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नोएडा इमारत हादसा: मौतों से मचा कोहराम, सामने आई बड़ी चूक

नोएडा में सेक्टर-11 के एफ-62 स्थित औद्योगिक इकाई का एक हिस्सा शुक्रवार शाम को अचानक गिर गया। मलबे में पांच मजदूर दब गए। रेस्क्यू के बाद मजदूरों को बाहर निकाला गया, इसमे से दो की मौत हो गयी।

Shivani
Published on: 31 July 2020 5:29 PM GMT
नोएडा इमारत हादसा: मौतों से मचा कोहराम, सामने आई बड़ी चूक
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noida building collapse 2 died rescue operation

नोएडा। उत्तर प्रदेश के नोएडा में सेक्टर-11 के एफ-62 स्थित औद्योगिक इकाई का एक हिस्सा शुक्रवार शाम को अचानक गिर गया। मलबे में पांच मजदूर दब गए। पुलिस और एनडीआरएफ की टीम ने मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकार करीब एक घंटे में मलबे में दबे पांचों मजदूरों को बाहर निकाल लिया। इसमे से दो की मौत हो गयी और अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है। घायल मजदूरों को जिला अस्पताल भेज दिया गया है। घटना स्थल पर जिलाधिकारी सुहास एलवाई, एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) श्रीपर्णा गांगुली के साथ सिटी मजिस्ट्रेट व प्राधिकरण के आला अधिकारी मौजूद हैं।

इमारत के हिस्से में कम्पनी मालिक, दूसरे में रहते थे मजदूर

दरअसल, औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 में सेक्टर-11 आता है। यहा एफ-62 में 'शक्ति फैब्रोकेट' नाम से एक औद्योगिक इकाई चल रही थी। इसमे केबिल वायर बनाने का काम होता है। इमारत में कंस्ट्रक्शन का काम पिछले कई दिनों से चल रहा था। इमारत के एक हिस्से में कंपनी के मालिक खुद रहते थे। वहीं नीचे मजदूर भी रहते थे। जिस हिस्से में मजदूर थे वह हिस्सा भरभराकर गिर गया। कंस्ट्रक्शन पाइप लगे होने से मलबे में कंकरीट के साथ लोहा ज्यादा था। जिसके नीचे चार मजदूर दब गए। बताया गया कि यह फैक्ट्री आरके भारद्वाज की है। वह एक पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी भी है।



जमींदोज इमारत में थी केबिल वायर फैक्ट्री में

कंपनी में पैनल बनाने का काम किया जाता है। कोविड-19 के चलते कंपनी कें आधे से भी कम कर्मचारी काम पर थे। शाम पांच बजे की शिफ्ट समाप्त कर वह चले गए। इसके बाद अचानक से इमारत का एक हिस्सा गिर गया। ऐसे में यहां रहने वाले मजदूर इसमे दब गए। कंपनी में इलेक्ट्रिक पैनल बनाने का काम होता है।

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राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है मालिक

औद्योगिक नीति के तहत औद्योगिक भूखंड पर आवासीय गतिविधि नहीं की जा सकती है। लेकिन यहां कंपनी के मालिक आरके भारद्वाज ही प्रथम तल पर निवास कर रहे थे। इसकी जानकारी औद्योगिक विभाग को नहीं थी। बताया गया कि कंपनी के मालिक किसी राजनीतिक पार्टी में बड़ा पदाधिकारी है।

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सभी मजदूरों और एक बुजुर्ग महिला को मलबे से निकला, दो की मौत

घटना की सूचना करीब सात बजे पुलिस को सूचना मिली। 15 मिनट में पुलिस मौके पर पहुंची। इसके साथ एनडीआरएफ की टीम भी पहुंची। टीम ने रेस्क्यू करते हुए मलबे में दबे चार मजदूरों को बाहर निकाला। साथ ही इमारत को खाली कराते हुए इमारत के एक हिस्से में फंसी बुर्जुग महिला को भी बाहर निकाल लिया। एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) श्रीपर्णा गागुंली ने बताया कि इमारत कैसे गिरी इसकी जांच की जाएगी। बहराल सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। इसमे से दो की मौत हो गयी।

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कंस्ट्रक्शन की प्राधिकरण को नहीं थी जानकारी

मामले में नोएडा डीएम सुहास एलवाई ने बताया कि 1994 से औद्योगिक इकाई का यहा संचालन किया जा रहा था। इसका एक हिस्सा कैसे गिरा, ये जांच का विषय है। पड़ताल की जा रही है कि यहां नया कंस्ट्रक्शन किया जा रहा था या पुराने को रिपेयर किया जा रहा था। इसकी अनुमति प्राधिकरण से ली गई थी या नहीं इसकी जांच की जाएगी।

फंक्शनल होने के 26 साल बाद गिरी औद्योगिक इकाई की इमारत

इस जर्जर भवन गिरने से नोएडा प्राधिकरण के औद्योगिक विभाग की कार्यप्रणाली पूरी तरह कटघरे में आ गई है। केवल एफ-62 भूखंड की बात करे तो इसका आवंटन 17 फरवरी 1979 को हुआ था। इसके 10 सालों बाद इस भूखंड को ट्रांसफर किया गया और उसे करीब 5 साल बाद 1994 को फंक्शनल हुई। फंक्शनल होने के 26 साल बाद इस फैक्ट्री में तीसरी मंजिला का निर्माण कार्य किया जा रहा था। चौकाने वाली बात यंह है कि इस निर्माण के लिए नोएडा प्राधिकरण के औद्योगिक विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी, न ही इस निर्माण की जानकारी नियोजन विभाग को थी।

उससे ज्यादा हैरानी की बात यह थी कि वर्क सर्किल के अधिकारी को भी इसके निर्माण की जानकारी नहीं थी। जबकि सेक्टर-11 की बीच सड़क पर फैक्ट्री के निर्माण सामग्री पड़ी थी। इसकी जानकारी पूरे औद्योगिक सेक्टर को थी।

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दो साल पहले किए गए सर्वे में 1757 इमारतों को किया जा चुका जर्जर घोषित

बता दें कि नोएडा में शाहबेरी कांड के बाद प्राधिकरण ने शहर में चार श्रेणियों में जर्जर इमारतों का सर्वे कराया था। इसमे कुल 1757 इमारतों को चिन्हित किया गया था। इसमे 114 इमारतें ऐसी थी जिनको ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए था। लेकिन अब तक किसी भी इमारत को ध्वस्त नहीं किया गया।

114 इमारतों को ध्वस्त किया जाना था बेहद जरूरी

इसमे पहला असुरक्षित व जर्जर दूसरा अधिसूचित व अर्जित भवन पर अवैध कब्जा, तीसरा अधिसूचित व अनार्जित पर बनी इमारत व चौथा ग्राम की मूल आबादी में बनी बहुमंजिला इमारतों को शामिल किया गया था। सर्वे के परिणाम चौकाने वाले थे। पहली श्रेणी में कुल 56 जर्जर व असुरक्षित इमारत थी। कुल मिलाकर 1757 इमारतों की एक सूची बनाई गई। ध्वस्तीकरण अब तक नहीं किया जा सका।

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कई गांवों में चस्पा किए गए थे नोटिस

शहर के गांवों के अलावा कई स्थानों पर सैकड़ों इमारतों को अवैध जर्जर करार देकर नोटिस जारी किए थे। इसमे सर्वाधिक इमारते हिडन विहार व गढ़ी चौखंडी गांव की थी। यहा धड़ल्ले से अवैध निर्माण किया जा रहा था। यहा बनाई गई इमारते सात-आठ मंजिला तक है। विगत वर्ष इनका निर्माण कार्य रुकवाया गया साथ ही नोटिस जारी कर ध्वस्तीकरण के निर्देश दिए गए। लेकिन अब तक इमारतों को गिराया नहीं जा सका। इसी तरह निठारी , हरौला में दर्जनों अवैध इमारतों को नोटिस जारी कर गिराने का निर्देश दिया था।

गांवों का सर्वे अब तक नहीं हो सका पूरा

शाहबेरी घटना के बाद प्राधिकरण ने ग्राम की मूल आबादी में तीन मंजिला से अधिक 1326 इमारतों को चिन्हित किया था। इन सभी इमारतों का सत्यापन कराया जा रहा था। कागजी तौर पर यह देखा जा रहा था कि जिस जमीन पर इनका निर्माण किया गया है वह प्राधिकरण अधिसूचित जमीन है या नहीं। अब तक इन इमारतों का सत्यापन का कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है। साथ ही अधिसूचित व अर्जित क्षेत्र में बहुंमजिला इमारतों की संख्या भी 114 थी जिनको जल्द से जल्द गिराने के निर्देश थे। इनको भी नहीं गिराया जा सका है।

रिपोर्टर- दीपांकर जैन

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