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तो क्या मुलायम सुझायेंगे शिवपाल की सपा में वापसी का फार्मूला?
लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने से निराश समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की पार्टी के आफिशियल फेसबुक एकाउंट पर सपा से अलग हो कर अलग पार्टी बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव को पार्टी में फिर शामिल करने की मांग और रायशुमारी ने रंग लाना शुरू कर दिया है।
लखनऊ: लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने से निराश समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की पार्टी के आफिशियल फेसबुक एकाउंट पर सपा से अलग हो कर अलग पार्टी बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव को पार्टी में फिर शामिल करने की मांग और रायशुमारी ने रंग लाना शुरू कर दिया है। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव भी शिवपाल को वापस पार्टी में लाने की कवायद में जुट गये है।
मायावती द्वारा गठबंधन से किनारा करने के बाद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव एक बार फिर सक्रिय हो गये है। पार्टी सूत्रों की माने तो मुलायम सिंह ने अपने सैफई स्थित आवास पर एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में अखिलेश और शिवपाल दोनों ही शामिल होंगे, जबकि रामगोपाल को इस बैठक से दूर रखा जायेगा। बताया जा रहा है कि मुलायम के पास दोनों के बीच सुलह का एक फार्मूला है।
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लखनऊ में अखिलेश से मिलने सपा के कोषाध्यक्ष व राज्यसभा संासद संजय सेठ आज सपा कार्यालय पहुंचे। संजय सेठ ने ही सपा और बसपा के बीच गठबंधन के तार छेडे़ थे।
समझा जा रहा है कि नयी राजनीतिक परिस्थितियों पर अखिलेश ने संजय सेठ के साथ बातचीत की है। जबकि सपा से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले शिवपाल सिंह ने भी अपने आवास पर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की तथा कुछ खास पदाधिकारियों के साथ गोपनीय चर्चा भी की।
इधर, सपा के फेसबुक एकाउंट पर एक सपा समर्थक शिवाकांत यादव ने पार्टी मुखिया अखिलेश यादव से शिवपाल सिंह यादव को फिर से पार्टी में शामिल करने का अनुरोध करते हुये इस पर अन्य लोगों की राय भी मांगी थी। रायशुमारी में सैकड़ों कमेंट शिवपाल को शामिल करने के समर्थन में आ गये।
एक समर्थक ने तो अपने कमेंट में कहा है कि यदि पार्टी को संगठित, एकजुट और मजबूत बनाना है तो शिवपाल सिंह को पार्टी में शामिल करना ही होगा। इसके लिए सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को पहल करनी चाहिये। तभी पार्टी 2022 का विधानसभा जीतने के लिए मजबूत हो पायेगी।
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शिवपाल को पार्टी में फिर से शामिल करने के पोस्ट पर मिले अधिकतर कमेंट में इसे सही ठहराया गया है। एक कमेंट में कहा गया है िकइस मामले में राष्ट्रीय अध्यक्ष की हालत सांप-छछूंदर जैसी हो गयी है। शिवपाल सिंह को पार्टी में लिया गया तो रामगोपाल नाराज हो जायेंगे, इसलिए दोनों के काम अलग-अलग बांट दिये जाने चाहिये।
एक अन्य कमेंट में कहा गया है कि अगर सपा अपनी परम्परागत प्रतिद्वंदी बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती है तो अपने तो अपने होते है, एक साथ हो कर देख ले 2022 में बुआ की जरूरत नहीं पडेगी और हम फिर सरकार में होंगे। एक कमेंट में कहा गया है कि 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव बगैर शिवपाल के लड़े और दोनो में सपा को हार देखनी पड़ी।
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