लॉकडाउन की मुसीबतः नेशनल फुटबॉलर लगा रहा सब्जी का ठेला

श्वेता 6 साल से फुटबॉल खेल रही है। स्वेता ने अपने सपने की तलाश में दो बार नेशनल खेला और एक बार खेलो इंडिया के अंडर 17 टीम की भागीदारी भी की थी। 2016 में स्टेट चैंपियनशिप का हिस्सा रहीं और उड़ीसा में भी नेशनल कंपटीशन में हिस्सा लिया।

SK Gautam
Published on: 29 Jun 2020 8:52 AM GMT
लॉकडाउन की मुसीबतः नेशनल फुटबॉलर लगा रहा सब्जी का ठेला
X

वाराणसी: जब कभी एक खिलाड़ी देश के लिए खेलता है तो देश की खातिर कुछ कर गुजरने के लिए दिन-रात पसीना बहाता है। एक खिलाड़ी की हमेशा यही कोशिश रहती है कि देश का नाम हो, जिसके लिए वो मेडल्स जीतते हैं। इसके लिए देश उन्हें सम्मानित भी करता है। लेकिन कभी-कभी इन होनहार खिलाड़ियों की किस्मत धोखा दे देती है। जबकि कोरोना का संकटकाल चल रहा है जिससे पूरा देश जूझ रहा है। मेडल की आस में स्टेट और नेशनल लेवल तक खेलने वाले कई खिलाड़ी प्रैक्टिस छूटने के बाद आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। परिवार की आर्थिक हालत सुधारने के लिए सब्जी का ठेला तक लगाने पर मजबूर हैं।

बिजनेस चौपट हो गए, बहुतों की नौकरियां चली गईं

गौरतलब है कि चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना ने पूरे विश्व में अपना कहर बरपा रखा है। इस बीमारी से बचने के लिए मोदी सरकार ने लॉकडाउन किया, जिसके कारण कई बिजनेस चौपट हो गए तो वहीं दूसरी तरफ बहुतों की नौकरियां तक चली गईं।

(प्रतिकात्मक फोटो)

हम आपको एक ऐसी ही बेटी के बारे में बता रहे हैं, जो प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की रहने वाली है। वाराणसी की ये होनहार खिलाड़ी अपने सपने को पीछे छोड़कर अब परिवार को मजबूत करने के लिए ठेले पर सब्जी बेचने को मजबूर है। जिले के डीएलडब्ल्यू के पीछे बसे पहाड़ी गांव के रूद्र नगर इलाके की रहने वाली नेशनल फुटबॉलर श्वेता केसरी इन दिनों सब्जी का ठेला लगा रही हैं।

ये भी देखें: कलेक्ट्रेट के बाहर यहां किया कांग्रेस ने विरोध प्रदर्शन, बढ़ी कीमतें बना मुद्दा

पिता मुन्ना केसरी का काम धंधा छूट गया

बता दें कि श्वेता 6 साल से फुटबॉल खेल रही है। स्वेता ने अपने सपने की तलाश में दो बार नेशनल खेला और एक बार खेलो इंडिया के अंडर 17 टीम की भागीदारी भी की थी। 2016 में स्टेट चैंपियनशिप का हिस्सा रहीं और उड़ीसा में भी नेशनल कंपटीशन में हिस्सा लिया। लगातार चल रही अच्छी प्रैक्टिस और नेशनल लेवल पर मिल रहे मौकों से श्वेता को अपना भविष्य साफ दिख रहा था, लेकिन इसी बीच कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन की वजह से चावल बेचकर परिवार पालने वाले पिता मुन्ना केसरी का काम धंधा छूट गया। वहीं मां इंदु देवी भी पति का हाथ बढ़ाने के लिए घर पर ही माला गूंथने का काम करती थी, लेकिन बंदी क्या हुई परिवार का यह सहारा भी छूट गया। अचानक से मां-बाप दोनों का हाथ रुक जाने की वजह से श्वेता ने अपने सपने को भूलना ही बेहतर समझा।

फूटबाल खिलाड़ी बेच रहीं सब्जी

बिगड़ते हालात और परिवार की आर्थिक स्थिति को देखकर लॉकडाउन की वजह से अपनी प्रैक्टिस छोड़कर घर बैठी श्वेता ने सब्जी बेचने का फैसला किया। पहले वह छोटी टोकरी में घर-घर जाकर सब्जी बेचती थी, लेकिन जब फायदा नहीं हुआ तो एक टूटे ठेले पर ही घर के बाहर सब्जी का स्टाल लगा लिया। श्वेता का कहना है कि इस दौर में पहले परिवार का पेट पालना जरूरी है। खेल आगे होगा या नहीं यह बाद की बात है, लेकिन मां-बाप का साथ देकर परिवार की भूख मिटाना पहले ज्यादा जरूरी है। यही वजह है कि उसने अपने सपने को तोड़कर परिवार का साथ देना ज्यादा बेहतर समझा।

ये भी देखें: बिजनेसमैन के घर में चोरी, महिला समेत 5 गिरफ्तार, खुला ये बड़ा राज

प्रतिभाओं को बचाए सरकार

श्वेता के पिता का कहना है कि लॉकडाउन में परिवार की आर्थिक हालत गड़बड़ हुई तो बेटी ने सहारा दिया है, लेकिन अब सरकार को कुछ करना चाहिए ताकि उसके सपने पूरे हो सकें। वहीं श्वेता को आज इस स्तर पर लाने वाले उसके गुरु और कोच का कहना है कि इस महामारी में यह उम्मीद नहीं थी कि खिलाड़ियों के खेल तक बंद हो जाएंगे। ऐसे में लोगों और सरकार को इन प्रतिभाओं की मदद के लिए आगे आना होगा।

SK Gautam

SK Gautam

Next Story