। मां अपने जीवन का सर्वस्व दान करके भी अपनी संतान की रक्षा करती हैं। अपनी संतान को आगे बढ़ाने के लिए मां का जज्बा सभी से बढ़कर है। अजय अंजाम ने बताया कि उनकी मां पढ़ी-लिखी नहीं थी।

माँ सरला देवी से किताबें दान करने की प्रेरणा

यही वजह है कि उन्होंने अपने सभी बेटे-बेटियों को खूब पढ़ाया लिखा लिखाया। बड़े बेटे को वकील, मझले तथा छोटे को शिक्षा विभाग व दोनों बेटियों को सरकारी महकमों में सेवायोजित कराया। यहां तक कि मामा के बेटे को भी मदद दी और वो वायुसेना में अफसर बना। मां को याद कर भावुक हुए राष्ट्रीय कवि अजय अंजाम कहते हैं उनकी माँ सरला देवी से ही उन्हें किताबें दान करने की प्रेरणा मिली।

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