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26 को होगा विरोध: निजीकरण को लेकर बिजलीकर्मियों का ऐलान, जमकर करेंगे प्रदर्शन

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बुधवार को बताया कि कोविड -19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं जिससे देश भर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।

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Published on: 18 Nov 2020 11:52 AM GMT
26 को होगा विरोध: निजीकरण को लेकर बिजलीकर्मियों का ऐलान, जमकर करेंगे प्रदर्शन
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26 को होगा विरोध: निजीकरण को लेकर बिजलीकर्मियों का ऐलान, जमकर करेंगे प्रदर्शन (Photo by social media)

लखनऊ: केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में देश के सभी राज्यों के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उप्र के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियन्ता आगामी 26 नवम्बर को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। यूपी में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का कहना है कि प्रदर्शन के दौरान बिजलीकर्मी इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल-2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट को निरस्त करने की मांग करेंगे और निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न लिए जाने पर राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लेंगे।

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कोविड -19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बुधवार को बताया कि कोविड -19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं जिससे देश भर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल-2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी।

electricity electricity (Photo by social media)

वर्तमान में बिजली की लागत लगभग 07.90 रुपये प्रति यूनिट है और कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने का अधिकार होगा जिसका अर्थ यह हुआ कि 10 रुपये प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी। इसीलिए विरोध के दौरान बिजलीकर्मी, किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से सहयोग करने की अपील कर रहे हैं, क्योंकि निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान उन्हे ही होने जा रहा है।

स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट के अनुसार निजी कंपनियों को डिस्कॉम की परिसंपत्तियां कौड़ियों के दाम सौंपी जानी है

दुबे ने बताया कि स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट के अनुसार निजी कंपनियों को डिस्कॉम की परिसंपत्तियां कौड़ियों के दाम सौंपी जानी है, इतना ही नहीं सरकार डिस्कॉम की सभी देनदारियों व घाटे को अपने ऊपर ले लेगी और निजी कंपनियों को क्लीन स्लेट डिस्कॉम दी जाएगी। नई नीति के अनुसार डिस्कॉम के 100 प्रतिशत शेयर बेंचे जाने है और सरकार का निजीकरण के बाद कर्मचारियों के प्रति कोई दायित्व नहीं रहेगा। कर्मचारियों को निजी क्षेत्र के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा।

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इन मांगों के अलावा बिजली कर्मचारियों की और भी कुछ मांगे है

उन्होंने बताया कि इन मांगों के अलावा बिजली कर्मचारियों की और भी कुछ मांगे है। जिनमे, बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल केईएसईबी लिमिटेड की तरह सभी राज्यों में एसईबी लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाये जिसमे उत्पादन, पारेषण और वितरण एक साथ हों, निजीकरण और फ्रेंचाइजी की सभी प्रक्रिया निरस्त की जाये और चल रहे निजीकरण व् फ्रेंचाइजी को रद्द किया जाये, सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए तथा तेलंगाना सरकार की तरह बिजली सेक्टर में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाये।

रिपोर्ट- मनीष श्रीवास्तव

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