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लोकसभा चुनाव : देवीपाटन मंडल में कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं

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Published on: 10 May 2019 2:30 PM IST
लोकसभा चुनाव : देवीपाटन मंडल में कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं
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लोकसभा चुनाव : देवीपाटन मंडल में कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं

तेज प्रताप सिंह

गोंडा: देवीपाटन मंडल में अच्छी संख्या होने के बावजूद लोकसभा चुनाव में मुसलमान नेता टिकट की जंग हार गए। यहां की चार सीटों में एक पर भी भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा ने किसी भी पार्टी ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा। जबकि भाजपा को छोड़ अन्य सभी दल मुस्लिम मतों को अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रहे हैं। आबादी के लिहाज से इस मंडल में बड़ी आबादी मुस्लिम धर्म में विश्वास रखती है। इस बार चुनाव में चारों प्रमुख दलों से किसी ने मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा है।

गोंडा में दो मुस्लिम दावेदारों का टिकट कटा

देवीपाटन मंडल के सबसे महत्वपूर्ण गोंडा लोकसभा क्षेत्र में गोंडा सदर, मेहनौन, मनकापुर, गौरा और बलरामपुर जिले की उतरौला विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। गोंडा लोकसभा सीट पर हैदर हुसैन के बाद अब तक कोई मुस्लिम सांसद नहीं हुआ। इस बार भी बसपा से मसूद खां, कांग्रेस से कुतुबुद्दीन खान डायमंड टिकट के रेस में थे, लेकिन अंतत: दोनों टिकट की जंग हार गए। यहां से कांग्रेस ने अपना दल की कृष्णा पटेल और सपा-बसपा ने संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पूर्व मंत्री विनोद कुमार सिंह पंडित सिंह को टिकट दिया है। गोंडा जनपद में 19.76 फीसदी आबादी मुस्लिम है।

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श्रावस्ती में 37.51 फीसदी आबादी मुस्लिम

मंडल की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठापरक सीट श्रावस्ती (बलरामपुर) में भी मुसलमानों की 37.51 फीसदी आबादी है। श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र का इतिहास दो भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व समाजसेवी नानाजी देशमुख से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों तक यह बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। नए परिसीमन में वर्ष 2009 से इसे श्रावस्ती नाम दिया गया है। बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया था जिसमें बलरामपुर, उतरौला, सादुल्लाहनगर, गैसड़ी व तुलसीपुर चार विधानसभा क्षेत्र शामिल थे। 1989 के आम चुनावों में बलरामपुर से निर्दलीय प्रत्याशी फसीउर्रहमान खान उर्फ मुन्नन खां को सांसद बनने का मौका मिला। इसके बाद सपा ने तेजी से अपना जनाधार क्षेत्र में बढ़ाया। तुलसीपुर के विधायक रहे रिज़वान जहीर को सपा ने टिकट दिया और वह 1998 के चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल रहे। 1999 में पुन: चुनाव हुए और जनता ने दोबारा सपा के रिज़वान जहीर को सांसद चुना। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस में आए पूर्व सांसद रिजवान जहीर इस बार कांग्रेस से टिकट के प्रबल दावेदार थे, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी और भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व विधायक धीरेन्द्र प्रताप सिंह 'धीरु' सिम्बल हथिया कर चुनाव मैदान में उतर गए। वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों पर गौर करें तो बलरामपुर के तीन विधानसभा क्षेत्रों बलरामपुर, तुलसीपुर और गैसड़ी में 37.51 तो श्रावस्ती के इकौना और भिनगा में 31 फीसदी आबादी मुस्लिम है।

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कैसरगंज में नहीं जीता कोई मुस्लिम सांसद

कैसरगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पहले गोंडा पश्चिमी के नाम से जाना जाता था। इस संसदीय सीट में गोंडा जिले की तीन विधानसभा व बहराइच की दो विधानसभा सीटें शामिल हैं। गोंडा की कटरा, कर्नलगंज व तरबगंज विधानसभा जबकि बहराइच की पयागपुर व कैसरगंज विधानसभा सीटें इसमें शामिल हैं। यहां से कभी भी कोई मुसलमान सांसद नहीं हुआ। इस बार कांग्रेस से मुस्लिम प्रत्याशी की चर्चा रही, लेकिन अंत में कांग्रेस ने पूर्व सांसद विनय पांडेय को मैदान में उतारा। कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में आने वाली कटरा बाजार, कर्नलगंज और तरबगंज में लगभग 20 प्रतिशत तथा बहराइच की कैसरगंज और पयागपुर में औसतन 33 फीसदी आबादी मुस्लिम धर्म को मानती है।

बहराइच में काफी मुस्लिम मगर उम्मीदवार नहीं

बहराइच लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटों में बलहा, महसी, नानपारा, बहराइच और मटेरा शामिल हैं। देश के मुस्लिम बहुल जनपदों में शुमार जनपद बहराइच की कुल आबादी में 33.53 फीसदी मुसलमान हैं। यही नहीं बहराइच शहर में मुसलमानों की जनसंख्या 56.07 फीसदी है। 1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता रफी अहमद किदवई कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। 1980 में कांग्रेस के मौलाना सैयद मुजफ्फर हुसैन और 1984 में आरिफ मोहम्मद खान ने जीत हासिल कर कब्जा बरकरार रखा। 1991 और 1996 के आम चुनाव में जीत हासिल कर बीजेपी 1998 में लगातार तीसरी जीत का सपना देख रही थी मगर बहुजन समाज पार्टी के आरिफ मोहम्मद खान ने जीत दर्ज करके उसका यह सपना तोड़ दिया। 2004 में सपा की रुबाब सईदा ने बसपा को हराकर जीत दर्ज की। 2008 में नए परिसीमन के बाद यह क्षेत्र सुरक्षित हो गया। इस बार कांग्रेस से कई मुस्लिम नेता दावेदार थे, लेकिन अंतत: यहां भाजपा से कांग्रेस में आई निवर्तमान सांसद सावित्री बाई फुले को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया। हालांकि यहां सपा-बसपा गठबंधन ने चार बार विधायक रहे शब्बीर अहमद बाल्मीकी को एक बार फिर अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। वे बाल्मीकि जाति के हैं और हिन्दू जाति में आते हैं। कुल मिलाकर बीते पांच दशक से राजनीति की धुरी रहे मुस्लिम रणबांकुरे इस बार चुनावी मैदान के लिए टिकट की जंग में ही हार गए।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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