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लिपुलेख-कालापानी पर बढ़ा विवाद, नेपाली कर रहे प्रदर्शन, लगाए भारत विरोधी नारे

एक तरफ जहां पूरा विश्व कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी से जूझ रहा है और लाक उाउन में है, तो वहीं मित्र देश नेपाल और भारत के बीच लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र को लेकर विवाद बढ़ गया है।

Dharmendra kumar
Published on: 15 May 2020 6:46 PM GMT
लिपुलेख-कालापानी पर बढ़ा विवाद, नेपाली कर रहे प्रदर्शन, लगाए भारत विरोधी नारे
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गोंडा: एक तरफ जहां पूरा विश्व कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी से जूझ रहा है और लाक उाउन में है, तो वहीं मित्र देश नेपाल और भारत के बीच लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र को लेकर विवाद बढ़ गया है। इस मुद्दे पर नेपाल में सड़क से लेकर संसद तक चर्चा हो रही है। इसके विरोध में देवी पाटन मंडल के बहराइच जनपद के रुपईडीहा से सटे नेपालगंज में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की विद्यार्थी शाखा के ऋषिराज देवकोटा के नेतृत्व में सैकड़ों नेपालियों द्वारा सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर भारत विरोधी नारे लगाए गए। हालांकि देश की पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस पर पैनी नजर रखे हैं।

क्या है लिपुलेख का मामला

भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख में भारत ने 80 किलोमीटर लंबा एक सड़क मार्ग तैयार किया था। हाल में ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने डिजिटल माध्यम से इसका उद्घाटन किया था। ये सड़क चीन सीमा पर स्थित अंतिम भारतीय चौकी तक पहुंचती है। सड़क बनने के बाद कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों को 80 किलोमीटर लम्बे दुर्गम रास्ते से राहत मिलेगी और गाड़ियां चीन की सीमा तक जा सकेंगी। यह धारचुला-लिपुलेख रोड, पिथौरागढ़-तवाघाट-घाटियाबागढ़ मार्ग का विस्तार है। यह सड़क घाटियाबागढ़ से शुरू होकर लिपुलेख दर्रे पर ख़त्म होती है जो कैलाश मानसरोवर का प्रवेश द्वार है। लेकिन इस सड़क परियोजना को लेकर नेपाल ने विवाद खड़ा कर दिया है। नेपाल का कहना है कि भारत उसके क्षेत्र में अतिक्रमण कर रहा है।

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कालापानी विवाद क्या है

भारत ने कालापानी को बीते साल जब अपने नक्शे में दिखाया तब भी नेपाल ने विरोध जताया था। कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले में 35 वर्ग किलोमीटर ज़मीन है। क्षेत्र की ऐतिहासिक काली नदी का उद्गम स्थल भी कालापानी है। भारत ने इस नदी को भी अपने नक्शे में शामिल किया है। 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच सुगौली संधि हुई थी तब काली नदी को पश्चिमी सीमा पर भारत और नेपाल के बीच रेखांकित किया गया था। 1962 में भारत और चीन में युद्ध हुआ तब भी भारतीय सेना ने कालापानी में चौकी बनाया था। यहां आज भी इंडो तिब्बत सीमा पुलिस के जवान तैनात हैं। लेकिन नेपाल का दावा है कि 1961 में भारत-चीन युद्ध से पहले जब नेपाल ने यहां जनगणना करवाई थी तब भारत ने कोई आपत्ति नहीं की थी। नेपाल का आरोप है कि कालापानी में भारत की मौजूदगी सुगौली संधि का उल्लंघन है।

नेपाल ने भारत पर लगाया सुस्ती का आरोप

नेपाल के प्रधानमंत्री ओली का आरोप है कि भारत इस मामले में सुस्ती दिखा रहा है। उनका कहना है कि भारत ने कहा कि कोरोना महामारी के अंत के बाद ही इस विषय पर वार्ता की जानी चाहिए। इस पर नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा था कि वह वार्ता के लिए कोरोना वायरस संकट के खत्म होने का इंतजार नहीं कर सकता है। जबकि नेपालगंज में नेपाली नागरिकों ने भारत के खिलाफ प्रदर्शन में भारत विरोधीे नारे लगाए और भारत नेपाल सीमा पर बाड़ लगाने की मांग की है।

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प्रदर्शन में लगे भारत विरोधी के नारे

नेपाल और भारत के बीच लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र विवाद को लेकर देवी पाटन मंडल के बहराइच जिले से सटे नेपालगंज में लाक डाउन के बावजूद भारत विरोधी प्रदर्शन किया गया। नेपालगंज में भारत के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन में भारत मुर्दाबाद के नारे भी लगाए गए। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नेपालगंज के बीपी चौक में प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की विद्यार्थी शाखा के ऋषिराज देवकोटा के नेतृत्व में किया गया। प्रदर्शन स्थल पर सम्बोधित करते हुए देवकोटा ने कहा कि भारत समय-समय पर नेपाली भू-भाग पर अतिक्रमण करता चला रहा है। अब हमें चाहिए की सीमा पर कांटो की तारों की बाड़ लगा देनी चाहिए। भारत द्वारा मानसरोवर यात्रियों के लिए लिपुलेख में बनाई गई सड़क का नेपाल के काठमांडू सहित विभिन्न इलाकों में अनेक राजनीतिक दलों द्वारा धरना प्रदर्शन करके विरोध जताया जा रहा है। इस प्रदर्शन में विभिन्न दलों के छात्र नेताओं ने कहा कि भारत द्वारा बनाई गई नेपाल की भूमि पर इस सड़क को लेकर कड़ी चेतावनी देनी चाहिए और पूरे देश से लगने वाली सीमा को कांटों के तार से बाड़ लगा देनी चाहिए। वहीं नेपाली कांग्रेस पार्टी की सहयोगी तरुण दल ने भी भारत द्वारा उसकी भू-भाग पर बनाई गई सड़क का आरोप लगाते हुए धरना प्रदर्शन किया और भारत के विरुद्ध नारेबाजी भी की। प्रदर्शन में तरुण दल के बांके नेपालगंज के अध्यक्ष विनोद रिजाल ने कहा कि नेपाल की सरकार को राजनीतिक एवं कूटनीतिक नीति अपनाते हुए भारतीय सरकार द्वारा कब्जा की गई नेपाली भू-भाग को छुड़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए।

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पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क

नेपाल और भारत के बीच लिपुलेख और कालापानी क्षेत्र विवाद को लेकर नेपाल में भारत विरोधी प्रदर्शन को देखते हुए भारतीय पुलिस, सीमा सुरक्षा बल समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। देवी पाटन परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक डा. राकेश सिंह ने बताया कि नेपाल में भारत विरोधी प्रदर्शनों की जानकारी मिली है। इस पर पूरी तरह नजर रखी जा रही है और सीमा क्षेत्र की पुलिस, एसएसबी और अन्य सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों को कड़ी नजर रखने के साथ ही सतर्कता बरतने को कहा गया है।

रिपोर्ट: तेज प्रताप सिंह

Dharmendra kumar

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