कोरोना काल में एनआरसी ने 32 बच्चों को कुपोषण से उबारा, दी नई जिंदगी

अप्रैल से लेकर अगस्त माह तक एनआरसी ने 32 कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाकर उनके चेहरों पर मुस्कान लौटाने का कार्य सराहनीय कार्य किया है।

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Published on: 11 Sep 2020 11:17 AM GMT
कोरोना काल में एनआरसी ने 32 बच्चों को कुपोषण से उबारा, दी नई जिंदगी
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दुधमुंहे मासूम बच्चे इसकी चपेट में आए तो जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) ने फिर से इन फूल से चेहरों को चमकाने में जुट गए। अप्रैल से लेकर अगस्त माह तक एनआरसी ने 32 कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाकर उनके चेहरों पर मुस्कान लौटाने का कार्य सराहनीय कार्य किया है।

हमीरपुर: कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते कमजोर वर्ग के लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ी है। काम के अभाव के साथ-साथ इनके घरों में कुपोषण ने भी दस्तक दी। दुधमुंहे मासूम बच्चे इसकी चपेट में आए तो जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) ने फिर से इन फूल से चेहरों को चमकाने में जुट गए। अप्रैल से लेकर अगस्त माह तक एनआरसी ने 32 कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाकर उनके चेहरों पर मुस्कान लौटाने का कार्य सराहनीय कार्य किया है।

इन बच्चों के चेहरे पर लौटी मुस्कान

कुरारा ब्लाक के शिवनी गांव के रामभजन की एक साल की पुत्री अनुष्का को 8 अगस्त को एनआरसी में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। अनुष्का का उस वक्त वजन 6.450 किग्रा और हीमोग्लोबिन 6.9 ग्राम था। 26 अगस्त को जब अनुष्का की छुट्टी हुई तो उसका वजन 6.900 किग्रा और हीमोग्लोबिन 9.02 ग्राम हो गया था। अस्पताल में उसे एक यूनिट ब्लड भी चढ़ाया गया था। सुमेरपुर निवासी राहुल के 13 माह के पुत्र अंकित को 30 जुलाई को एनआरसी में भर्ती किया गया था।

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Hamirpur Malnutrition एनआरसी ने 32 बच्चों को कुपोषण से उबारा (फाइल फोटो)

थैलीसीमिया की बीमारी से ग्रसित अंकित के शरीर में भर्ती किए जाते वक्त हीमोग्लोबिन की मात्रा महज 4.5 ग्राम थी और वजन 7.400 किग्रा था। 10 अगस्त को वार्ड से छुट्टी के समय अंकित का वजन 7.750 किग्रा और हीमोग्लोबिन की मात्रा 8.5 ग्राम थी। सरीला तहसील के पुरैनी गांव के मंगल का एक वर्ष का पुत्र हिमांशु 7 अगस्त को एनआरसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। हिमांशु का वजन महज 4.100 किग्रा और हीमोग्लोबिन 6.09 ग्राम था। लेकिन जब सत्रह दिन छुट्टी हुई तो वजन बढ़कर पांच किग्रा और हीमोग्लोबिन 8.09 ग्राम हो चुका था।

32 बच्चों को किया सेहतमंद

Hamirpur Malnutrition एनआरसी ने 32 बच्चों को कुपोषण से उबारा (फाइल फोटो)

जन्मजात दिव्यांगता के शिकार मौदहा कस्बे के रामकिशनपुर निवासी राजकुमार के दो साल के पुत्र नवलकिशोर की कहानी कुछ हटकर है। जन्म से ही उसके कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है। इस कारण वह कुपोषण की जद में भी आ गया है। नवलकिशोर को 19 अगस्त को एनआरसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। उस वक्त वजन 5.600 किग्रा और हीमोग्लोबिन 8.05 ग्राम था। अभी भी नवलकिशोर वार्ड में भर्ती है। इलाज और वार्ड की देखरेख से वजन में बढ़ोत्तरी हो रही है। चिपके गाल फूलने लगे है। पेट जो भर्ती किए जाने के दौरान बाहर निकला था, धीरे-धीरे ठीक हो रहा है।

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चेहरे में चमक भी आई। बच्चे का पिता मजदूर है। दिव्यांगता का इलाज अभी ठीक से शुरू नहीं हुआ है। गरीबी की वजह से इलाज में भी दिक्कतें आ रही है। जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ.विनय प्रकाश ने बताया कि अप्रैल से अगस्त तक पोषण पुनर्वास केंद्र में कुल 39 बच्चे (6 माह से लेकर 5 साल) तक के भर्ती हुए थे। इनमें 32 बच्चे इलाज और देखरेख के बाद कुपोषण से मुक्त होकर घरों को भेजे गए। अप्रैल में 8 के सापेक्ष 6 बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हुए। मई में 12 में 8, जून में 5 में 7 (मई के दो बच्चे भी शामिल), जुलाई में 6 में 5 और अगस्त में 8 में 6 बच्चे एनआरसी से पूरी तरह से ठीक हुए।

बच्चे के बचाव के लिए मां का स्वस्थ रहना आवश्यक

Healthy Nutrition एनआरसी ने 32 बच्चों को कुपोषण से उबारा (फाइल फोटो)

एनआरसी की टीम में स्टाफ नर्स रीशू त्रिपाठी, शिल्पा सचान, निधि ओमर, अनुपमा सचान, डायटीशियन प्रतिभा तिवारी, केयर टेकर सीता देवी, रसोइया उमा देवी की टीम भर्ती होने वाले बच्चों की निगरानी, खानपान का ख्याल रखती है। समय-समय पर इनकी जांचें और डॉक्टरों से फालोअप करवाती हैं। यहां बच्चों के खेलने-कूदने के लिए खेल-खिलौने भी हैं। एनआरसी वार्ड में भर्ती होने वाले बच्चे के अभिभावक को शासन से प्रतिदिन 50 रुपए का भुगतान होता है। साथ ही छुट्टी के बाद चार फालोअप कराने पर प्रति फालोअप 100 रुपए दिए जाते हैं। यह धनराशि बच्चे की मां के खाते में भेजी जाती है।

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जिला महिला अस्पताल के नवजात शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.आशुतोष निरंजन कहते हैं कि कुपोषण की समस्या गर्भावस्था में जुड़ी हुई है। अक्सर गर्भावस्था के समय से महिलाएं खानपान को लेकर लापरवाह हो जाती हैं या फिर गरीबी के कारण उचित पोषण युक्त भोजन नहीं ले पाती हैं। जिसका असर गर्भस्थ शिशु पर मां की कोख से ही पड़ना शुरू हो जाता है। कुपोषण से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है। गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वह समय-समय पर स्वास्थ्य केंद्रों में जांच कराती रहें और पौष्टिक भोजन लें। अगर मां स्वस्थ होगी तो जन्म लेने वाला नवजात भी तंदुरुस्त होगा।

रिपोर्ट- रविंद्र सिंह

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