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रिहा होते ही यादव सिंह की बढ़ी मुश्किलें, अब ED ने पूरे परिवार पर कसा शिकंजा
नोएडा प्राधिकरण टेंडर घोटाले के आरोपी पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह साढ़े तीन साल बाद सोमवार को डासना जेल से जमानत पर रिहा हो गए। यादव सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी।
नोएडा: नोएडा प्राधिकरण टेंडर घोटाले के आरोपी पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह साढ़े तीन साल बाद सोमवार को डासना जेल से जमानत पर रिहा हो गए। यादव सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी थी। इसके बाद सीबीआई कोर्ट ने पांच-पांच लाख रुपये के मुचलके व दो जमानती पेश करने के बाद यादव सिंह का रिहाई का आदेश दिया। दस्तावेजों का सत्यापन होने के बाद डासना जिला कारागार से उनको रिहा कर दिया गया।
बता दें कि 2001 से 2007 के बीच नोएडा प्राधिकरण में अंडर ग्राउंड केबल डालने का करोड़ों का कार्य हुआ था। इस कार्य में गड़बड़ी व नियमों को दरकिनार करने के आरोप लगाते हए शिकायत की गई थी। शासन ने कोई कार्रवाई न करने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की। इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच की थी।
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जांच में पाया गया कि कार्य पूरा होने के बाद नजदीकियों व चहेती कंपनियों को कार्य का टेंडर जारी किया गया। सीबीआई ने प्राधिकरण के तत्कालीन पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह समेत 11 लोगों व 3 कंपनियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। साक्ष्य जुटाकर सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट पेश की गई थी। चार्जशीट दाखिल होने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने यादव सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मार्च 2016 में यादव सिंह को गिरफ्तार किया गया था, तभी से यादव सिंह जेल में बंद थे।
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हालांकि रिहा होने के बाद यादव सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई हैं। सीबीआइ के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी टेंडर घोटाले में आरोपी नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य इंजीनियर यादव सिंह पर शिकंजा कस दिया है। ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 (पीएमएलए) के तहत भ्रष्टाचार के मामले में यादव सिंह और उनके परिवार से संबंधित 89 लाख रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।
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ईडी के अनुसार पीएमएलए के तहत उसने यादव सिंह और उनके परिवार की आवासीय और वाणिज्यिक संपत्ति, कृषि भूमि और बैंकों में जमा धनराशि समेत कुल 89 लाख की संपत्ति जब्त की है। सीबीआइ की ओर से यादव सिंह के खिलाफ दर्ज एक केस के आधार पर जांच शुरू हुई थी। यादव सिंह व उनके परिवार पर आय से 23 करोड़ 15 लाख रुपये कीमत की अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है।