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अब शान-ए-अवध में भी आपको जल्द ही मिलेगा कनॉट प्लेस
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के LDA शान-ए-अवध कनॉट प्लेस की बची हुई 55 एकड़ जमीन पर नया हजरतगंज बनाया जाएगा।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के LDA शान-ए-अवध कनॉट प्लेस की बची हुई 55 एकड़ जमीन पर नया हजरतगंज बनाया जाएगा। कंसलटेंट की तलाश की जा रही है, जो कि इसका पूरा स्वरूप तैयार करेगा। इसके बाद निजी क्षेत्र में आवंटन करके नया हजरतगंज गुलजार किया जाएगा। इस संबंध में कंसलटेंट के प्रस्तावों पर LDA बहुत जल्द चर्चा करेगा। ऐसा मानना है कि प्राधिकरण अगले डेढ़ साल में नया हजरतगंज बाजार विकसित कर देगा।
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शहीद पथ पर शान-ए-अवध कनॉट प्लेस योजना का प्रथम चरण LDA ने 30 एकड़ में विकसित किया था। जिसकी नीलामी करके LDA ने निजी कंपनी को बेच दिया। ये कंपनी ही अब शान ए अवध का संचालन कर रही है। अब अगला चरण यहां नया हजरतगंज बसाने का होगा। जिस पर सहमति बन चुकी है। प्राधिकरण उपाध्यक्ष प्रभु एन सिंह ने बताया कि शान-ए-अवध का पहला चरण पूरा हो चुका है। हमारे लिए अब दूसरे चरण की बारी है। इस बार नया हजरतगंज विकसित करने की तैयारी है। दो सौ ज्यादा साल पुराने लखनवी शान वाले इस बाजार का नया नजारा हम गोमती पार रहने वालों को भी दिखाएंगे। शहीद पथ पर शान-ए-अवध के पीछे हमारे पास 55 एकड़ भूमि बची हुई है। इस जमीन का उपयोग नया गंज बसाने के लिए किया जाएगा और जल्द ही कार्ययोजना जमीनी रूप ले लेगी।
सेंट्रल बिजनेस डिस्टिक्ट का होगा हिस्सा
मास्टर प्लान में ये क्षेत्र सेंट्रल बिजनेस डिस्टिक्ट के तौर पर दर्ज है। सेंट्रल बिजनेस डिस्टिक्ट वह जगह होती है जहां चारों ओर बड़े कारपोरेट हाउस के ऑफिस, बड़े होटल और अन्य व्यवसायिक संस्थान खोले जाते हैं। इससे पहले विभूतिखंड को सेंट्रल बिजनेस डिस्टिक्ट में शामिल किया जा चुका है। IIM रोड पर भी एक CBD का निर्माण किया जाएगा।
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लखनऊ की शान है गंज
नवाब नसीरुद्दीन हैदर ने 1827 में चाइना बाजार और कप्तान बाजार को मिलाकर हजरतगंज की स्थापना की थी। कैसरबाग, लालबाग और दारुलशफा के साथ ही छोटी छतर मंजिल, तारावाली कोठी, दरगाह और सावन भादो महल (वर्तमान में चिड़िया घर बना है) को शामिल किया गया। 1842 में नवाब अमजद अली खान ने इसका नाम आलिया-ए-हजरत के नाम से हजरतगंज कर दिया। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने लंदन क्वीन स्ट्रीट के तर्ज पर नवाबी कालीन भवन की डिजाइन में बदलाव कर दिया।