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अपने ही गांव में गैर बने प्रवासी मजदूर, नाव को बनाया आशियाना, ऐसे रहने को मजबूर

जिले के कैथी गांव के रहने वाले पप्पू और कल्लू लॉकडाउन के दौरान मेहसाणा से निकले तो उनकी आंखों में खुशी थी। खुशी घर लौटने और अपनों से मिलने की थी।

Dharmendra kumar
Published on: 26 May 2020 3:38 PM GMT
अपने ही गांव में गैर बने प्रवासी मजदूर, नाव को बनाया आशियाना, ऐसे रहने को मजबूर
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वाराणसी: जिले के कैथी गांव के रहने वाले पप्पू और कल्लू लॉकडाउन के दौरान मेहसाणा से निकले तो उनकी आंखों में खुशी थी। खुशी घर लौटने और अपनों से मिलने की थी।

दोनों दोस्त जैसे-तैसे गांव तो पहुंच गए लेकिन यहां पर उनके साथ जो बर्ताव हुआ, वो निराश करने वाला था। अपने गांव में दोनों के साथ गैरों सा सलूक किया गया। प्रवासी मजदूर के नाम पर दोनों दोस्तों को ग्रामीणों ने गांव से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

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नाव को बनाया आशियाना

पप्पू और कल्लू मेहसाणा में गन्ना पेराई के काम करते हैं। लॉकडाउन की वजह से धंधा बंद हो गया। दोनों ने वापस लौटने का फैसला किया। दोनों जैसे-तैसे ग़ाज़ीपुर पहुंचे, इसके बाद अपने घर आये। पप्पू के अनुसार ग्रामीणों ने उन्हें गांव में घुसने से मना कर दिया। दोनों को गांव के बाहर क्वारन्टीन करने का हुक्म सुना दिया। हैरानी इस बात की है कि इसमें घरवालों की भी रजामंदी थी।

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मछली मारकर कर रहे हैं गुजारा

पप्पू के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से दोनों जैसे तैसे गुजर बसर कर रहे हैं। एक वक्त तो ऐसा भी आया की दोनों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था। दोनों ने गंगा में मछली मारकर पेट भरा। कल्लू बताते हैं कि उन्हें इस बात की उम्मीद नहीं थी कि गांव आने उनके साथ ऐसा सलूक किया जाएगा। अपने गांव वाले प्रवासी मजदूरों के साथ होने वाली ये घटना इकलौती नहीं है। पूर्वान्चल के कई जिलों में मजदूर गांव के बाहर बगीचे और स्कूल में शरण लिए हुए हैं।

रिपोर्ट: आशुतोष सिंह

Dharmendra kumar

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