एनसीईआरटी पाठ्यक्रम: आखिर क्या बदलाव हुए जिस पर मचा है घमासान, समर्थन-विरोध में क्या कहा जा रहा है?

NCERT: एनसीइआरटी की ओर से 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए इतिहास की पुस्तकों का पाठ्यक्रम संशोधित किया गया है। इन बदलावों की घोषणा पिछले साल जून में ही कर दी गई थी, लेकिन उत्तर प्रदेश ने इन बदलावों को लागू भी कर दिया है।

Ashish Pandey
Published on: 5 April 2023 10:49 PM GMT
एनसीईआरटी पाठ्यक्रम: आखिर क्या बदलाव हुए जिस पर मचा है घमासान, समर्थन-विरोध में क्या कहा जा रहा है?
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ncert controversy (Photo-Social Media)

NCERT: एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद बवाल शुरू हो गया है। इसको लेकर राजनीति भी गरमाने लगी है। आखिर एनसीईआटी ने अपने पाठ्यक्रम में क्या बदलाव कर दिया है जिस पर घमासान मच गया है। जहां कुछ लोग समर्थन में उतर आए हैं तो वहीं कुछ विरोध में भी। वहीं एनसीईआटी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के छात्र अब 10वीं, 11वीं और 12वीं में इतिहास की नई पुस्तकें पढ़ेंगे। इन्हें अब इतिहास की पुस्तकों में मुगल साम्राज्य, दिल्ली दरबार, अकबरनामा, बादशाहनामा और कई राजनीतिक दलों के उदय की कहानियां पढ़ने को नहीं मिलेंगी। हालांकि, पाठ्यक्रम से मुगल दरबार और अन्य अध्यायों को हटाने पर विवाद भी खड़ा हो गया है। राजनीतिक पार्टियां इस पर विरोध जताने लगी हैं। कांग्रेस, सीपीएम, शिवसेना समेत (उद्धव गुट) के कई पार्टियों ने इस कदम का विरोध जताया है।

एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को लेकर अभी क्या हुआ? क्या हुए हैं बदलाव? और विवाद क्यों हो रहा है? समर्थन और विरोध में क्या कहा जा रहा है? एनसीईआरटी का क्या कहना है?

पाठ्यक्रम को लेकर अभी क्या हुआ?

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद यानी एनसीईआरटी की ओर से 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए इतिहास की पुस्तकों का पाठ्यक्रम संशोधित किया गया है। इनमें कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसकी घोषणा पिछले साल जून में ही कर दी गई थी वहीं उत्तर प्रदेश ने इन बदलावों को लागू भी कर दिया है। शैक्षिक सत्र 2023-24 की नई पुस्तकें भी ऑनलाइन और ऑफलाइन उपलब्ध हो चुकी हैं। अपर मुख्य सचिव (बेसिक और माध्यमिक शिक्षा) दीपक कुमार ने कहा कि हम एनसीईआरटी की किताबों का अनुसरण करते हैं और संशोधित संस्करण में जो कुछ भी उपलब्ध है, उसे हम 2023-24 सत्र से यूपी के स्कूलों में लागू करेंगे।

आखिर क्या हुए बदलाव?

एनसीईआरटी अपनी 10वीं, 11वीं, 12वीं की इतिहास की पुस्तकों से राजाओं और उनके इतिहास से संबंधित अध्यायों और विषयों को हटा दिया है। शैक्षिक सत्र 2023-24 से इंटरमीडिएट में चलने वाली ‘आरोह भाग दो’ में कई परिवर्तन किए गए हैं। इसमें फिराक गोरखपुरी गजल और ‘अंतरा भाग दो’ से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की ‘गीत गाने दो मुझे’ छात्र अब नहीं पढ़ सकेंगे। इसके अलावा विष्णु खरे की एक काम और सत्य को भी एनसीईआरटी ने ‘अंतरा भाग दो’ से हटा दिया है। ‘विद्यार्थी आरोह भाग दो’ में ‘चार्ली चैपलिन यानी हम सब’ को भी छात्र इस सत्र में नहीं पढ़ सकेंगे।

इसमें हुए ज्यादा बदलाव

नए पाठ्यक्रम के तहत इतिहास की किताब थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री-पार्ट-2 से द मुगल कोर्ट्स (16वीं और 17वीं सदी) को हटा दिया गया है। इसी तरह, सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स, संस्कृतियों का टकराव और औद्योगिक क्रांति से संबंधित पाठों को भी कक्षा 11वीं की पाठ्यपुस्तक थीम्स इन वल्र्ड हिस्ट्री से हटा दिया गया है।

अब 12वीं की इतिहास की किताबों से छात्रों को अकबरनामा और बादशाहनामा, मुगल शासकों और उनके साम्राज्य, पांडुलिपियों की रचना, रंग चित्रण, आदर्श राज्य, राजधानियां और दरबार, उपाधियां और उपहारों, शाही परिवार, शाही नौकरशाही, मुगल अभिजात वर्ग, साम्राज्य और सीमाओं के बारे में भी पढ़ने को नहीं मिलेगा।

इसके अलावा विश्व राजनीति में अमेरिकी आधिपत्य और द कोल्ड वॉर एरा जैसे अध्यायों को भी 12वीं की नागरिक शास्त्र की पाठ्यपुस्तक से पूरी तरह से हटा दिया गया है। 12वीं की किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस से राइज ऑफ पॉपुलर मूवमेंट्स और एरा ऑफ वन पार्टी डोमिनेंस को भी हटा दिया गया है।

इनमें कांग्रेस, सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के प्रभुत्व के बारे में बताया गया था। जबकि 10वीं की किताब डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-2 से लोकतंत्र और विविधता, लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां जैसे पाठ भी हटा दिए गए हैं।

2002 के गुजरात दंगों के सभी संदर्भ सभी एनसीईआरटी सामाजिक विज्ञान पाठ्यपुस्तकों से हटा दिए गए हैं। उदाहरण के लिए, 12वीं की वर्तमान राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के अंतिम अध्याय के दंगों पर दो पृष्ठ, जिसका शीर्षक है, पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस, को हटा दिया गया है। दूसरे पृष्ठ के एक खंड में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध ‘राज धर्म‘ टिप्पणी को भी हटा दिया गया है। वहीं हिंदू चरमपंथियों की गांधी के प्रति नफरत, महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर लगे प्रतिबंध जैसी बातें एनसीईआरटी के 12वीं की किताब में नहीं होंगी।

...तो इसलिए छिड़ा है विवाद?

एनसीईआरटी की किताबों से वैसे तो कई अध्याय हटाए गए हैं। लेकिन जिस पर विवाद छिड़ा है वह है 12वीं के पाठ्यक्रम से मुगल दरबार की सामग्री और कुछ कवियों की रचनाओं को हटाना। इसको लेकर शिक्षाविदों का कहना है कि अब तक मुगलों को ही ज्यादा पढ़ाया गया है। बच्चों को हर शासक के बारे में इन किताबों के जरिए ही जानकारी मिल सकती है, इसलिए सभी शासकों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी इन शासकों के शौर्य और पराक्रम से परिचित हो सके और अपने देश के इतिहास को गहराई तक समझ सके।

मुगलों का झूठा इतिहास हटाना एक शानदार निर्णय है-

कई नेताओं और शिक्षाविदों ने एनसीईआरटी की किताबों से मुगल दरबार का इतिहास हटाए जाने का समर्थन किया है। दिल्ली भाजपा नेता और पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने एक बयान में कहा, ‘एनसीईआटी से मुगलों का झूठा इतिहास हटाना एक शानदार निर्णय है।‘

वहीं शिक्षाविद डॉ. एससी शर्मा कहते हैं कि यह एक तरफ तो अच्छी पहल है। हमें अपनी वंशावली पढ़ानी चाहिए। हमें यह भी जानकारी देनी चाहिए कि मुगलों या अन्य किसी से युद्ध में हमारे योद्धाओं ने कितनी वीरता दिखाई। वास्तविकता को जरूर दिखाना चाहिए। देश के भावी कर्णधारों को पूरा इतिहास पता होना चाहिए, सत्य छपना चाहिए।‘
शंकराचार्य ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, एनसीईआरटी ने मुगल दरबार के चैप्टर को निकालकर सही किया बच्चों को इन हत्यारों, बलात्कारियों, लुटेरों और दुश्चरित्र लोगों के बारे में क्यों पढ़ना?‘

जानिए क्या कह रहे हैं विरोध करने वाले?

इतिहासकार और एएमयू के एमेरट्स प्रोफेसर इरफान हबीब ने एनसीईआरटी की किताबों से मुगल दरबार का इतिहास हटाए जाने पर कहा, विद्यार्थियों को कौन बताएगा कि ताजमहल किसने बनाया? उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में सात अजूबों में ताजमहल शामिल है। अब इसके इतिहास के बारे में नई पीढ़ी नहीं जान सकेगी।

इतिहास को बदलने की कोशिश हो रही है?

इसके अलावा कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने भी विरोध किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस विवाद पर कहा कि इतिहास को बदलने की कोशिश हो रही है। सच को झूठ और झूठ को सच बनाया जा रहा है। राजयसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यूपी इतिहास और जीव विज्ञान का अपना संस्करण तैयार करेगा। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी तंज कस्ते हुए कहा कि आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से शुरू होना चाहिए। वहीं, माकपा नेता सीताराम येचुरी ने इस कदम की आलोचना की और इसे सांप्रदायिक बताया।

एनसीईआटी ने क्या प्रतिक्रिया दी?

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि मुगलों के बारे में अध्याय नहीं हटाए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘यह झूठ है। पिछले साल एक रेशनलाइजेशन प्रोसेस थी क्योंकि कोरोना के कारण हर जगह छात्रों पर दबाव था।‘ निदेशक ने बहस को अनावश्यक बताते हुए कहा कि विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि यदि अध्याय को हटा दिया जाता है, तो इससे बच्चों के ज्ञान पर कोई असर नहीं पड़ेगा और एक अनावश्यक बोझ को हटाया जा सकता है।
एनसीईआरटी अब चाहे जो सफाई दे, लेकिन पाठ्यक्रम में बदलाव से सियासी माहौल तो गरमा ही गया है।

Ashish Pandey

Ashish Pandey

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