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सोने-चांदी के हथियारों का जखीरा: नवाव की हवेली से मिले खतरनाक असलहे

अरबों रुपये की जायदाद पर काबिज निगहत आबिदी और मुराद अली खां को झटका लगा है। बता दें कि जायदाद के बंटवारे की प्रक्रिया के तहत मंगलवार को रियासतकालीन आर्मरी के दरवाजे खुले तो सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं।

SK Gautam
Published on: 4 Feb 2020 10:46 AM GMT
सोने-चांदी के हथियारों का जखीरा: नवाव की हवेली से मिले खतरनाक असलहे
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नई दिल्ली: रामपुर रियासत के अंतिम शासक नवाब रजा अली खां की संपत्ति के बंटवारे को लेकर रिव्यू पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया तह । इससे अरबों रुपये की जायदाद पर काबिज निगहत आबिदी और मुराद अली खां को झटका लगा है। बता दें कि जायदाद के बंटवारे की प्रक्रिया के तहत मंगलवार को रियासतकालीन आर्मरी के दरवाजे खुले तो सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं। आर्मरी में सोना और चांदी जड़ित हथियार मिले हैं। पहले दिन सर्वे का काम पूरा नहीं हो सका। अभी दो दिन और गिनती की जाएगी।

नवाब खानदान के बीच लंबी कानूनी लड़ाई चली आ रही थी

गौरतलब है कि नवाब रजा अली खां की संपत्ति खासबाग पैलेस, नवाब स्टेशन, कोठी शाहबाद, सरकारी कुंडा और बेनजीर की संपत्ति को लेकर नवाब खानदान के बीच लंबी कानूनी लड़ाई चली आ रही थी। 1972 में जिला कोर्ट के बाद हाईकोर्ट और फिर 2002 से देश के सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन था। जिसके बाद 29 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया था और मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत नवाब रजा अली खां के सभी वारिसान को संपत्ति में हिस्सेदार घोषित किया था।

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बंटवारा प्रकिया दिसम्बर तक पूर्ण किये जाने का आदेश था

इस फैसले से पूर्व सांसद बेगम नूरबानो और पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां को लाभ मिला था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला न्यायाधीश द्वारा बंटवारा प्रकिया दिसम्बर तक पूर्ण किये जाने का आदेश था । इस बीच अरबों रुपये की जायदाद पर काबिज निगहत आबिदी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर कर दी गई और पुनर्विचार की मांग की गई थी।

इससे पहले जिला न्यायालय ने आर्मरी खोलने के आदेश जारी किए थे। जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह ने इसके लिए एसडीएम पुंडीर, सीओ विद्या शुक्ल और शस्त्रों के जानकार राशिद खां व आमिर खां को कमेटी में शामिल किया था।

एडवोकेट कमिश्नर मुजम्मिल हुसैन व सौरभ सक्सेना ने कमेटी की मौजूदगी में आर्मरी के ताले खुलवाये। यहां नवाब खानदान के सदस्य भी थे। जो ताले नहीं खुल सके, उन्हें तोड़ दिया गया।

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जब ताले खुले तो हो गए सब हैरान

ताले खोले गये तो सब हैरान रह गये। यहां संदूकों और अलमारियों में बेशकीमती हथियारों का जखीरा था। कुछ हथियारों पर सोना और चांदी भी जड़े थे। एडवोकेट कमिश्नर ने सभी हथियारों की गिनती कराई। इस काम में काफी लंबा वक्त लगेगा। पहले दिन सर्वे का काम पूरा नहीं हो सका। अभी दो दिन और गिनती की जाएगी। गिनती में पहले चार सौ से ज्यादा शस्त्र मिले हैं, जिनमें तलवारें, खंजर, भाले, पिस्टल, बंदूकें, रायफल और अन्य हथियार शामिल हैं। शस्त्रों की संख्या हजारों में है।

मिले शस्त्र बाहरी देशों की प्रमुख कंपनियों के हैं

एडवोकेट, कमिश्नर के साथ-साथ आर्मरी में मिले शस्त्रों की सूची प्रशासन भी बना रहा है। आर्मरी से जो शस्त्र मिले हैं, उनमें लंदन, हॉलैंड, जर्मनी, अमेरिका, स्पेन, जापान आदि देशों की प्रमुख कंपनियों के शस्त्र शामिल हैं। इनमें रामपुर में बने शस्त्र भी शामिल हैं। 14 जनवरी को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए इस रिव्यू पिटीशन को खारिज कर दिया है। इस आदेश को शनिवार को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया गया

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भव्य कोठी निगहत आबिदी और मुराद अली के ही कब्जे में है

देश के पहले एयरकंडीशन पैलेस खासबाग की बदहाली का आलम यह है कि अंतिम शासक नवाब रजा अली खां के वंशज निगहत आबिदी और मुराद अली यहां रात भी नहीं गुजार सके। दो दिन पहले दोनों यहां आए थे, लेकिन उन्हें मुरादाबाद में रुकना पड़ा। हालांकि, अभी तक यह भव्य कोठी निगहत आबिदी और मुराद अली के ही कब्जे में है। उनके द्वारा इसके रखरखाव पर ध्यान न दिये जाने की वजह से ही खासबाग पैलेस की यह शर्मनाक स्थिति हो चुकी है।

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