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500 की आबादी का गांवः बदलते भारत की तस्वीर में नहीं, सदियों से तरस रहा रास्ते को

फ़िरोज़ाबाद जिले के शिकोहाबाद तहसील क्षेत्र के गांव नगला कुम्हारन जो घाघउ मौजा का मजरा है। इस गांव में दलित जाटव जाति के लोग निवास करते हैं।

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Published on: 14 Sep 2020 9:53 AM GMT
500 की आबादी का गांवः बदलते भारत की तस्वीर में नहीं, सदियों से तरस रहा रास्ते को
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फ़िरोज़ाबाद जिले के शिकोहाबाद तहसील क्षेत्र के गांव नगला कुम्हारन जो घाघउ मौजा का मजरा है इस गांव में दलित जाटव जाति के लोग निवास करते है 70 मकान बने है 25 वोट है 500 कि आवादी है आसपास यादव बाहुल्य क्षेत्र आज़ाद भारत को हुए 71 वर्ष हो गए लेकिन इस गांव ने सच्ची आजादी नही देखी ग्रमीणो की जवानी सुने गांव को रास्ता नही

फ़िरोज़ाबाद: आजाद भारत की तस्वीर जिसमें हवाई अड्डे बने एक्सप्रेस वे बने सूचना प्रौद्योगिकी में हम बहुत आगे पहुंच गए। लेकिन अभी तक हम अपनी मनोदशा नही बदल पाए। आज भी सोच बदलने में पीछे हैं। 250 वोट 500 की आबादी 70 मकान दलित जाटव समाज के तीन बार दलितों के मसीहा बहिन जी की सरकार फिर भी इस गांव को रास्ता नहीं। खेत की मेड से निकलने को मजबूर गांव। बासी हर रोज गाली गलौज अपमान सहने को मजबूर गांव की कहानी।

गांव में नहीं हैं सड़कें-रास्ता

फ़िरोज़ाबाद जिले के शिकोहाबाद तहसील क्षेत्र के गांव नगला कुम्हारन जो घाघउ मौजा का मजरा है। इस गांव में दलित जाटव जाति के लोग निवास करते हैं। 70 मकान बने हैं 25 वोट है। 500 की आवादी है। आसपास यादव बाहुल्य क्षेत्र। आज़ाद भारत को हुए 71 वर्ष हो गए। लेकिन इस गांव ने सच्ची आजादी नहीं देखी। ग्रमीणो की जवानी सुने गांव को रास्ता नहीं।

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No Roads In Village रास्ते को तरसता गांव (फाइल फोटो)

गांव के चारो तरफ यादव जाति के लोगो के खेत खेत की मेड़ से निकलने को खेत मालिक के पैर छूना होगा। प्रधानी से लेकर अन्य चुनाव में वोट खेत मालिक के कहने के अनुसार देना होगा। वोट नहीं तो रास्ता नहीं। ऊपर से गालियां अपमान सहन करना पड़ेगा। चुनाव आते हैं नेता आते हैं बायदा करते चुनाव बाद कोई इनकी दशा देखने नहीं आता। गांव में पंचायत घर दस से बारह लाख रुपये खर्च कर सरकार ने बनवाया लेकिन रास्ता नहीं।

जानें कब शासन के कानों तक पहुंचेगी गांव के रास्ते की आवाज

No Roads In Village रास्ते को तरसता गांव (फाइल फोटो)

महिलाओं को पीड़ा बीमारी प्रसव के समय एम्बुलेंस या कोई वाहन गांव तक नहीं आ सकता। चारपाई पर रख कर गांव के बाहर तक ले जाना पड़ता है। गांव की महिला कहती हैं जब से शादी होकर गांव आये तब से अब तक रास्ता को परेशान हैं। गांव के वृद्ध कहते हैं हम बूढ़े हो गए आँखों मे गांव के लिए रास्ता निकलने का सपना बना है।

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रास्ता नही बहिन जी की तीन बार सरकार बनी काफी शिकायत की परंतु दबंगों ने रास्ता नहीं बनने दी। कोई हमारी आवाज नहीं सुनता। इस गांव की आवाज आखिर कब शासन के कानों में पहुंचेगी तब गांव को रास्ता मिलेगी।

रिपोर्ट- बृजेश राठौर

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